ईवीएम से जुड़ी शिकायतें थम नहीं रही हैं। इन पर यकीन नहीं करने का कोई कारण नहीं है पर कानून ऐसे हैं कि आप अपनी आंखों पर भरोसा न करें। जी हां, अगर आपने शिकायत दर्ज कराई और जांच में पाया गया कि मशीन ठीक है तो आपको गिरफ्तार किया जा सकता है। छह महीने की जेल हो सकती है। जाहिर है, ऐसे में शिकायत कौन कराए।
जानकार बताते हैं कि मशीन को किसी भी तरह से सेट किया जा सकता है और इसलिए अगर किसी मशीन से छेड़छाड़ की गई हो तो उसे पकड़ना काफी मुश्किल है। उदाहरण के लिए मशीन इस तरह से सेट की जा सकती है कि हर दूसरा, चौथा, पांचवां या दसवां वोट किसी खास पार्टी को जाए। इसी तरह ऐसे भी कि शुरू के 10, 20 वोट ठीक जाएं और फिर सेटिंग चालू हो।
ऐसे में शिकायत की जांच अगले वोट से ही होनी हो तो शिकायत करने का कोई मतलब नहीं है। दूसरी तरफ गिरफ्तारी का डर और वैसे भी मतदान के बाद शिकायतकर्ता को कहां मतदान केंद्र में रहने दिया जाता है।
इससे निपटने के उपाय हैं। लेकिन ये उपाय मतदाता के लिए नहीं, चुनाव लड़ने वालों के लिए, राजनीतिक दलों के लिए हैं। अगर ईवीएम सही है और नियम 49एमए लागू ही है तो होना यह चाहिए कि शिकायतकर्ता से कहा जाए कि वह इंतजार करे और देखा जाए कि दूसरा कोई मतदाता शिकायत करता है कि नहीं।
दूसरे मतदाताओं से कहा भी जा सकता है कि वे ध्यान रखें और गड़बड़ लगे तो सूचना दें। निष्पक्ष चुनाव और ईवीएम पर भरोसे के लिए यह काम सरकार और चुनाव आयोग को करना चाहिए। तब तक कार्यकर्ता इसे अपना कर ईवीएम से छेड़छाड़ का प्रभाव बाकी के मतदान के दौरान कम कर सकते हैं।
तरीका यह है कि मतदाताओं को केंद्रीयकृत नंबर दिया जाए और कहा जाए कि वे मशीन गड़बड़ करने की सूचना उस नंबर पर दें। अगर किसी एक बूथ या मशीन के मामले में शिकायत आए तो उसे चैलेंज किया जा सकता है। यह नंबर हर सीट या राज्य अथवा पूरे देश के लिए हो सकता है। दिल्ली में तो एक ही नंबर काफी है।
अगर कई वोट पड़ने के बाद भी (जाहिर है यह 200-500 वोट नहीं हो सकता है, पांच-दस-बीस वोट पर ही सेट करने का मतलब है) दूसरी शिकायत नहीं आती है तभी साबित होगा कि मशीन ठीक है और पिछले मतदाता को भ्रम हुआ होगा। हालांकि, ऐसी स्थिति में यह भी सतर्कता बरती जानी चाहिए कि शिकायत के बाद वहां मौजूद लोगों में कोई उसमें सुधार तो नहीं कर रहा है। वैसे यह मुश्किल है फिर भी।
चुनाव अधिकारी की भी जिम्मेदारी है कि वे शिकायत भले न दर्ज करें लेकिन गडबड़ मिलने पर शिकायत करने के लिए प्रेरित करें और एक से ज्यादा शिकायत आने पर मान लें कि मशीन गड़बड़ है। पर यह सब तभी होगा जब सरकार और चुनाव आयोग ईवीएम की विश्वसनीयता बनाना चाहेंगे। इसे जबरदस्ती थोपने की बात अलग है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट.