Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

चुनाव आयोग ने साबित किया कि वह भाजपा के दबाव में है और ऐसी शंका सही है

उज्जवल निकम को टिकट देकर प्रधानमंत्री ने कहा, अगर कांग्रेस और सहयोगी जीत गये तो आतंकवादियों को प्रधानमंत्री के घर में बिरयानी खिलाई जायेगी (टाइम्स ऑफ इंडिया)

संजय कुमार सिंह

आज के अखबारों से भी देश में मौजूद व्यवस्था और उससे जुड़ी विडंम्बनाओं का पता चलता है। दो मामले दिलचस्प हैं और उन्हीं से संबंधित बयानों और छिद्रान्वेषण से पता चल जायेगा कि हम कहां है और कैसा विकास हुआ है। पहली खबर चुनाव आयोग की है और दूसरी कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले की। आज इन दो ही खबरों की चर्चा करूंगा। पहले चुनाव आयोग। अमर उजाला का शीर्षक है, कांग्रेस संविधान खत्म होने जैसे बयान न दे, भाजपा धर्म व संप्रदाय पर न बोले। इसका फ्लैग शीर्षक है, चुनाव आयोग ने भाजपा अध्यक्ष नड्डा व कांग्रेस प्रमुख खरगे के जवाब किये खारिज, दी नसीहत …। कहने की जरूरत नहीं है कि चुनाव आयोग के किये का जो मतलब है, वह यही है। वह नसीहत भर दे रहा है, वरना आप जानते हैं प्रधानमंत्री ने किस भाषण के लिए कब चुनाव आयोग ने पार्टी अध्यक्ष को नोटिस जारी किया और उनका जवाब कितने दिन में आया और उसके बाद चुनाव आयोग ने जवाब खारिज कर दिये तो क्या बिगाड़ या सुधार दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रधानमंत्री के भाषण सब सुन, देख और पढ़ रहे हैं। आज ही टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड है, विपक्ष के झूठ अब काम नहीं करते, कुछ ही मिनट में पोल खुल जाती है : मोदी”। कहने की जरूरत नहीं है कि प्रधानमंत्री ने कहा है तो खबर है और खबर है तो छपी है और छपी है इसलिए मैं बात कर रहा हूं और यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि प्रधानमंत्री कितनी अगंभीर बात कर रहे हैं और टाइम्स ऑफ इंडिया उसे लीड बनाकर गंभीरता देने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें भाजपा जीत जाये तो वही करती रहे जो वह कर रही थी और उसमें एक है संविधान से खिलवाड़। चुनाव से पहले और शुरुआती दिनों में भाजपा नेताओं ने कहा था और यह रिकार्ड में होगा, मिल जायेगा कि भाजपा को 400 सीटें चाहिये ताकि वह संविधान बदल सके। निश्चित रूप से यह एक गंभीर बात है और इसीलिए कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया और इसीलिए यह जन-जन तक पहुंचा। लोगों पर असर हुआ और चिन्ता हुई।

यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि भाजपा ने देश में हिन्दू-मुसलमान करके ही अपनी लोकप्रियता बढ़ाई है और इसमें उसे देश के हिन्दू समाज का शर्मनाक साथ मिला है। मुझे लगता है कि हिन्दू-मुसलमान करने के असंवैधानिक तरीके से सत्ता पाकर भाजपा ने अच्छा प्रशासन दिया होता, अच्छी सरकार चलाई होती या कायदे से हिन्दुओं का भला ही किया होता तो पार्टी को यह कहने की जरूरत नहीं पड़ती कि वह आरएसएस के बिना भी सक्षम है। भाजपा ने देश को एक अच्छी सरकार दी होती तो अभी चर्चा चल रही होती कि सरकार ने अच्छा काम (जनहित) किया। कर्ज लेकर सड़क बनाना या गरीबों की सुविधायें खत्म करके वंदेभारत जैसी ट्रेन चलाना या झूठे प्रचार करना अच्छी सरकार देना नहीं है। अच्छी सरकार वह होती जो लोगों को काम देती। सही कीमत पर जरूरी सुविधाएं देती और सुविधा सिर्फ शौंचालय नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री मानते हैं कि पकौड़े बेचना भी रोजगार है और सड़कों के निर्माण में भी लोगों को काम मिला होगा। पर यह अलग मुद्दा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बेरोजगारी का कारण बढ़ी हुई आबादी को बताया जाता है। बच्चे खास लोग ज्यादा पैदा करते हैं।  तो जो ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करते हैं वो बेरोजगार नहीं हैं या जो बेरोजगार हैं वो ज्यादा बच्चे ही हैं। बिल्कुल बेसिरपैर की बात सर्वोच्च स्तर पर की जाती है और यह इलेक्टोरल बांड से वसूली के मामले में भी की गई। उसे प्रति सांसद कर दिया गया था। जबकि वसूली प्रति सांसद भी गलत है। सांसद वसूली के लिए नहीं चुने जाते हैं पर सब चल रहा है और चूंकि हिन्दू-मुसलमान करते रहने से चुनाव जीतना आसान है, लोग काम की अपेक्षा नहीं करते हैं और जो भी किया जाये, नेता को भगवान मानते हैं इसलिए आगे चुनाव जीतते रहने के लिए संविधान में कुछ आड़े आ रहा है तो उसे बदल दो। यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि संविधान में संशोधन तो होते ही रहे हैं पर बात उसकी मूल भावना को बदलने की है।  

कांग्रेस ने मुद्दा बनाया और तब बनाया जब यह डर स्थापित हो गया कि सभी संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रण में लेकर सरकार अगर चुनाव प्रचार करती रहेगी तो हर बार जीतती रहेगी। इसीलिए इस बारे चुनाव को अंतिम चुनाव भी कहा गया और सबका असर हुआ लगता है। प्रधानमंत्री के भाषणों से भी ऐसा लगता है। इसके अलावा वे जिस स्तर पर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं वह जरूरी नहीं है लेकिन मजबूरी दिख रही है और इसीलिए चुनाव आयोग ने ऐसा आदेश दिया है जो चुनाव या देश के हित में कम, भाजपा के हित में ज्यादा है। कुल मिलाकर, अपने इस आदेश से चुनाव आयोग ने भाजपा की सहायता की है। यह अलग बात है कि कांग्रेस आयोग की नसीहत नहीं मानती है तो चुनाव आयोग क्या कर सकता है या करेगा। पर वह बाद की बात है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अभी टाइम्स ऑफ इंडिया के लीड की बात करता हूं। इसका इंट्रो है, कश्मीर में मतदान का प्रतिशत बढ़ना बहुत संतोषजनक है। दूसरी ओर, यह भी कहा जा रहा है कि यह लोगों की नाराजगी है। चूंकि भाजपा कश्मीर में चुनाव ही नहीं लड़ रही है तो यह समझना मुश्किल होगा कि यह मतदान उसके समर्थन में था या विरोध में। लेकिन प्रधानमंत्री को इससे संतोष है तो वे बोल रहे हैं और यह खबर भी है। लेकिन देश भर में मतदान का प्रतिशत काम हो रहा है। समझा जा रहा है कि भाजपा के लोग और प्रचारक वोट नहीं दे रहे हैं। इसमें हजारीबाग के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा को वोट नहीं देने के लिये कारण बचाओं नोटिस जारी किया जाना शामिल है। फिर भी प्रधानमंत्री को यह अधिकार है कि वे कम मतदान की चिन्ता न करें (चुनाव आयोग कर रहा है) और ज्यादा मतदान पर खुशी जतायें। ऐसा किया है तो यह खबर भी है लेकिन इसकी गंभीरता कितनी है आप जानते हैं। इसपर सरकार का यह दावा है कि इस बार जीत गई तो पाक अधिकृत कश्मीर भारत का होगा। जो है वो संभल नहीं रहा है, जो दस साल नहीं किया वह तीसरी बार करने का सपना दिखाना गलत नहीं है।

