Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

डिजिटल कुशलता और उद्यमिता

पी. के. खुराना

बेरोज़गारी, गरीबी और अभाव ऐसी स्थिति है जिससे हर कोई बचना चाहेगा। बहुत मेहनत के बावजूद भी बहुत से लोग गरीबी और अभावों का जीवन जीते हैं। अक्सर लोग अपनी स्थिति से समझौता करके गरीबी को अपनी किस्मत मान लेते हैं, दरअसल उन्हें मालूम ही नहीं होता कि ऐसे कौन से उपाय हैं जिनकी सहायता से वे गरीबी से उबर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

हमारे देश के बहुत से राज्य ऐसे हैं जिनकी भौगोलिक स्थिति के कारण वहां बड़े उद्योग नहीं लग सकते, या पूरे राज्य में उद्योग नहीं लग सकते। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर-पूर्व के राज्य ऐसे ही राज्यों की श्रेणी में हैं। हिमाचल प्रदेश में बद्दी, नालागढ़, परवाणु और ऊना को छोड़ दें तो ऊपरी हिस्से में ऐसे उद्योग अथवा संस्थान न के बराबर हैं जो बड़ी संख्या में रोज़गार का कारण बन सकें। पहाड़ी राज्य अपनी सुंदरता के कारण पर्यटन-स्थल हैं जो रोज़गार का अच्छा साधन है। हिमाचल प्रदेश में सेब और असम में चाय के बागान तथा कच्चा तेल न केवल रोज़गार के साधन हैं बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान के लिए भी उपयोगी हैं। तो भी, इन राज्यों में गरीबी भी भरपूर है और जीवन कठिन है। ऐसे में हमें रोज़गार सृजन के वैकल्पिक उपायों का सहारा लेना आवश्यक है। बड़ी बात यह है कि रोज़गार के ऐसे वैकल्पिक साधन न केवल उपलब्ध हैं बल्कि उनकी उपयोगिता पर कोई प्रश्न-चिन्ह भी नहीं है और वे केवल पहाड़ी राज्यों में ही नहीं बल्कि पूरे देश में समान रूप से लाभदायक हैं।

हमारे देश में गरीब होना एक अभिशाप है क्योंकि गरीबों के उत्थान के लिए कोई योजनाबद्ध सामाजिक कार्यक्रम नहीं है और बेरोज़गारी भत्ता भी नहीं है। लेकिन कई परिवर्तन युगांतरकारी होते हैं और वे समूचे समाज का ढांचा बदल डालते हैं। ऐसे परिवर्तन हालांकि बहुत नहीं होते, लेकिन जब-जब होते हैं, वे वरदान जैसे बन जाते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

स्व. प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश को कंप्यूटर का तोहफा दिया था। उसके बाद इंटरनेट आया। कंप्यूटर के बाद इंटरनेट का प्रादुर्भाव तो एक क्रांति ही थी। ईमेल की सुविधा ने पूरे संसार को मानो एक गांव में बदल दिया और हर व्यक्ति उस दूसरे व्यक्ति से जुड़ गया जिसके पास कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा है। आज हर स्मार्टफोन में इंटरनेट की सुविधा है और यह बहुत किफायती भी है।

शिक्षा के क्षेत्र में तो डिजिटल साक्षरता आवश्यक हो ही गई है और यह अब जीवन की एक बहुत महत्वूपर्ण आवश्यकता में बदल गई है। डिजिटल साक्षरता एक ऐसा वरदान है जो हमारे देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल सकती है। यही नहीं, यह साधारण कामगरों को सक्षम व्यापारियों अथवा उद्यमियों में बदल सकती है। यह सुखद है कि भारत सरकार इस ओर गंभीरता से प्रयास कर रही है। डिजिटल देशों की कतार में भारत को अग्रणी देश के तौर पर स्थापित करने के लिए लोगों को डिजिटल कुशलताओं और इंटरनेट की जानकारी की मदद से सशक्त बनाना इस दिशा का पहला कदम है। देश के नागरिकों को डिजिटल कुशलता और पर्सनल कंप्यूटर प्रशिक्षण देने से जमीनी स्तर से डिजिटल इंडिया की नींव तैयार करने में मदद मिलेगी। व्यावहारिक जीवन में कंप्यूटर के अनुभव से भारत के गैर-शहरी क्षेत्रों में अवसर और उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। डिजिटल इंडिया की दिशा में बढ़ाया गया यह कदम लोगों को इस बारे में जागरूक करना है कि एक कंप्यूटर से कारोबारों और परिवारों में किस तरह के बदलाव आ सकते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हम जानते हैं कि इंटरनेट की शक्ति से जुड़े डेस्कटाप, लैपटाप, नोटबुक और टैबलेट पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। हर दिन नई-नई प्रौद्योगिकियों की खोज से पीसी, स्मार्टफोन से भी अधिक शक्तिशाली बनते जा रहे हैं। आज बाजार में कई तरह के नोटबुक और टैबलेट उपलब्ध हैं जिनमें उच्च कंप्यूटिंग क्षमता है और वे कुछ स्मार्टफोन माडलों की तरह ही कम वजन के, पोर्टेबल और सस्ते हैं। कंप्यूटर साक्षरता की मदद से कस्बों और गांवों में भी लोगों के लिए नये रोजगार पैदा करना और जीवनस्तर सुधारना संभव हो गया है। यह अतिशयोक्ति नहीं है कि कंप्यूटर साक्षरता में शहरी और गैर-शहरी भारतीयों लिए नए अवसरों के द्वार खोल देने की असीम शक्ति है।

