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सियासत

मीडिया के चमकते परदे का सच

इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने गत 22 जून को इंडिया टीवी के दफ्तर के सामने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इसके पहले तनु शर्मा ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर आत्महत्या करने बाबत एक स्टेटस भी लिखा था। तनु ने फेसबुक पर लिखा- ”अंतिम बार फेसबुक पर लास्ट गुडबाय टू ऑल ऑफ यू, आइ एम कमिटिंग सुसाइड। थैंक्स टू इंडिया टीवी, प्रसाद एमएन…अनिता शर्मा एंड रितु धवन। बहुत मज़बूत हूँ मैं, सारी जिंदगी मेहनत की, स्ट्रगले किया, हर परेशानी से पार पाने की कोशिश करते करते यहाँ तक पहुंची। लेकिन आज बहुत मजबूर महसूस कर रही हूँ। अपने सपनों को टूटते देखना, जिंदगी को एक ही झटके में सड़क पर देखना इतना भी आसां नहीं होता.जो लोग सारी जिंदगी अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मेहनत करते है और जी जान लगा देते हैं उनके लिए एक सुबह अपने बिखरे सपनो के साथ उठाना मौत से कम नहीं। इंडिया टीवी ने जो कुछ किया मेरे साथ किया वो एक भयानक सपने से कम नहीं। प्रसाद सर मैं आपको कभी माफ़ नहीं करुँगी। अनीता शर्मा आपके लिए तो शब्द ही नहीं हैं एक औरत होकर भी आप ऐसा कर सकती हो। अफ़सोस रहेगा मरने के बाद भी कि मैंने इंडिया टीवी ज्वाइन किया और ऐसे लोगो के साथ काम किया जो विश्वास घात करते है, षड्यंत्र करते हैं।”

<p>इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने गत 22 जून को इंडिया टीवी के दफ्तर के सामने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इसके पहले तनु शर्मा ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर आत्महत्या करने बाबत एक स्टेटस भी लिखा था। तनु ने फेसबुक पर लिखा- ”अंतिम बार फेसबुक पर लास्ट गुडबाय टू ऑल ऑफ यू, आइ एम कमिटिंग सुसाइड। थैंक्स टू इंडिया टीवी, प्रसाद एमएन…अनिता शर्मा एंड रितु धवन। बहुत मज़बूत हूँ मैं, सारी जिंदगी मेहनत की, स्ट्रगले किया, हर परेशानी से पार पाने की कोशिश करते करते यहाँ तक पहुंची। लेकिन आज बहुत मजबूर महसूस कर रही हूँ। अपने सपनों को टूटते देखना, जिंदगी को एक ही झटके में सड़क पर देखना इतना भी आसां नहीं होता.जो लोग सारी जिंदगी अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मेहनत करते है और जी जान लगा देते हैं उनके लिए एक सुबह अपने बिखरे सपनो के साथ उठाना मौत से कम नहीं। इंडिया टीवी ने जो कुछ किया मेरे साथ किया वो एक भयानक सपने से कम नहीं। प्रसाद सर मैं आपको कभी माफ़ नहीं करुँगी। अनीता शर्मा आपके लिए तो शब्द ही नहीं हैं एक औरत होकर भी आप ऐसा कर सकती हो। अफ़सोस रहेगा मरने के बाद भी कि मैंने इंडिया टीवी ज्वाइन किया और ऐसे लोगो के साथ काम किया जो विश्वास घात करते है, षड्यंत्र करते हैं।”</p>

इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने गत 22 जून को इंडिया टीवी के दफ्तर के सामने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इसके पहले तनु शर्मा ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर आत्महत्या करने बाबत एक स्टेटस भी लिखा था। तनु ने फेसबुक पर लिखा- ”अंतिम बार फेसबुक पर लास्ट गुडबाय टू ऑल ऑफ यू, आइ एम कमिटिंग सुसाइड। थैंक्स टू इंडिया टीवी, प्रसाद एमएन…अनिता शर्मा एंड रितु धवन। बहुत मज़बूत हूँ मैं, सारी जिंदगी मेहनत की, स्ट्रगले किया, हर परेशानी से पार पाने की कोशिश करते करते यहाँ तक पहुंची। लेकिन आज बहुत मजबूर महसूस कर रही हूँ। अपने सपनों को टूटते देखना, जिंदगी को एक ही झटके में सड़क पर देखना इतना भी आसां नहीं होता.जो लोग सारी जिंदगी अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मेहनत करते है और जी जान लगा देते हैं उनके लिए एक सुबह अपने बिखरे सपनो के साथ उठाना मौत से कम नहीं। इंडिया टीवी ने जो कुछ किया मेरे साथ किया वो एक भयानक सपने से कम नहीं। प्रसाद सर मैं आपको कभी माफ़ नहीं करुँगी। अनीता शर्मा आपके लिए तो शब्द ही नहीं हैं एक औरत होकर भी आप ऐसा कर सकती हो। अफ़सोस रहेगा मरने के बाद भी कि मैंने इंडिया टीवी ज्वाइन किया और ऐसे लोगो के साथ काम किया जो विश्वास घात करते है, षड्यंत्र करते हैं।”

तनु ने जिन लोगों का जिक्र अपने फेसबुक स्टेटस में किया है, उनमें रितु धवन चैनल की मालकिन और रजत शर्मा की पत्नी हैं। वहीं अनीता शर्मा इंडिया टीवी की संपादकीय टीम में हैं, जबकि प्रसाद नामक व्यक्ति प्रबंधन से जुड़ा हुआ है। दफ़्तर के लोगों और पुलिस ने ही उन्हें वक़्त रहते अस्पताल पंहुचाया। तनु बच गईं। अगले दिन घर लौटने पर पुलिस को दिए अपने बयान में तनु ने कहा कि इंडिया टीवी की एक वरिष्ठ सहयोगी ने उन्हें “राजनेताओं और कॉरपोरेट जगत के बड़े लोगों को मिलने” और “ग़लत काम करने को बार-बार कहा।” तनु के मुताबिक़, “इन अश्लील प्रस्तावों के लिए मना करने के कारण मुझे परेशान किया जाने लगा, इसकी शिकायत एक और सीनियर से की तो उन्होंने भी मदद नहीं की, बल्कि कहा कि ये प्रस्ताव सही हैं।” यह बात भी ग़ौर करने लायक़ है कि तनु ने जिन दो वरिष्ठ कर्मियों पर आरोप लगाया है, उनमें से एक महिला है।

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तनु का आरोप है कि परेशान होकर उन्होंने एसएमएस के ज़रिए अपने बॉस को लिखा, “मैं इस्तीफ़ा दे रही हूं”, और कंपनी ने इसे औपचारिक इस्तीफ़ा मान लिया, “इस सबसे मैं ज़हर खाने पर मजबूर हुई।” इंडिया टीवी ने अपने वकील की मार्फ़त बताया कि “तनु ने चार महीने पहले इस चैनल में नौकरी की और वो शुरुआत से ही अपने काम में लापरवाही बरतती रहीं, इसके बारे में उन्हें समझाया गया तो अब वो उन्हीं वरिष्ठकर्मियों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही हैं।” तनु शर्मा के आरोपों के सामने आने के बाद दिल्ली में पत्रकारों के संगठन ‘प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया’ और महिला पत्रकारों के संगठन ‘इंडियन वीमेन्स प्रेस कोर’ ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की और कहा कि, “ये मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि मीडिया संस्थानों में युवा महिला पत्रकार ऐसे माहौल में काम कर रही हैं जो अच्छे नहीं कहे जा सकते।” इसी वार्ता में बुलाए गए वरिष्ठ पत्रकारों में से एक, सीएनएन-आईबीएन/आईबीएन-7 के मैनेजिंग एडिटर, विनय तिवारी ने कहा कि टीवी न्यूज़ चैनलों में नेतृत्व की भूमिका निभा रहे कई लोग, “उन जगहों को सामन्ती विचारधारा के तहत अपनी जागीर की तरह चला रहे हैं।” विनय तिवारी के मुताबिक़ पत्रकारिता जगत की दिक़्क़त प्रोसेस और परसेप्शन के फ़र्क़ में हैं। क्योंकि कोई ठोस और यूनीफ़ॉर्म प्रक्रिया भारतीय चैनलों में नहीं है, जिसकी समझ में जैसे आता है, चैनल चलाता है।

उन्होंने कहा, “ये समझ बहुत व्यक्तिगत होती है, इसलिए जो लोग फ़ैसले करने की भूमिका में हैं, उनके हाथ में बहुत ताक़त है। उस ताक़त का ग़लत इस्तेमाल होने की गुंजाइश बढ़ जाती है।” ये ताक़त महिला ही नहीं पुरुष पत्रकारों के ख़िलाफ़ भी अक्सर इस्तेमाल होती है। अमरीका, ब्रिटेन जैसे अन्य देशों में आज भी पत्रकारों की प्रभावी यूनियन काम कर रही हैं। पर भारत में प्रेस मीडिया के अलावा रेडियो, टीवी जैसे नए माध्यमों में कोई पत्रकार संघ नहीं है। दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स की अध्यक्ष सुजाता मधोक के मुताबिक़ इस वजह से टीवी पत्रकार बिल्कुल अकेले पड़ जाते हैं, “जब आपका साथ देने के लिए कोई आपके साथ नहीं खड़ा है, तो आप अपने हक़ या समाज के हक़ के लिए कैसे लड़ सकते हैं?” साथ ही वो मानती हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी के चलन ने मौजूदा संघ को भी कमज़ोर किया है। सुजाता कहती हैं कि तनु शर्मा के मामले में किसकी ग़लती है ये फ़ैसला अभी नहीं सुनाया जा सकता लेकिन ऐसी घटना अगर किसी और कंपनी में होती तो उसको सामने लाने में मीडिया ही आगे होती। उनके मुताबिक़, “मीडिया में ऐसी सांठ-गांठ है कि एक-दूसरे पर वो निशाना नहीं साधते, एकदम चुप्पी इसी वजह से है।” मीडिया में काम की जगह पर प्रताड़ना के आरोपों से जुड़ा ये पहला मामला नहीं है। तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के आरोप को छोड़ दें जहाँ मीडिया अति सक्रिय रहा, लेकिन इससे पहले भी, मीडिया की मुख्यधारा ने अपने ही कर्मियों के साथ प्रताड़ना के किसी अन्य मामले को कभी भी ख़बरों में जगह नहीं दी। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। और सर्वाधिक दुखद यह कि सरकार भी मौन रही है जबकि तेजपाल के मामले में प्रथमिकी गोवा की सरकार की ओर से दर्ज़ की गई थी।

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शैलेन्द्र चौहान। संपर्क: [email protected], 34/242, प्रतापनगर, सेक्टर-3, जयपुर – 303033 (राजस्थान)

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