इस मुख्य खबर के साथ टाइम्स ऑफ इंडिया की एक और खबर का शीर्षक है, अगर कांग्रेस और सहयोगी जीत गये तो आतंकवादियों को प्रधानमंत्री के घर में बिरयानी खिलाई जायेगी। आतंकवादियों को बिरयानी खिलाने का संदर्भ अजमल कसाब को बिरयानी खिलाने की अफवाह से है और दुनिया जानती है कि यह झूठ और प्रचार था फिर भी इसके लिए जिम्मेदार उज्ज्वल निकम को भाजपा ने टिकट दिया है और वे चुनाव लड़ रहे हैं। कुल मिलाकर, आतंकवादियों को बिरयानी खिलाने की अफवाह भाजपाई प्रचार थी, उसका प्रचार और उपयोग प्रधानमंत्री द्वारा किया जा रहा है। अखबार खबरों के साथ अपने मन की बात नहीं लिख सकते हैं। इसलिए मैं यह नहीं कहता कि अखबारों को यह सब लिखना ही चाहिये पर जो लिखा जाये उसका मतलब तो निकलना चाहिये और प्रधानमंत्री का कहा है तो सच भी होना चाहिये। लेकिन स्थिति यह है कि प्रधानमंत्री खुद झूठ बोल रहे हैं और दूसरों पर झूठ बोलने और उसका खुलासा होने की उम्मीद जता रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रधानमंत्री ने जो कहा है उसमें, ‘नो लांगर’ या ‘अब’ भी है। इससे लगता है कि पहले विपक्ष के झूठ काम करते थे (और अभी सरकार के कर रहे हैं)। आप जानते हैं कि 2014 में और उससे पहले भाजपा और नरेन्द्र मोदी विपक्ष में थे और तब चुनाव प्रचार में कम झूठ नहीं बोले गये थे। इस झूठे प्रचार के लिए अन्ना हजारे का सहयोग भी था। उस समय के सीएजी का प्रचारित एक लाख 76 हजार करोड़ का कथित दूरसंचार घोटाला, कोयला घोटाला भी था और कांग्रेसियों के भ्रष्ट होने का आरोप भी। 10 साल में सरकार किसी कांग्रेसी को भ्रष्टाचार में सजा नहीं दिला पाई और जो लोग जेल में हैं वो मामले अभी साबित नहीं हुए हैं, जो कथित भ्रष्टाचार हुए हैं वो नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए हैं और जो लोग जेल में हैं वह इसलिए नहीं कि उनपर भ्रष्टाचार के मामले हैं बल्कि इसलिए हैं कि उनपर (ज्यादातर पर) पीएमएलए का केस है और पीएमएलए में जमानत नहीं मिलने का नियम सुप्रीम कोर्ट के जिस जज ने पास किया वो ईनामी हैं यानी उन्हें इसके बाद सरकार ने ईनाम दिया है।  

