राजस्थान में भास्कर समूह के 25 कर्मचारियों ने मजीठिया वेज बोर्ड के तहत मिलने वाली राशि को मय दण्डात्मक ब्याज के राशि दिलाये जाने के लिए लेबर कमिश्नर जयपुर के यहाँ केस लगाए हैं। जयपुर लेबर कमिश्नर के यहाँ से प्राप्त जानकारी के अनुसार भास्कर के विरूद्ध करीबन 300 केसेज, राजस्थान पत्रिका के विरूद्ध 170 केसेज, पंजाब केसरी के विरूद्ध 2 केसेज वसूली के 15 मई 2016 तक हो चुके हैं।
न्यूज़ पेपर और एजेंसी के कर्मचारियों के लिए सेवा नियम (स्टैंडिंग ऑर्डर्स) 1946 के केंद्रीय विधान के तहत बनाया जाना आवश्यक होता है परन्तु प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी पेपर या न्यूज़ एजेंसी ने अपने स्थाई आदेश नहीं बनाए हैं। इससे स्पष्ट होता है की भारत का श्रम विभाग न्यूज़ पेपरों व एजेंसियों से इतना भयभीत है कि 6 दशकों में भी इस कानून की पालना नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट के 2015 के आदेश के तहत भारत के हर प्रांत में श्रम आयुक्त के यहाँ पत्रकार व कर्मचारियों के मजीठिया बोर्ड के अनुसार राशी के लिए मामले लगाने चाहिए और लेबर कमिश्नर के यहाँ से रिकवरी राशि की वसूली के लिए कलेक्टर को वसूली करने के लिए आदेश 30 जून तक भिजवानी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार के द्वारा जो भी कार्यवाही इस सम्बन्ध में की जा रही है उससे केस में विलम्ब होगा।
जनवरी 2015 से मजीठिया बोर्ड के अनुसार जो भी राशि बनती है, वो राशि न्यूज़ पेपर एम्प्लाइज 18% दण्डात्मक ब्याज के साथ पाने के अधिकारी हैं तथा ब्याज की राशि भी कलेक्टर के यहाँ रिकवरी में जानी चाहिए।
मनुस्मृति में लिखा है : –
धर्म-एव हतो हन्ति,धर्मो रक्षति रक्षितः
तस्माधर्मो न हंतभ्यो,मा नो धर्मो हतोवधीत
अर्थात
जहाँ धर्म और कानून की पालना नहीं होगी वहां समाज का अंत हो जाएगा।
अखबार वाले कर्मचारियों को मजीठिया आयोग का लाभ न देकर, केवल क़ानून की ही नहीं बल्कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना कर रहे हैं।
बृजेन्द्र बिहारी शर्मा
सीनियर एडवोकेट
भरतपुर राजस्थान।
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