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दैनिक जागरण के वकील दत्ता एंड एसोसिएट ने जगजीत राणा के नोटिस के जवाब में क्या कहा, पढ़िए

: कितना बेईमान है दैनिक जागरण का मालिक : हद की भी हद होती है लेकिन दैनिक जागरण का मालिक और प्रबंधन ने हर हद को पार कर लिया है। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए। यह किसी से भी छिपा नहीं है कि बछावत और मनिसाना वेज बोर्ड के समय से ही दैनिक जागरण के मालिकान अपने कर्मचारियों से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराते रहे हैं। इसकी जानकारी भी समय-समय पर गुपचुप तरीके से कई कर्मचारी, माननीय सुप्रीम कोर्ट को देते रहे हैं। मालिकों के इस अत्याचार और अवैध कुकृत्य का मनिसाना के वक्त काफी विरोध भी हुआ था और श्री सतीश मिश्रा तथा श्री वीके जैन (अब स्वर्गीय) ने मिलकर तब करीब दस बारह लोगों को खूब मनाया दनाया था। करीब दो दिनों तक काफी उछल-कूद के बाद मामला शांत हो गया था।

<p>: <strong>कितना बेईमान है दैनिक जागरण का मालिक</strong> : हद की भी हद होती है लेकिन दैनिक जागरण का मालिक और प्रबंधन ने हर हद को पार कर लिया है। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए। यह किसी से भी छिपा नहीं है कि बछावत और मनिसाना वेज बोर्ड के समय से ही दैनिक जागरण के मालिकान अपने कर्मचारियों से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराते रहे हैं। इसकी जानकारी भी समय-समय पर गुपचुप तरीके से कई कर्मचारी, माननीय सुप्रीम कोर्ट को देते रहे हैं। मालिकों के इस अत्याचार और अवैध कुकृत्य का मनिसाना के वक्त काफी विरोध भी हुआ था और श्री सतीश मिश्रा तथा श्री वीके जैन (अब स्वर्गीय) ने मिलकर तब करीब दस बारह लोगों को खूब मनाया दनाया था। करीब दो दिनों तक काफी उछल-कूद के बाद मामला शांत हो गया था।</p>

: कितना बेईमान है दैनिक जागरण का मालिक : हद की भी हद होती है लेकिन दैनिक जागरण का मालिक और प्रबंधन ने हर हद को पार कर लिया है। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए। यह किसी से भी छिपा नहीं है कि बछावत और मनिसाना वेज बोर्ड के समय से ही दैनिक जागरण के मालिकान अपने कर्मचारियों से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराते रहे हैं। इसकी जानकारी भी समय-समय पर गुपचुप तरीके से कई कर्मचारी, माननीय सुप्रीम कोर्ट को देते रहे हैं। मालिकों के इस अत्याचार और अवैध कुकृत्य का मनिसाना के वक्त काफी विरोध भी हुआ था और श्री सतीश मिश्रा तथा श्री वीके जैन (अब स्वर्गीय) ने मिलकर तब करीब दस बारह लोगों को खूब मनाया दनाया था। करीब दो दिनों तक काफी उछल-कूद के बाद मामला शांत हो गया था।

अब फिर मालिकान इस तरह अवैध हथियर के सहारे सुप्रीम कोर्ट को धोखा देना चाह रहा है। दैनिक जागरण के साथियों को याद होगा कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के नोटिफिकेशन के तुरंत बाद मैनेजरों ने (खासकर श्री निशिकांत ठाकुर ने) कर्मचारियों को डरा- धमका और भावनात्कमक ब्लैकमेल कर किसी कागज पर हस्ताक्षर करावाए थे। किसी को यह पता नहीं था कि इस कागज में क्या लिखा था। जो कागज को पढ़ना चाहता था उसे डराया -धमकाया जा रहा था। कुछ को बताया जा रहा था कि इसमें लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट में जो फैसला हेागा उसे कंपनी मानेगी। ऐसा लॉलीपोप, जैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न मानने का मन पहले कंपनी बना चुकी हो।

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खैर, जागरण के साथियों, इन्हीं हस्ताक्षरों वाले उस कागज को अब मालिक आपके लिए सुसाइड नोट बनाने जा रहा है। 25-11-2011 के ऐसे ही एक समझौते का हवाला दैनिक जागरण के वकील दत्ता एंड एसोसिएट ने श्री जगजीत राणा के नोटिस के जवाब में दिया है। दत्ता एंड एसोसिएट के अनुसार श्री राणा और दैनिक जागरण प्रबंधन के बीच एक समझौता हुआ है जिसके अनुसार जगजीत राणा अपने पुराने वेतनमान पर ही काम करने को राजी हैं। इस तरह का प्रावधान मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों में भी है। क्या गजब बेईमानी है। अब अगर प्रबंधन चाहे तो उस हस्ताक्षर वाले कागज को कर्मचारियों को सुसाइड नोट भी बना दे। इसके अलावा कई तथ्या्त्मक और कानूनी बातें इस जवाब में की गई हैं। लेकिन प्रबंधन और पैसों के घमंड में चूर मालिक को पता नहीं है कि हस्ताक्षर वाले इस पोथे की हैसियत सुप्रीम कोर्ट में क्या होने वाली है क्योंकि इस बारे में भी सुप्रीम कोर्ट को पहले से ही पत्र लिखकर बता दिया गया है।

दैनिक जागरण, नोएडा में वरिष्ठ पद पर काम कर चुके एक पत्रकार द्वारा संचालित ‘मजीठिया मंच‘ नामक फेसबुक पेज से.

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0 Comments

  1. purushottam asnora

    October 16, 2014 at 1:37 am

    samachar sansthanou k kasai malik ptrakarou w kramiyou ka katra katra nichod kha pi jana chahte hain,ye apne aham mai itne doob gye hain ki bharat k sabse bare nyayalay ko bhi angutha dikhana chahte hain.ye kasai kewal jagaran hi nhi sab hain.

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