नियम या कानून के पालन का आलम यह है कि नाबालिग द्वारा पुणे में महंगी पोर्श कार चलाने से हुई दुर्घटना में दो लोगों की मौत के मामले में कार के मालिक उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके बारे में छप चुका है कि वे बिल्डर हैं। पर नाबालिग का नाम ‘गोपनीय’ है। आज हिन्दुस्तान टाइम्स की  एक खबर के अनुसार, उसके दादा ने 2009 में छोटा राजन गैग को किसी की हत्या की सुपारी दी थी। खबर में लिखा है कि दादा का नाम नहीं लिखा जा सकता है क्योंकि बच्चे की पहचान उजागर हो जायेगी। जो भी हो, पत्रकार नियम का पालन कर रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नहीं कर रहे हैं और उनका कुछ किया भी नहीं जा सका है। उल्टे संविधान बदलने के उनके कथित इरादे से उनकी हार तय लग रही है तो चुनाव आयोग उनका बचाव कर रहा है जबकि 2014 में स्विस बैंक में रखा काला धन 100 दिन में वापस लाने और सबको 15 लाख मिलने जैसे जुमले सच नहीं हुए तो ना चुनाव आयोग को चिन्ता है और ना समर्थकों को।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब दूसरी खबर पर आता हूं। यह कलकत्ता हाईकोर्ट की है और हाईकोर्ट की कहानियां आप सुनते रहे हैं। इनमें एक जज साब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और एक ने कहा कि वे आरएसएस से जुड़े हैं और रिटायर होकर आरएसएस के लिए काम करेंगे। जो साब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं उनपर 24 घंटे का प्रतिबंध लगाया गया था यानी चुनाव प्रचार में जो बोल रहे थे उन्हें नहीं बोलना चाहिये। यह कोई सड़क छाप नेता करता तो अलग बात थी। हाईकोर्ट के जज हैं और भाजपा ने उन्हें टिकट दिया है। इससे सवाल उठता है कि भाजपा ने कैसे लोगों को टिकट दिये हैं। यह एक खबर भी हो सकती थी। लेकिन उसे छोड़िये, आज की खबर है भांति भांति के जज वाले कलकत्ता हाईकोर्ट का नया आदेश। इसके अनुसार पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी ओबीसी प्रमाणपत्र निरस्त। इसके तहत मुसलमानों को दिया गया था पिछड़े वर्ग का दर्जा। हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रमाणपत्र वैध नहीं है, विधानसभा से तय होगा पिछड़ा कौन।

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार (जो अमर उजाला में छपा है), इन जातियों को ओबीसी घोषित करने के लिए वास्तव में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है। हमारा मानना है, मुसलमानों की 77 श्रेणियों को पिछड़े के रूप में चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है। कोर्ट का मन इस संदेह से मुक्त नहीं है कि इस समुदाय को राजनैतिक उद्देश्यों के लिए एक वस्तु के रूप में माना गया है। 77 श्रेणियों को ओबीसी में शामिल करने संबंधी श्रृंखला और उनके समावेश से स्पष्ट होता है कि इसे वोट बैंक के रूप में देखा गया है। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कहा है उसे अमर उजाला ने, तुष्टीकरण करने वालों के मुंह पर तमाचा” शीर्षक से छापा है। खबर के अनुसार, चुनावी रैली में प्रधानमंत्री ने कहा, बंगाल सरकार वोट बैंक के लिए मुस्लिमों को अनाप शनाप तरीके से ओबीसी प्रमाणत्र दे रही थी

Advertisement. Scroll to continue reading.

कहने की जरूरत नहीं है कि सरकार यह प्रमाणपत्र 2010 से ही दे रही थी और हाईकोर्ट ने कहा है कि विधानसभा में तय होगा तो हो जायेगा या हुआ ही होगा। आगे वही तय करेगा जो बहुमत में है और यही नियम है। इसका उपयोग चुनाव जीतने या किसी को हराने के लिए करना कैसे सही है जबकि सरकारें अपने काम के आधार पर चुनी जाती है। इसमें तुष्टीकरण शामिल हो सकता है लेकिन इसके लिए संतुष्टीकरण कैसे सही है और अगर सही है तो चुनाव का क्या मतलब जब संतुष्ट होने वालों की संख्या ही ज्यादा है। यह चुनाव का आधार नहीं हो सकता है। इसपर रोक भी है, चुनाव आयोग ने कहा भी है लेकिन उसका असर या फायदा?

