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एडिट पेज इंचार्ज चंद्र भूषण की नवभारत टाइम्स में नौकरी पूरी, हुई फेयरवेल पार्टी

Chandra Bhushan-

नौकरी आज रात पूरी हो जाएगी। शुक्रिया टीम, शुक्रिया नवभारत टाइम्स। यह तस्वीर राहुल के घर में हुई फेयरवेल पार्टी की है। आशीष पांडे के कैमरे के सामने पीठ किए बैठी हैं मेरी उत्तमार्ध इंदिरा राठौर, फिर बाएं से दिलीप लाल, प्रणव प्रियदर्शी, राहुल पांडे और संजय खाती। दाएं से नमिता जोशी और मेरे सुपुत्र एकलव्य। बीच में हरे कुर्ते और नीली जींस में विदाई का केक काटता मैं स्वयं। सभी मित्रों से अनुरोध है कि अखबार संबंधी जो भी बातचीत मुझसे करनी हो, उसके लिए अब से प्रणव जी को पकड़ें। बाकी सेवाओं, सलाहों, सुझावों के लिए मैं हाजिर हूं। आजाद और खाली भी। बस, फोन केवल जरूरी होने पर करें और भरसक 5 अप्रैल के बाद।

चंद्र भूषण की एफबी वॉल से.

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देखें कुछ चुनिंदा प्रतिक्रियाएं-

Pranava Priyadarshee-

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एनबीटी एडिट पेज का आपका प्रभार और इस पेज से मेरा जुड़ाव करीब-करीब एक साथ शुरू हुआ 2014में। उससे पहले आपसे दूर का ही परिचय था। एनबीटी एडिट पेज ने इस दौरान क्या, कितना और कैसा योगदान किया समकालीन इतिहास में, इसका आकलन तो जागरूक और विवेकशील पाठकों की लंबी-चौड़ी जमात करती रहेगी, पर निजी तौर पर मैं यह जरूर कह सकता हूं कि एक-एक दिन, हर मीटिंग में अपने वक्तव्यों से आपने जितना और जैसा मार्गदर्शन मेरा किया, मेरी सोच-समझ और चेतना को जितनी समृद्धि दी, वह अब तक के जीवन में इससे पहले कभी नहीं हुआ था। हालांकि संपादकों के मामले में मैं खुशकिस्मत रहा हूं। एकाध अपवाद छोड़कर मुझे हर फेज में अच्छे संपादक मिले। बावजूद इसके आपका यह दौर अतुलनीय है। सो इन सात वर्षों के एक-एक दिन के लिए निजी तौर पर मेरा विशेष आभार स्वीकार कीजिए चंदू भाई। आगे के दौर के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

Dilip Lal-

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किसी बात के निकलते-निकलते उसके कई अर्थ बन जाते हैं और हर कोई अपने अंदाज से उसका अर्थ लगाता है। मूल बात गुम हो जाती है, कहने वाला सिर धुनता रह जाता है। लेकिन सर, आप किसी बात को कहने वाले के ही अर्थ में समझ जाते हैं। और काम के दौरान इसका लाभ मुझे भी मिला। मेरा उलझा हुआ विषय भी स्पष्ट हो जाता। बहुत कुछ सीखने को मिला। जीवन भर कर्जदार रहूंगा। 🙏

DrAnu Chauhan-

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सर एक पत्रकार की यात्रा कभी खत्म नहीं होती। संस्थान तो एक मेडल भर होते हैं। एक पत्रकार तो पूरी उम्र भर ज्ञान लेता और देता रहता है। आपके साथ सहारा से लेकर आगे तक का सफर अच्छा रहा। यूँ कहे तो उम्दा रहा। नई पारी के लिए शुभकामनाएं।

Vivek Shukla-

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मौजूदा भारतीय पत्रकारिता में आपसे गहन और विविध विषयों पर लिखने वाला दूसरा नाम और कोई नहीं है । आपने चीन, गणित, भूगोल, विज्ञान जैसे जटिल विषयों पर लिखा। यह सामान्य बात नहीं है । पूरा यकीन है कि आगे भी कलम चलती रहेगी। शुभकामनायें ।

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