भरतपुर : दैनिक भास्कर ग्रुप के भरतपुर के क्षेत्रीय संपादक गिरिराज अग्रवाल पर गलत तरीके से और झूठी सूचना के आधार पर सरकारी योजना का लाभ उठाने का आरोप लग रहा है।
भरतपुर भास्कर का संपादक होने के बावजूद गिरिराज अग्रवाल खुद एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की अधीस्वीकरण योजना (एक्रीडिटेशन कार्ड) के जरिये सरकारी योजनाओ का लाभ उठा रहे हैं। नियमानुसार यदि कोई पत्रकार किसी संस्थान से नियमित कर्मचारी के रूप में जुड़ा हुआ है, तो वो ना स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा कर सकता है और ना ही स्वतंत्र पत्रकार के रूप में एक्रीडिटेशन कार्ड बनवा सकता है।
जिले के रूपबास निवासी सुनील कुमार ने सूचना का अधिकार के तहत सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से भरतपुर भास्कर के क्षेत्रीय संपादक गिर्राज अग्रवाल के एक्रीडिटेशन की जानकारी मांगी।
विभाग की ओर से मिली जानकारी से पता चला कि भास्कर संपादक गिरिराज अग्रवाल ने वर्ष 2008 से खुद को स्वतंत्र पत्रकार बताते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से एक्रीडिटेशन कार्ड बनवा रखा है। जबकि हकीकत में गिरिराज अग्रवाल वर्ष 2008 से लगातार दैनिक भास्कर ग्रुप से नियमित रूप से जुड़कर पत्रकार और बीते करीब 3 साल से भरतपुर भास्कर के क्षेत्रीय संपादक के रूप में काम कर रहे हैं।
इससे साफ पता चलता है कि भास्कर संपादक गिर्राज अग्रवाल ने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को गलत जानकारी देकर और गुमराह करके एक्रीडिटेशन कार्ड बनवाया। उसके माध्यम से अधिस्वीकृत पत्रकार को मिलने वाली सभी सरकारी योजनाओं का नियमविरुद्ध लाभ उठाया।
इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद सुनील कुमार ने भरतपुर भास्कर के क्षेत्रीय संपादक गिरिराज अग्रवाल की भारतीय प्रेस परिषद में लिखित शिकायत की है। शिकायत में सुनील कुमार ने बताया है कि संपादक ने राजस्थान सरकार के विभाग को गलत जानकारी दी तो दी, कार्ड को रिन्यू कराने के लिए हर दो साल के बाद झूठा शपथपत्र भी दिया गया। शिकायतकर्ता ने भारतीय प्रेस परिषद से भास्कर संपादक गिरिराज अग्रवाल के एक्रीडिटेशन कार्ड को रद्द करने और अब तक गलत जानकारी के आधार पर उठाए गए सरकारी योजनाओं के लाभ की रिकवरी करने की भी मांग की है।
गिरिराज अग्रवाल बीते 3 साल के कार्यकाल में भरतपुर भास्कर से करीब 1 दर्जन से अधिक कर्मचारियों को घर भेज चुका है। हाल ही में संपादक अग्रवाल ने डेस्क प्रभारी पुनीत उपाध्याय, क्राइम रिपोर्टर संत कौशिक, सीनियर रिपोर्टर योगेश शर्मा और ऑपरेटर नरेश पचौरी को मौखिक आदेश कर नोकरी से निकाल कर घर बिठा दिया। कुछ दिन बाद फिर क्राइम रिपोर्टर संत कौशिक को स्थानांतरण आदेश थमा कर घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर हनुमानगढ़ भेज दिया। पुनीत उपाध्याय, योगेश शर्मा और नरेश पचौरी तो अभी तक आदेश के इंतजार में हैं। असल में इन सभी कर्मचारियों का दोष सिर्फ इतना सा था कि इन्होंने अपने उच्चाधिकारियों के सामने सच बयां करने की हिमाकत की थी। और यही बात संपादक को नागवार गुजरी, जिसका खामियाजा कर्मचारी उठा रहे हैं।