: मुंबई में पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल श्रम आयुक्त से मिला : ब्यूरो कार्यालयों को नोटिस भेजी जाएगी : पत्रकार गुप्त रूप से भी कर सकते हैं शिकायत : वर्ष २००७- ८, ८-९ और २००९- १० का टर्नओवर समाचार पत्र प्रतिष्ठानों को देना अनिवार्य होगा… :
मुंबई के पत्रकारों का एक प्रतिनिधी मंडल यहां बांद्रा कुर्ला काम्पलेक्स में बने श्रम आयुक्त कार्यालय में श्रम उपायुक्त श्रीमती शिरिन एस लोखंडे से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। लगभग एक दर्जन से ज्यादा पत्रकारों में वे पत्रकार भी शामिल थे जिनके ब्यूरो कार्यालय मुंबई में हैं। इस बैठक का नेतृत्व पत्रकारों की तरफ से मुंबई के पत्रकार शशिकांत सिंह ने किया। इस अवसर पर श्रम उपायुक्त श्रीमती लोखंडे ने पत्रकारों की बातों को काफी गंभीरता से समझा और मजिठिया मामले को देख रहे अधिकारियों को भी इस बैठक में बुलाया और स्पष्ट तौर पर कहा कि वर्ष २००७-८, ८-९ और २००९-१० का सकल राजस्व समाचार पत्र प्रतिष्ठानों को देने के लिये एक पत्र लिखा जाये और इसी आधार पर मजिठिया मामले में गड़ना की जायेगी।
इस दौरान कुछ पत्रकारों ने उन्हें अपनी समस्या बतायी कि उनके समाचार पत्र के मुख्यालय मुंबई से बाहर हैं और मजिठिया वेतन आयोग का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है जिसके बाद श्रम उपायुक्त ने निर्देश दिया कि ऐसे ब्यूरो कार्यालयों का पूरा पता बताया जाये जिसके बाद इन ब्यूरो कार्यालयों को भी नोटिस भेजी जायेगी। श्रम उपायुक्त को तुरंत सभी ब्यूरो कार्यालयों का पूरा पता उपलब्ध करा दिया गया। इस दौरान कुछ पत्रकारों ने कहा कि श्रम निरीक्षकों को मीडियाकर्मियों का सहयोग करना चाहिए और इसके लिए उन्हें निर्देशित किया जाना चाहिए। इस पर श्रीमति लोखंडे ने कहा कि पत्रकार इस मामले में बिल्कुल नहीं डरें और बेझिझक अपनी शिकायत करें। अगर किसी भी पत्रकार या समाचार पत्र कर्मी को यह लगता है कि उसे मजिठिया वेज बोर्ड के आधार पर वेतन नहीं मिल रहा है और शिकायत करने पर उसे प्रबंधन नौकरी से निकाल देगा तो ऐसे पत्रकार या कर्मचारी मुझे बिना अपना नाम लिखे अपने प्रतिष्ठान के बारे में सूचना दें। इस सूचना पर जरूर कारवाई की जायेगी।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कई बार ऐसा होता है कि हमारे श्रम निरीक्षक जब समाचार पत्र प्रतिष्ठानों में जाते हैं तो कर्मचारियों को इधर उधर कर दिया जाता है या उन्हें डराया जाता है। ऐसे मालिकों के खिलाफ शिकायत मिलती है तो जरूर कारवाई की जायेगी। उन्होंने कुछ समाचार पत्र प्रतिष्ठानों द्वारा कर्मचारियों से जबरदस्ती फार्म २० जे पर या सादे कागज पर साईन कराने के मामले को भी गंभीरता से लिया और इसकी जांच करने को कहा। कहा कि अगर किसी के साथ भी ऐसा हुआ है तो वे सूचना दें। गुप्त रूप से बिना अपना नाम बतायें जानकारी दें। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पत्रकार यह समझ लें कि मजिठिया वेज बोर्ड के आधार पर वेतन पाना उनका हक है और उसमें मालिक किसी भी तरह की अनदेखी करते हैं तो उन्हे कड़ा दंड भुगतना पड़ेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या मजिठिया वेतन आयोग की सिफारिश माननीय सर्वोच्च न्यायालय को भेज दी गयी है, श्रम उपायुक्त ने कहा कि हमारी हर तीन माह में रिर्पोट सर्वोच्च न्यायालय को जा रही है और ऐसे में पत्रकारों को चाहिये कि वे हमें मदद करें और पूरी जानकारी उपलब्ध करायें।
अगर आप भी श्रम उपायुक्त (मुंबई शहर) शिरीन एस. लोखंडे को गुप्त रूप से जानकारी देना चाहते हैं तो उनको दे सकते हैं। उनका पता है-
शिरीन एस. लोखंडे
श्रम उपायुक्त (मुंबई शहर)
श्रम आयुक्त कार्यालय
कामगार भवन
बांद्रा कुर्ला काम्पलेक्स
बांद्रा पूर्व
मुंबई
महाराष्ट्र