अपडेट : स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप लगाने वाली पीड़िता हुई बरामद, शाहजहांपुर पुलिस ने राजस्थान से लड़की को सकुशल किया बरामद, लड़की के साथ उसका दोस्त भी पकड़ा गया!
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद लापता हुई एलएलएम की छात्रा के मामले में उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान ले लिया है। उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। जस्टिस आर. बानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ये सुनवाई करेगी।इस बीच शाहजहांपुर से खबर आ रही है कि लापता छात्रा सिर्फ मुमुक्षु आश्रम परिसर और कॉलेज में ही नहीं बल्कि अक्सर स्वामी चिन्मयानंद के साथ गाड़ी में भी नजर आती थी। उनके ऋषिकेश और कनखल आश्रम में भी वह वक्त बिता चुकी है। मुमुक्षु शिक्षा संकुल में उसका अच्छा दबदबा था।
महिला वकीलों के एक समूह ने बुधवार को जस्टिस एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया था। न्यायालय ने हालांकि उन्हें इस मामले में संबंधित उच्च न्यायालय (इलाहाबाद हाई कोर्ट) से संपर्क करने को कहा था, लेकिन वकीलों द्वारा आग्रह करने पर अदालत ने उन्हें कागजात प्रस्तुत करने के लिए कहा। पीठ ने कहा था कि वो इस मामले को देखेंगे। इस मामले को वकील शोभा गुप्ता, सुमिता हजारिका, मोनिका गोसाईं और शोमोना खन्ना की टीम द्वारा उठाया गया। उन्होंने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया है।
आरोपी भाजपा नेता उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज के निदेशक हैं, जहां लापता शिकायतकर्ता युवती एलएलएम की छात्रा है।स्वामी चिन्मयानंद से उसके और उसके परिवार के जीवन के लिए खतरा बताते हुए शिकायतकर्ता ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को फेसबुक पर एक लाइव वीडियो पोस्ट किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि चिन्मयानंद ने कई लड़कियों के जीवन को नष्ट कर दिया है।
एसएस लॉ कॉलेज की लापता छात्रा के पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगाए संगीन आरोपों से आए ‘भूचाल’ से भाजपा की राजनीति के आंतरिक टकराव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इधर जिस तरह स्वामी चिन्मयानंद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के साथ मजबूती से खड़े नजर आ रहे थे उससे योगी विरोधी भाजपाई खेमों में बहुत हलचल थी। मंत्रिमंडल के विस्तार में जिस तरह कतिपय मंत्रियों के पर कतरे गए और संघ की समन्वय बैठक में उप मुख्यमंत्रियों को बनाये रखने के औचित्य पर सवाल उठे और संघ ने इस पर विचार का आश्वासन दिया उससे योगी के विरुद्ध आंतरिक गोलबंदी बहुत बढ़ गयी है और स्वामी चिन्मयानंद पर इस हमले को उसी कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है।
2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के साथ योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो उनसे पुराने संबंधों के जरिये स्वामी चिन्मयानंद एक बार फिर सक्रिय हुए।स्वामी चिन्मयानंद की मुख्यमंत्री से नजदीकी ने शाहजहांपुर के कद्दावर नेताओं को उनके सामने बौना कर दिया था। उनकी राजनीतिक ताकत बढ़ी तो उनके विरोधी भी सक्रिय हो गए। मुख्यमंत्री पिछले साल स्वामी चिन्मयानंद के मुमुक्ष शिक्षा संकुल आए तो उन्होंने उन्हीं के साथ भोजन किया। इसके बाद इसी साल अप्रैल में भी मुख्यमंत्री नवादा दरोबस्त गांव में भ्रमण पर पहुंचे तब भी स्वामी के आगे शाहजहांपुर के दूसरे कद्दावर नेताओं का कद काफी छोटा नजर आया। पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच पर स्वामी का वर्चस्व रहा। हाल ही में जब छात्रा का वीडियो वायरल हुआ तो उसका पिता के एक कद्दावर नेता के संपर्क में होने की चर्चा भी काफी फैली।