ग़ाज़ीपुर जिले के मरदह विकास खंड की ब्लॉक एजुकेशन ओफिसर डाक्टर कल्पना की लाबिंग काम आ गई। उनका सिर्फ़ तबादला हुआ है। निलम्बन की कार्रवाई से कल्पना बच गईं हैं।
कल्पना पर जितने गम्भीर आरोप हैं, जिस क़िस्म का उनका कदाचार और अनुशासनहीनता है वैसा कुछ अगर किसी दूसरे बीईओ के दामन पर दाग होता तो वो जाने कब का सस्पेंड हो चुका होता। इससे कम आरोप वाले पुरुष बीईओ भी सस्पेंड हुए हैं। पर कल्पना पर लखनऊ के बड़े और भ्रष्ट अफ़सरों की विशेष कृपा है।
ज्ञात हो कि कल्पना के ख़िलाफ़ ग़ाज़ीपुर के ज़िलाधिकारी, बीएसए और मंडल के बेसिक शिक्षा के एक बड़े अफ़सर (एडिशनल डायरेक्टर) ने तीखी जाँच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए शासन को भेजी। पर ये तीन तीन जाँच रिपोर्ट दबा दी गईं। विशेष सचिव बेसिक शिक्षा आरवी सिंह की विशेष कृपा पात्र कल्पना का बाल तक बाँका न हुआ।
इधर मीडिया में कल्पना का मैटर उछलने के बाद जब पूरा बेसिक शिक्षा महकमा गन्धाने लगा तो कार्रवाई की औपचारिकता पूरी करने हेतु बहुत देर में ट्रान्सफर का आदेश जारी कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि मऊ ज़िले की मूल निवासी कल्पना अभी तक पड़ोसी जिले ग़ाज़ीपुर में थीं तो ट्रान्सफर के बाद आज़मगढ़ या बलिया या जौनपुर में पोस्ट हो जाएँगी। घर के बग़ल में। मतलब उनका कोई नुक़सान नहीं हुआ। भ्रष्टाचार करने के मनोबल पर कोई आघात नहीं हुआ। ये सब लखनऊ के भ्रष्ट अफ़सरों के संरक्षण का नतीजा है।
ज्ञात हो विशेष सचिव बेसिक शिक्षा आरवी सिंह खुद एक विवादित व्यक्ति हैं। पिछले दिनों उनका एक अश्लील वीडियो वायरल हुआ था। बाद में अपनी नाक बचाने के लिए कुछ लोगों पर ब्लैकमेल करने का फ़र्ज़ी मुक़दमा लिखा दिया था। योगी शासन में अश्लीलता के आरोपी आरवी सिंह अपनी कुर्सी पर बने रहे, ये उनके रसूख़ का सुबूत है।
मतलब भ्रष्टाचारियों की आपसी एकता और चेन कितनी तगड़ी होती है कि ये टॉप तो बॉटम ग़ज़ब एकजुट रहते हैं और एक दूसरे को प्रोटेक्ट करते रहते हैं।
जो भी हो, लेकिन ये सच है कि कल्पना के जाने से ग़ाज़ीपुर के मरदह ब्लॉक के प्राइमरी के मास्टर बेहद खुश हैं। इनके गले पर हर वक्त वसूली की छुरी पड़ी रहती थी। कब किससे किस नाम पर पैसा माँग लिया जाएगा, ये कुछ न पता होता था।
कल्पना करप्शन प्रकरण पर भड़ास की तरफ़ से जब आरवी सिंह से सम्पर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया। देखें वाट्सअप स्क्रीनशॉट-