दूसरी ओर, मुसलमानों के विरोध को हिन्दुओं का समर्थन प्रचारित कर दिया गया है और इसके लिए संविधान की मूल भावना में परिवर्तन की बात है और यह काम वह नहीं कर सकता है जो सरकार में है, जिसने, सबके लिये भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना काम करने की शपथ ली है। इसीलिये, ममता बनर्जी ने कहा है कि यह फैसला किसी भी हाल में स्वीकार नहीं है। एक जनसभा में उन्होंने कहा और अमर उजाला में खबर है, मैं इस फैसले को स्वीकार नहीं करती। जिसने भी फैसला दिया है, वो देते रहें, मैं नाम नहीं लूंगी, ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। द टेलीग्राफ की खबर के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भाजपा का फैसला है, स्वीकार नहीं करेंगी। इस खबर के अनुसार आदेश से 5 लाख सर्टिफिकेट अवैध हो गये हैं। दोनों सरकार का पक्ष साफ है और यह भी कि केंद्र सरकार हिन्दू मुस्लिम करके बंगाल में अपनी पकड़ बढ़ाना चाहती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भाजपा की मुस्लिम विरोधी या हिन्दू समर्थक भूमिका बहुत साफ है, उसने अच्छा प्रशासन नहीं दिया, मुसलमानों को देश निकाला नहीं दिया जा सकता है। फिर भी दूसरे देश से मुसलमानों को छोड़कर बाकी को आमंत्रित करने और यहां की नागरिकता देने के लिए कानून बना है, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का अधिकार जबरन ले लिया गया है, पूर्व में विरोध करने वाले चुनाव आयुक्त ही नहीं विपक्षी दलों और लोगों को परेशान करने के उदाहरण हैं। इनमें एनजीओ चलाने वाले लोग और विपक्षी सरकारे शामिल हैं। मुख्यमंत्री को विदेशी चंदे के लिए ईडी के जरिये मीडिया के सहयोग बदनाम किया गया और पीएम केयर्स आरटीआई से मुक्त है। इलेक्टोरल बांड की तो बात ही नहीं है।   

जहां तक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और दावे की बात है, वाशिंग मशीन पार्टी कहे जाने और तमाम भ्रष्टाचारियों को पार्टी में शामिल करके महत्वपूर्ण पद दिये जाने और उनके खिलाफ जांच ठंडे बस्ते में चले जाने और 10 साल में एक भी भ्रष्टाचारी को सजा नहीं दिला पाने के बावजूद, प्रधानमंत्री ने कहा और आज नवोदय टाइम्स ने चार कॉलम में छापा है, इस बार भ्रष्टाचार पर और भी करारा वार। लेकिन स्थिति यह है कि सभी चोरों का नाम मोदी क्यों होता है पूछने पर राहुल गांधी को सजा हो गई। ललित मोदी की वकील रही सुषमा स्वराज की बेटी, बांसुरी स्वराज भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। प्रज्वल रेवन्ना का पासपोर्ट अभी रद्द नहीं हुआ है और स्वाति मालीवाल को खरोंच आने पर एक मुख्यमंत्री का सहायक गिरफ्तार कर लिया गया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इंडियन एक्सप्रेस में आज एक जैसी दिखने वाली दो खबरें ऊपर नीचे छपी हैं। ऊपर वाले का शीर्षक है – “कांग्रेस, आम आदमी पार्टी पर प्रधानमंत्री : वे सांप्रदायिक हैं, मैं नहीं …. उनकी संपत्ति का एक्स-रे कराउंगा”। इसकी नीचे लगभग इतनी ही बड़ी और देखने में ऐसी ही खबर एक खबर का शीर्षक है, सिस्टम छोटी जातियों के खिलाफ झुका हुआ है, इसे जन्म से देखा है : राहुल”। उपशीर्षक है, दो मुख्यमंत्री गिरफ्तार कर लिये गये, जो आदिवासी है वह अभी भी जेल में है …. दो तरह के नियम हैं”। राहुल गांधी की यह खबर दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं दिखी हालांकि हिन्दुस्तान टाइम्स में आज अरविन्द केजरीवाल का इंटरव्यू है और इसका शीर्षक है, “दिल्ली के लोग नाराज हैं, उन्हें पता है मुझे जेल भेजना गलत था।” टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी केजरीवाल का इंटरव्यू छापा है और यहां शीर्षक है, मुख्यमंत्री ने कहा, अगर वे लोकतंत्र को जेल में रखेंगे तो हम इसे वहीं से चलायेंगे। द हिन्दू में इसका शीर्षक है, आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय शक्ति है जो राष्ट्रीय गठजोड़ के भाग के रूप में चुनाव लड़ रही है।  

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement