सरकार, सामाजिक संगठन और कई लोग इस संकट के दौर में भोजन, पानी मुहैया करा रहे हैं. लेकिन एक तरफ उस बिरादरी के साथ अन्याय हो रहा है जो लोगों की समस्याओं को दिन-रात संघर्ष करके सरकार और प्रशासन के सामने रख रहे हैं, यानी पत्रकार. आपको यह जानकर आश्चर्य और दुख भी होगा कि लाक डाउन के दौरान जिस समय देश कठिन दौर से गुजर रहा है, उसी समय दबंग दुनिया अखबार का प्रबंधन यानी किशोर वाधवानी ने अपने यहां कार्यरत पत्रकारों के अलावा करीब 25 मीडिया कर्मचारियों को देश के अलग-अलग शहरों में स्थानांतरित किया है.
भोपाल से करीब आधा दर्जन पत्रकारों को मुंबई ,रायपुर और दिल्ली जैसे शहरों में स्थानांतरित किया गया है ताकि वह अपनी नौकरी छोड़ दें और इस अवधि में वेतन नहीं देना पड़े. इसके अलावा पिछले दो महीने से वेतन भी नहीं दिया गया. अब सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसे समय प्रशासन कहां है? क्या प्रशासन ऐसे लोगों से डरता है? क्या प्रशासन ऐसे लोगों के हाथ की कठपुतली बन चुका है? जो पत्रकार दिन रात एक कर के इस गंभीर समय में भी खबरें आम जनता तक पहुंचा रहे थे और आम जनता के दुख प्रशासन तक पहुंचा रहे थे, उन्हें ही दुख दे दिया.
मैं बहुत ऐसे पत्रकारों को जानता हूं जिनके पास रोजगार का साधन उनकी पत्रकारिता ही है. ऐसे संकट की घड़ी में अगर उनसे आपने इस काम को भी छीन लिया तो बताइए कितना बड़ा अन्याय है? इस पूरे मामले की शिकायत मैंने पीएमओ से लेकर कलेक्टर और डीजीपी, पीआईबी को भी भेजी है, लेकिन अभी किसी का कोई जवाब नहीं आया है. आश्चर्यजनक और गंभीर बात यह भी है कि जिन लोगों के जहां ट्रांसफर किए गए हैं वहां जानकारी दी ही नहीं गई.
ऐसे दुराचारी जिनके ऊपर बलात्कार और भ्रष्टाचार सहित कई आरोप लगे हैं, उनकी जेब में सरकार है प्रशासन है. भाइयों, इस मामले में दबंग दुनिया के मालिक किशोर वाधवानी के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए कि नहीं?
जब मैं सरकार और प्रशासन के खिलाफ लिख सकता हूं तो क्या मुझे अपनी पत्रकार बिरादरी के पक्ष में या उसके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ नहीं लिखना चाहिए? इस मामले में मैंने 9 अप्रैल को पीएम को मेल पर शिकायत की थी… उसे देखें-
प्रधानमंत्री जी
भारत सरकार
विषय – इस संकट के दौर में अपने कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी कर वेतन नहीं देने के संबंध में आवेदन।
महोदय मैं नितिन दुबे पिछले 25 साल से राजधानी भोपाल में पत्रकारिता करके अपने परिवार का संचालन कर रहा हूं। मैं राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार हूं और वर्तमान में दबंग दुनिया में सिटी चीफ के पद पर कार्यरत था। कुछ दिन पहले दबंग दुनिया प्रबंधन ने मेरा स्थानांतरण मुंबई कर दिया था। स्थानांतरण की समय अवधि के बाद जब मैं मुंबई जॉइनिंग के लिए गया तो वहां के संपादक श्री यादव ने मुझसे कहा कि हमें आपकी जॉइनिंग के संबंध में किसी तरह की कोई सूचना नहीं है।
पांच दिन मुंबई होटल में रुकने के बाद मैंने भोपाल आकर पुनः दबंगदुनिया प्रबंधन से इस संबंध में चर्चा की। तब प्रबंधन ने जवाब दिया कि कुछ दिनों बाद देखते हैं। उसके बाद देश में लाक डाउन हो गया और और सभी का आना जाना बंद हो गया। मैंने कई ईमेल और फोन प्रबंधन के एचआर से लेकर मालिक श्री किशोर वाधवानी तक को किया, लेकिन मुझे किसी तरह का कोई जवाब नहीं मिला।
केवल अपनी कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी कर हटाने की नियत से उनका स्थानांतरण इन्होंने किया मैं ही नहीं करीब आधा दर्जन से ज्यादा पत्रकारों को दिल्ली मुंबई रायपुर जैसे शहरों में लाकडाउन अवधि के दौरान स्थानांतरित किया। संस्था का उद्देश्य था कि इस दौरान हमें वेतन नहीं देना पड़े। महोदय अगर प्रबंधन को हमें हटाना ही था तो सीधा पत्र देकर हमें हटा दिया जाता। लेकिन इस तरह पहले ट्रांसफर और फिर जहां ट्रांसफर हुआ है वहां प्रभारी को सूचित ही नहीं किया गया उसे मेल भी नहीं किया गया । इसका सीधा मतलब यह है कि दबंग दुनिया प्रबंधन नियमों की अवहेलना कर अपने कर्मचारियों को हटा रहा है। महोदय मुझे पिछला वेतन नहीं मिला इसके अलावा अगर संस्थान हटाना चाहती है तो नियमानुसार हमें 3 महीने के वेतन का भुगतान किया जाए ।कानून को तोड़ने के लिए उन्होंने स्थानांतरण के पत्र तो दे दिए लेकिन जहां जॉइनिंग थी वहां सूचित नहीं किया गया। कुल मिलाकर वह चाहते थे कि यह लोग हट जाएं और संस्था कानून की नजर में गुनहगार नहीं बने और वह कानून से कह सकें कि हमने तो स्थानांतरण किया है हटाया नहीं है।
महोदय इस समय वेतन नहीं मिलने के कारण पूरे परिवार को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मेरा निवेदन है 3 महीने का वेतन और जितना भी पुराना बकाया है उसका भुगतान किया जाए। आशा है कि आप इस संबंध में कठोर कार्रवाई कर संस्थान के खिलाफ प्रबंधन के खिलाफ प्रकरण दर्ज करेंगे
आवेदक
नितिन दुबे
सिटी चीफ
दबंग दुनिया
भोपाल
फोन- 9630130003