एक दर्जन से ज्यादा कर्मियों ने लिखकर दिया- ‘नहीं मिला मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ’…
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मजीठिया संघर्ष मंच की पहल पर महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त श्री केरुरे के आदेश के 24 घंटे के अंदर ही श्रम विभाग की टीम पूरे लाव-लश्कर के साथ डी बी कॉर्प के मुम्बई में माहिम स्थित कार्यालय पहुंची। टीम ने कागजातों की जांच पड़ताल की। छापामार टीम को लीड कर रहे थे तेज तर्रार सहायक कामगार आयुक्त एम् पी पाटिल और निशा नागराले। श्रम विभाग की टीम डी बी कार्प के कार्यालय पहुंची तो वहां हड़कम्प मच गया।
श्रम अधिकारियों को भगाने के उद्देश्य से कह दिया गया कि सारे अधिकारी मुम्बई से बाहर हैं। इसी बीच निशा नागराले से फोन पर बात कर उन्हें मनाने का प्रयास किया गया तो निशा मैडम ने गुस्से के मारे फोन पटक दिया और साफ़ कह दिया कि अब बहाना नहीं चलेगा। बुधवार को लगभग 3 बजे यह टीम डीबी कॉर्प आफिस पहुंची। इस टीम ने कागजात मांगा तो उन्हें गलत जानकारी दी गई। डीबी कॉर्प की सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक) अक्षता करनगुटकर ने श्रम अधिकारियों को झूठ बोलकर भगाने का प्रयास किया लेकिन अधिकारी टस से मस नहीं हुए।
इसी बीच डी बी कार्प ने अपने कानूनी सलाहकार सचिन गुप्ता को कार्मिक अधिकारी बताकर उनसे बात कराकर मामले को रफा दफा कराने का प्रयास किया मगर डी बी कार्प की दाल नहीं गली। उसके बाद श्रम अधिकारियों को इन्वेस्टर हेड प्रसून पांडे की केबिन में बैठाया गया। इस केबिन में प्रसून के साथ दिव्य मराठी के मुम्बई हेड प्रशांत पवार को भी बुलाया गया मगर पाटिल और निशा मैडम नहीं मानीं तो एक अलग केबिन में उन्हें बैठाया गया। इस बीच हर पल की खबर मालिकों को पहुंचाई जा रही थी। एक-एक कर दैनिक भास्कर, दिव्य मराठी सहित डी बी कार्प के सभी पत्रकारों और गैर पत्रकारों को श्रम अफसरों की केबिन में बुलाया गया।
तेजतर्रार सहायक कामगार आयुक्त एम् पी पाटिल और निशा नागराले ने सभी कर्मचारियों से पूछा कि आपको मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मिलता है या नहीं। जवाब में अधिकाँश कर्मचारियों ने कह दिया कि उन्हें लाभ नहीं मिला। इन कर्मचारियों को लीड कर रहे थे दैनिक भास्कर के प्रिंसिपल करेस्पांडेंट धर्मेंन्द्र प्रताप सिंह। धर्मेंद्र ने सबसे पहले अधिकारियों के सामने अपना बयान दिया कि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं मिला है। धर्मेंन्द्र प्रताप सिंह ने प्रबन्धन के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा भी कर रखा है।
धर्मेंद्र के बयान देने के बाद तो डी बी कार्प के कर्मचारियों में जोश आ गया। डीबी कार्प के एक दर्जन से ज्यादा हिंदी, मराठी और गुजराती अखबारों के पत्रकारों और गैर पत्रकारों ने लिखकर दिया कि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं मिला। कर्मचारियों के इस तरह साफ़ साफ़ लिखकर देने से डीबी कार्प के अधिकारियों को दिन में तारे नजर आ रहे हैं। श्रम विभाग के अधिकारी अपने साथ कर्मचारियों की सेलरी स्लिप और अन्य कागजात भी ले गए।
आपको बता दें कि समाचार पत्र कर्मियों के वेतन भत्ते और एरियर्स से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मंगलवार को महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त श्री केरुरे से मजीठिया संघर्ष मंच के अध्यक्ष शशिकान्त सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों की एक टीम उनके कार्यालय में मिली और उन्हें एक ज्ञापन दिया। मजीठिया वेज बोर्ड के राज्य में ठीक से क्रियान्वयन न होने पर उनसे गंभीर चर्चा की। ज्ञापन को आधार बनाकर श्रम आयुक्त ने डी बी कॉर्प के माहिम स्थित कार्यालय में 24 घंटे के अन्दर पहुँच कर सर्वे करने और रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया था। श्री केरुरे ने मजीठिया संघर्ष मंच से चर्चा के दौरान साफ़ कहा कि समाचारपत्र कर्मी बिना डर के क्लेम करें।
मंच के सदस्यों ने उन्हें अवगत कराया कि कर्मचारी प्रबन्धन के दबाव में हैं जिस पर श्री केरुरे ने कहा कि अगर एक भी मामला मेरे सामने आया कि प्रबन्धन अपने कर्मचारियों पर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को लेकर क्लेम न करने के लिए दबाव बना रहा है या जानबूझ कर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं कर रहा है तो ऐसे अखबार मालिकों को जेल भेजा जाएगा। बुधवार को हुयी कार्रवाई से मुम्बई के दूसरे समाचार पत्रों में भी हडकम्प का माहौल है।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335