मोहम्मद अनस-
बृजभूषण शरण सिंह में लाख बुराई हो लेकिन उसने कभी मुसलमानों को परेशान नहीं किया। अपनी लोकसभा में वह बिना जात-धर्म के काम करते रहे। मैं कैसे उस सांसद के विरोध में लिख दूं? और उन पहलवानों के समर्थन में क्यों लिखूं जिन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से मुसलमानों के विरूद्ध नफरत फैलाई। मेरी लाइन हमेशा से क्लियर रही है। जो सांप्रदायिक है, उसका कभी समर्थन नहीं करना।
जंतर मंतर पर धरना देने वाले होंगे आपके लिए चैंपियन, मेरे लिए वे सब मुसलमानों से नफरत करने वाले झुंड जैसे ही रहेंगे। बृजभूषण भाजपाई हैं तो पीछे पड़ जाऊं डंडा लेकर? बृजभूषण के मुंह से कभी हिंदू-मुसलमान करते हुए किसी ने सुना? कोई एक ट्विट है उनका जहां उन्होंने मुसलमानों को लेकर नफरत फैलाई? दिखा दीजिए तो मैं भी विरोध में आवाज़ उठाऊंगा। मेरे नज़दीक सबसे बड़ा अपराध दंगाई/प्रोपेगेंडिस्ट होना है।
बृजभूषण ठेठ देहाती आदमी हैं। अक्खड़ और मुंह पर बोलने वाले। कई दशकों का सियासी अनुभव है। चुनावी मंच से कभी बोलते हुए बहक गए इसका यह मतलब नहीं है कि वे मुसलमानों से नफरत करते हैं। लोकसभा लड़ते हैं तो गाँव शहर घूम घूम कर मुसलमानों के बीच जाते हैं। मुसलमान उनके पास जाते हैं। उनका दरवाज़ा धर्म के आधार पर कभी बंद नहीं हुआ जैसा कि आज कल के भाजपाईयों का बंद रहता है। इसलिए मैं बृजभूषण के साथ हूं।
बृजभूषण गुस्सा हैं तो, गुस्सा मंच पर उतार लेते हैं। न कि पीठ पीछे। बहादुर आदमी हैं सांसद जी। गेम नहीं करते। अयोध्या में पुरानी मंदिरों को नई अयोध्या के नाम पर जब तोड़ा जा रहा था तो वे ब्राह्मणों के साथ अपनी ही भाजपा सरकार के विरोध में आंदोलन करने लगे। जनता के आदमी हैं। भाजपा उनके साथ बहुत गलत कर रही है।
इस देश में यदि मुसलमान न रह रहे होते तो जिस दूसरी क़ौम को सबसे ज़्यादा गालियां दी जाती वह है क्षत्रिय धर्म। जिनका सबसे ज़्यादा आखेट किया जाता वे होते राजपूत। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जिस तरह से हरियाणा की लॉबी पीछे पड़ी है, उससे साफ पता चलता है कि कहानी कितनी गहरी है। भाजपा-संघ का इसमें हाथ न हो, ऐसा मुझे नहीं लगता। भाजपा और संघ को कौन लोग चलाते हैं, यह मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है। संघ से बड़ा भला कौन है इस देश में? संघ आखिर किसके इशारों पर बृजभूषण को निपटाना चाह रहा है?