एक नयी उदारवादी पार्टी आज़ाद भारतम् ने मांग रखी है कि सभी केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और संवैधानिक संस्थानों को दिल्ली से हटाकर देश के अलग अलग राज्यों में स्थापित किया जाए ताकि दिल्ली की आबादी में 30 लाख की कमी हो सके. इससे विषैले वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम को सहने योग्य सीमा के अन्दर लाया जा सकेगा. पार्टी ने संसद, राष्ट्रपति भवन, प्रधान मंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को इस मांग के दायरे से बाहर रखा है.
विभिन्न रिपोर्टों और स्त्रोतों का हवाला देते हुए पार्टी के संस्थापक राकेश अग्रवाल ने कहा कि वायु प्रदूषण से हर दिल्लीवासी ना केवल 10 साल जल्दी मर जाता है बल्कि इस से शहर में हर साल 30,000 मौतें भी होती हैं जो कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों से 20 गुणा ज्यादा हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्व कि सबसे प्रदूषित राजधानी है. इसे अंतर्राष्ट्रीय शर्म की संज्ञा देते हुए अग्रवाल ने मांग रखी कि जैसे ब्रिटेन की संसद ने 1 मई को अपने देश में “पर्यावरण आपदा” की घोषणा की है, उसी प्रकार भारत में भी वायु प्रदूषण को “राष्ट्रीय आपदा” घोषित किया जाए.
एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने सवाल उठाया, “क्या जीवन से भी बढ़कर कुछ हो सकता है? वो दिन दूर नहीं जब हर बच्चा ऑक्सीजन सिलिंडर से बंधे एक मास्क को चेहरे पर लगाए स्कूल जाता हुआ दिखाई देगा. चुनावी घोषणापत्रों में पर्यावरण और परिवहन के प्रति प्रतिबद्धता दिखाना मात्र पर्याप्त नहीं है; राजनीतिक पार्टियों को वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम के कहर से निपटने के लिए विस्तृत योजनायें बनाकर उन्हें जनता के सामने रखना चाहिए”.
ट्रैफिक जाम और उस से उत्पन्न वाहनों के धुएं को वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बताते हुए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के हवाले से अग्रवाल ने बताया कि ट्रैफिक जाम का जो मूल्य हम चुका रहे हैं, वो दिल्ली के सालाना बजट के बराबर है.
पार्टी के एक अन्य नेता राजीव शर्मा ने कहा कि वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम के दोहरे संकट से निपटने के लिए दिल्ली की आबादी को कम करना होगा. इस दिशा में सरकार का सबसे साहसपूर्ण कदम होगा स्वयं को दिल्ली से बाहर ले जाकर देश के अलग अलग हिस्सों में स्थापित कर देना.
इस एक कदम मात्र से दिल्ली भीड़ मुक्त होगी और खुलकर सांस ले पाएगी क्यों मीलों तक भूमि, लाखों वर्ग फुट ऑफिसों की जगह और लाखों आवासीय वर्ग फुट जिनमें केंद्रीय अफसर रहते हैं खाली हो जायेंगे. पार्टी ने सुझाव रखा कि दिल्ली का एक नया मास्टर प्लान बनाया जाए जिसमें इस तरह से सभी खाली हुई बिल्डिंगों और भूमि खण्डों पर नए पार्क, जंगल, स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, पार्किंग, खेल के मैदान, यूनिवर्सिटी, अस्पताल, कला संस्थान, प्राइवेट बिज़नेस, शौपिंग बाज़ार, कमर्शियल सेंटर, और सेवादारों (धोबी, ड्राईवर, सब्जीवाला, दूधवाला, चपरासी आदि) के रहने के लिए झुग्गी मुक्त सम्मानजनक निवासों को बनाने का प्रावधान हो.
पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि इस कदम से पर्यावरण, हवा, ट्रैफिक प्रबंधन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सीधा सीधा फायदा होगा. हवा साफ़ होगी और सड़कें ट्रैफिक जाम से मुक्त होंगी तो दिल्लीवासी 10 साल ज्यादा जियेंगे, स्वस्थ होंगे और प्रसन्न रहेंगे. ट्रैफिक जाम से होने वाला आर्थिक नुक्सान आधा रह जाएगा. पार्किंग को लेकर झगडे नहीं होंगे, सड़कों पर road rage नहीं होगा और दिल्ली में शान्ति का माहौल बनेगा.
एक अन्य पार्टी नेता अमल शर्मा ने तर्क दिया कि दूसरी तरफ जिन राज्यों में सरकारी विभागों को स्थापित किया जाएगा, वहां अनेक प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियाँ बढेंगी जिनसे नए रोज़गार पैदा होंगे, तरह तरह के उद्यम लगेंगे, और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा जैसे ट्रांसपोर्ट, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, सीवर, पानी व अन्य सुविधाएँ. अग्रवाल ने कहा कि विभागों को स्थानांतरित करने से निर्माण उद्योग को विशेष बल मिलेगा जो कि अगले दस-बीस वर्षों तक हमारी अर्थव्यवस्था की प्रगति का मुख्य कारक होगा. निर्माण और इस से जुड़े अन्य उद्योग ही करोड़ों ग्रामीण मजदूरों को रोज़गार देने की क्षमता रखते हैं.
लोगों को अपने राज्य में ही रोज़गार उपलब्ध होगा तो दिल्ली की तरह होने वाले जन बहाव में भारी कटौती होगी. दिल्ली में प्रचुर मात्रा में भूमि की उपलब्धता होने पर झुग्गी-झोंपड़ियों और अनधिकृत कालोनियों का पुनर्विकास किया जा सकता है. गिरती हुई जनसँख्या से स्वास्थ्य और शिक्षा में मांग और सप्लाई का अंतर कम हो जायेगा जिस से इनके इंफ्रास्ट्रक्चर पर बोझ घटेगा और आरक्षण जैसे फैसले लेने की नौबत नहीं आएगी.
प्रेस वार्ता के अंत में अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई भी पार्टी इस साहसपूर्ण कदम को उठाने का पक्का वायदा नहीं करती है तो आज़ाद भारतम् पार्टी उस दिन के लिए काम करेगी जब वो खुद पूरी प्रतिबद्धता और निष्ठा से इसे पूरी तरह से लागू कर सके चाहे इसमें कितने भी साल क्यों ना लगें.
आज़ाद भारतम् पार्टी के बारे में पूछने पर अग्रवाल ने बताया कि विचारधारा में यह एक उदारवादी पार्टी है जो 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में पहली बार चुनाव लड़ेगी. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी हर हफ्ते एक नए समसामयिक मुद्दे को समाधान सहित सामने लाएगी. साथ ही उन्होंने जोड़ा कि गंभीर गवर्नेंस को फोकस में लाते हुए आज़ाद भारतम् पार्टी हर प्रकार की नकारात्मक राजनीति को अप्रासंगिक कर देगी.
राकेश अग्रवाल न्यायभूमि नामक संस्था के संस्थापक-सचिव भी हैं जो दिल्ली में ऑटो चालकों के बीच काम करने के लिए जानी जाती है. सन् 2013 में वे आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल से मतभेदों के कारण पार्टी से अलग हो गए थे.