बद्री प्रसाद सिंह-
नेकी कर दरिया में डाल। बात १९८३-८४ की है। मैं प्रतापगढ़ में सीओ लाइन था और किसी कार्य हेतु पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद आया था। मुख्यालय में जगह जगह लिखा था कि कृपया अधिकारी के पैर न छुयें। यह मैंने पहली बार देखी।मैंने उत्सुकतावश वहां के एक बड़े बाबू से पूछा तो उसने बताया कि नए DIG साहब अपना पैर छुआ कर प्रसन्न होते हैं, इसीलिए यह पट्टी लगी है।तब PHQ का प्रभारी DIG ही होता था। विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में मैंने एंटी कन्वेसिंग देखी थी,अब पैर छुआने का यह नया तरीका पहली बार देखा।
पैर छूने छुआने की सनातन परम्परा रही है। मंदिर में देवी-देवताओं के पैर छूकर लोग मन्नत मागते हैं।माता-पिता, गुरु, बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता रहा है। आजादी के बाद हमे नेता के रूप में नए भगवान मिले।कोटा- परमिट, ट्रांसफर- पोस्टिंग घोटाला-हवाला आदि अपरिमित शक्तियों के स्वामी ये लोग पैर छूने से प्रसन्न होते हैं इसलिए यह प्रथा बढ़ी। ब्राह्मण नेता,खासकर पंडित कमलापति त्रिपाठी जी के दरबार में यह प्रथा जगजाहिर थी।बाद के अन्य जाति के नेता भी अपना रुतबा प्रदर्शन करने हेतु इसका अनुसरण करने लगे।महाजनों येन गत: सा पंथा।
सुश्री मायावती जी को जहाज में वरिष्ठ नौकरशाह द्वारा जूता पहनाने की घटना सर्वविदित है। पूर्व मुख्य सचिव TS R सुब्रमणियन ने अपनी पुस्तक Journeys through Baboodom and Netaland : Governance in India में उत्तर प्रदेश के IAS सप्ताह में तत्कालीन मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव के भाषण को उद्घृत करते हुए लिखा है कि जब वरिष्ठ नौकरशाह मनचाहे पद के लिए उनके पैर छूते हैं, गिड़गिड़ाते हैं तो वह नियुक्ति तो देते हैं लेकिन उसकी कीमत भी वसूलते हैं।योगी जी संत ही हैं तथा महराज के नाम से जाने जाते हैं, अधिकारी उनके पांव छूकर धन्य हो जाते हैं। आपातकाल में मुख्यमंत्री गण संजय गांधी को जूते पहनाकर धन्य हो जाते थे।
आजादी से पहले महामना मालवीय जी संगम तट पर गरीबों के पैर धोए थे।प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने नेहरू के विरोध के बावजूद भी कुंभ में संगम तट पर ब्राह्मण के पांव पूजे हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी भी कुंभ में संगम तट पर पांच सफाई कर्मचारियों के पैर छुए थे।इन सबसे स्पष्ट है कि किसी के पैर छूने में कोई बुराई नहीं है।
अभी एक अंग्रेजी अखबार में छपा है कि रायबरेली के एक पुलिस अधिकारी (सीओ)अंजनी कुमार चतुर्वेदी को शिवपाल सिंह यादव के पैर छूने के आरोप में दाखिल दफ्तर कर उनके विरुद्ध जांच बिठा दी गई है।
सीओ ने क्या गुनाह किया,किस बात का दंड उन्हें मिला? क्या इसलिए कि शिवपाल सिंह यादव सत्ता दल के नहीं हैं, या ब्राह्मण सीओ ने यादव के पैर छुए? संभव है शिवपाल सिंह का उस पर एहसान हो या भविष्य सुधारने हेतु उसने ऐसा किया हो,या उसके पड़ोसी हों और वह उन्हें पहले से ही सम्मान देता रहा हो। पुलिस वाले भ्रष्टाचार ,दुर्व्यवहार के लिए तो दंडित होते रहे हैं लेकिन सम्मान करने पर शायद ही कभी दंडित हुए हों। नेकी कर दरिया में डाल।