मध्य प्रदेश के चंदेरी का उदाहरण हमारे सामने है। इंटेल के पर्सनल कंप्यूटर से प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स के माध्यम से चंदेरी के टेक्सटाइल महिला डिजाइनरों तथा बुनकरों को चंदेरी साड़ी बनाने के तरीकों और उसकी बनावट को आधुनिक बनाने में मदद मिली। यही नहीं, कंप्यूटर, डिजाइन साफ्टवेयर और इंटरनेट कनेक्टिविटी का इस्तेमाल कर ये महिलाएं अपनी साडिय़ां आनलाइन बेचने में सक्षम हो सकीं और अब उनकी पहुंच देश भर के नए-नए ग्राहकों तक है। वे गरीब कामगर थीं जो आज सक्षम उद्यमी बनकर अपने परिवार की आय में बड़ा योगदान दे रही हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ऐसे उदाहरण ज्य़ादा से ज्य़ादा हों, इसकी सफलता के लिए जमीनी स्तर पर कंप्यूटर इस्तेमाल करने की आदत को बढ़ावा देने और प्रत्येक व्यक्ति तक कंप्यूटर की जानकारी पहुंचाने में कामन एक्सेस सेंटर, विनिर्माण संयंत्रों, वित्तीय सहायता देने की आसान योजनाओं और बेहतर कनेक्टिविटी बहुत ही अहम भूमिका निभाएंगे। भारतीय उपभोक्ताओं तक सस्ती प्रौद्योगिकी पहुंचाने के लिए सब्सिडी देने में सरकार की भूमिका भी काफी अहम होगी। हाल ही में “वावो हैपीनेस” ने भी इस दिशा में काम करना शुरू किया है और अमेरिका में शिक्षा पा रही भारतीय मूल की उर्वी गुगलानी के सहयोग से भारतवर्ष में कंप्यूटेशनल थिंकिंग को बढ़ावा देने का काम शुरू किया है। आशा करनी चाहिए कि हमें शीघ्र ही इसके परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसमें दो राय नहीं है कि नालेज इकानमी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए अगला बड़ा कदम हो सकता है। नालेज इकानमी में बड़े शहरों के दायरे से बाहर निकल कर कस्बों और गांवों को उद्योग और रोज़गार का केंद्र बनाने की अपार संभावना है। यह एक ऐसी क्षमता है जिसका लाभ लिया जाना अभी बाकी है। यह खुशी की बात है कि इंटेल जैसी कई निजी कंपनियां भी इस उद्देश्य में सहयोग देकर अपने प्रयासों से सराहना पा रही हैं। इंटेल इनसाइड के अनुभवों को शहरों से बाहर ले जाया जा रहा है, जहां एक कंप्यूटर, सिर्फ एक व्यक्ति का कंप्यूटर न होकर एक सामुदायिक संसाधन के तौर पर काम करता है और इसका इस्तेमाल पूरे समुदाय के हित में किया जा रहा है। कंप्यूटर का इस्तेमाल गांवों के स्कूलों में बच्चों को शिक्षित बनाने और स्थानीय नागरिकों के लिए जरूरी जानकारियां हासिल करने के लिए भी किया जा रहा है। लोगों के जीवन जीने के अंदाज, काम पर जाने के तरीकों, परिवार का पालन-पोषण करने की कोशिश में पीसी सीखने से आने वाली पीढिय़ों पर गहरा असर पड़ेगा, जो सच में डिजिटल इंडिया में जिंदगी गुजारेंगे। उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार, समाज और कार्पोरेट क्षेत्र इस पर फोकस बनाएंगे और डिजिटल इंडिया का सपना साकार होगा, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे तथा हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

“दि हैपीनेस गुरू” के नाम से विख्यात, पी. के. खुराना दो दशक तक इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी और दिव्य हिमाचल आदि विभिन्न मीडिया घरानों में वरिष्ठ पदों पर रहे। एक नामचीन जनसंपर्क सलाहकार, राजनीतिक रणनीतिकार एवं मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ-साथ वे स्तंभकार भी हैं और लगभग हर विषय पर कलम चलाते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement