छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक भारी भ्रष्टाचार का खेल जारी है। इन खबरों को उजागर करने वाले पत्रकारों को धमकाया जा रहा है। बताया जाता है कि दंतेवाड़ा जिले में कलेक्टर ने सारी मीडिया को नियंत्रित कर लिया और जमकर मनमानी की।
यहां का कोई मीडियाकर्मी या तो ख़ौफ़ के चलते, या फिर सेटिंग की वजह से कलेक्टर के खिलाफ खबर चलाने को तैयार नहीं है। यहां तक कि पत्रिका, नई दुनिया, हरिभूमि, नवभारत, दैनिक भास्कर के स्थानीय प्रतिनिधियों ने भी हाथ खड़े कर दिए। सिर्फ जन सम्पर्क विभाग से जारी होने वाले सरकारी गुणगान की खबरें छप रही हैं।
मगर इस बीच दैनिक भास्कर के स्टेट एडिटर को स्थिति का पता चला, तो बस्तर संभाग मुख्यालय से टीम भेजकर ग्राउंड रिपोर्टिंग करवाई। इसके बाद कलेक्टर की भर्राशाही की परतें खुलने लगी।
सारा मामला जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) के करोड़ों रुपए भसकाने से जुड़ा हुआ है। बस्तर संभाग के ही बीजापुर में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने भी डीएमएफ मद की राशि में हुए कथित बंदरबांट की जांच के लिए कार्रवाई तेज कर दी है।
छत्तीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग में तगड़ी पकड़ रखने वाले कलेक्टर दंतेवाड़ा से जाने को तैयार नहीं हैं और सत्ता पक्ष की कांग्रेसी विधायक देवती कर्मा उन्हें हटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाकर थक चुकी हैं। मुख्यमंत्री से निराश विधायक ने दिल्ली में हाई कमान और छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा तक भी गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
बताते चलें कि विधायक देवती कर्मा छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी कांड में नक्सलियों के हाथों मारे गए दिवंगत कद्दावर कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा की विधवा हैं, जो सत्ता पक्ष की विधायक होने के बावजूद जिला प्रशासन से प्रताड़ित हैं। उनकी ही पार्टी की सरकार में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
देशभर में मीडिया और पत्रकारों को निशाना बनाने पर मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने वाली कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को ही निशाना बना रही है। देखें भास्कर की ये खबरें और एक खबर का सरकारी अधिकारी द्वारा खंडन-