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काटजू की बात पर मीडिया और सरकार दोनो खामोश क्यों, चीफ जस्टिस पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं ?

”देश के चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया का मामला है । क़रीब दस महीनों से प्रधानमंत्री समेत क़ानूनी बिरादरी के महानुभावों और मीडिया में ठोकरें खा रहा है । इसकी जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए?” अपने एफबी वाल पर शीतल पी सिंह लिखते हैं – ” देश के प्रधानमंत्री ने मना कर दिया है कि वे गौतम अडानी के बारे में, उनके (प्रधानमंत्री के सरकारी घर में ) आने जाने के बारे में किसी RTI का कोई जवाब नहीं देंगे ? सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काट्जू पिछले आठ महीने से सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के बारे में उन तक पहुँचे दस्तावेज़ों की जाँच की माँग करते प्रतीक्षारत हैं ? व्यावसायिक tycoon और वक़्त फ़िलहाल वांछित ललित मोदी के हवाले से देश के सबसे बड़े अख़बार ने कहा है कि महामहिम राष्ट्रपति की सबसे प्रमुख सहयोगी/सलाहकार/सचिव ओमिता पाल देश के सबसे बड़े हवाला कारोबारी की भागीदार हैं ? इससे बड़े सवाल एक साथ देश के सामने कब थे ? जस्टिस मार्कंडेय काटजू की एक गंभीर टिप्पणी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। काटजू का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं तो दत्तू को भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं होना चाहिए। इस मामले की जांच जरूरी है। दत्तू पर लगे आरोपों की फाइल काटजू ने तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण, उनके बेटे प्रशांत भूषण, टाइम्स ऑफ इंडिया के धनंजय महापात्रा, इंडियन एक्सप्रेस और द हिंदू के पत्रकारों को उपलब्ध करा दी थी। 

भारत के चीफ जस्टिस एचएल दत्तू एवं जस्टिस मार्कंडेय काटजू

”देश के चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया का मामला है । क़रीब दस महीनों से प्रधानमंत्री समेत क़ानूनी बिरादरी के महानुभावों और मीडिया में ठोकरें खा रहा है । इसकी जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए?” अपने एफबी वाल पर शीतल पी सिंह लिखते हैं – ” देश के प्रधानमंत्री ने मना कर दिया है कि वे गौतम अडानी के बारे में, उनके (प्रधानमंत्री के सरकारी घर में ) आने जाने के बारे में किसी RTI का कोई जवाब नहीं देंगे ? सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काट्जू पिछले आठ महीने से सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के बारे में उन तक पहुँचे दस्तावेज़ों की जाँच की माँग करते प्रतीक्षारत हैं ? व्यावसायिक tycoon और वक़्त फ़िलहाल वांछित ललित मोदी के हवाले से देश के सबसे बड़े अख़बार ने कहा है कि महामहिम राष्ट्रपति की सबसे प्रमुख सहयोगी/सलाहकार/सचिव ओमिता पाल देश के सबसे बड़े हवाला कारोबारी की भागीदार हैं ? इससे बड़े सवाल एक साथ देश के सामने कब थे ? जस्टिस मार्कंडेय काटजू की एक गंभीर टिप्पणी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। काटजू का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं तो दत्तू को भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं होना चाहिए। इस मामले की जांच जरूरी है। दत्तू पर लगे आरोपों की फाइल काटजू ने तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण, उनके बेटे प्रशांत भूषण, टाइम्स ऑफ इंडिया के धनंजय महापात्रा, इंडियन एक्सप्रेस और द हिंदू के पत्रकारों को उपलब्ध करा दी थी। 

भारत के चीफ जस्टिस एचएल दत्तू एवं जस्टिस मार्कंडेय काटजू

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काटजू ने अपने ब्लॉग ‘सत्यम ब्रूयात’ पर लिखा है कि उन्होंने सरकार, मीडिया और इन मुद्दों पर लड़ने वाले तमाम लोगों को जस्टिस दत्तू पर लगे आरोपों के बारे में आगाह करने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मार्कंडेय काटजू ने अपनी पोस्ट की शुरुआत एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार द्वारा उन्हें भेजी ई मेल से की है, जिसमें कहा गया है कि अखबार सीजेआई पर एक खबर कर रहा है और उसे पता चला है कि जस्टिस दत्तू और उनकी पत्नी की संपत्तियों से जुड़ी एक शिकायत काटजू को भेजी गई थी। 

अखबार ने काटजू से अनुरोध किया है कि वे इस पर हुई कार्रवाई और इस शिकायत पर अपने विचार साझा करें। इसके जवाब में काटजू ने लिखा – 

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”मैंने सिर्फ उन्हें जांच करने का ही आग्रह किया था, क्योंकि अगर फाइल में लगाए गए आरोप सही हैं तो दत्तू को भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं बनना चाहिए था। मुझे आपकी मेल मिल चुकी है। फिलहाल मैं वैंकूवर में हूं और संभावना है कि जुलाई के मध्य तक भारत लौटूंगा। मुझे वास्तव में किसी ने एक फाइल भेजी थी जिसमें बड़ी संख्या में खरीदी गईं उन संपत्तियों के दस्तावेजी सबूत थे जो जस्टिस दत्तू ने न्यायपालिका में अपनी सेवा के दौरान बनाई हैं। यह उनके मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले की बात है। मैंने उस फाइल की कई कॉपियां बनवाई थीं। इनमें से एक-एक कॉपी मैंने वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण, टाइम्स ऑफ इंडिया के धनंजय महापात्रा (जो कॉपी लेने के लिए मेरे घर आए थे और जिनसे मैंने इस मामले पर विस्तार से चर्चा भी की थी), इंडियन एक्सप्रेस और द हिंदू के पत्रकारों को दी थी। तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी मैंने एक कॉपी भिजवाई थी। मेरा सुझाव है कि आप फाइल के लिए इन लोगों से संपर्क करें क्योंकि इनके पास वह हो सकता है अब भी हो। खेद की बात है कि उनमें से किसी ने भी इस मामले में कुछ नहीं किया हालांकि मैंने उनसे सिर्फ जांच करने का ही आग्रह किया था, क्योंकि अगर फाइल में लगाए गए आरोप सही हैं तो दत्तू को भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं बनना चाहिए था।”

काटजू का कथन अंग्रेजी में –

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Is it for me alone to bell the cat ? : Markandey Katju

I had received from someone perhaps in August last year a dossier containing a lot of documentary proof ( photocopies of sale seeds showing illegal property transactions, etc ) prima facie establishing large scale corruption by the present Chief Justice of India, Justice Dattu. I had also received an email showing photograph of the palatial house Dattu has built in Bangalore over 1200 sq.m. land.

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I got several copies of the dossier made, and gave it to many persons, including mediapersons, before Dattu became CJI, and my only request was that the allegations be investigated. 

I gave one copy to Mr. Shanti Bhushan, a very senior advocate of the Supreme Court, and former Union Law Minister, who sent his son Prashant to my residence to collect it. Next day Mr. Shanti Bhushan telephoned me and said that the allegations were very serious. I then said to him that in that case the Committee on Judicial Accountability ( COJA ), consisting of some very senior lawyers of the Supreme Court and retired Judges, should investigate into the allegations, but nothing was done. 

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The mediapersons to whom also I had given copies of the dossier, obviously being scared, did nothing. Nobody was even willing to investigate into the charges, though there was prima facie documentary proof of corruption by a person who was going to be made the Chief Justice of India.

I had given to Mr. Ravi Shanker Prasad, the then Union Law Minister, and presently still a Minister in the Union Cabinet, a copy of the dossier containing documentary proof of serious allegations of corruption against Justice Dattu, and had requested him to get the allegations investigated. This was before Dattu became CJI.

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I am sure Ravi Shankar Prasad showed the dossier to the Prime Mimister, in view of its importance. 

So the Prime Minister owes it to the people of India to come clean and disclose what happened after he came to know of the dossier and its contents. Did he get the matter investigated, and if so, what was the result of the investigation ? Through whom did he get it investigated ?

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Or did the Prime Minister and his close colleagues think that now they have a handle or damocles sword over Dattu, and get whatever favours they wish from him, by giving him threats based on the dossier ? Certainly, Dattu’s disgraceful statement praising Modi points in that direction.

It is time that the people of India know the truth

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