सौरभ सिंह सोमवंशी
प्रयागराज
यूपी के पूर्व डीजीपी आनंदलाल बनर्जी पर उनकी मां, बहनों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ ही बहनोई ने भी लगाया है आरोप…
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी पर उनके बहनोई और इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्वाइंट रजिस्ट्रार के पद पर तैनात हेम सिंह ने कई आरोप लगाए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर समस्त मामलों की मजिस्ट्रेटी जांच कराई गई. जांच रिपोर्ट में हेम सिंह के उत्पीड़न, पूर्व डीजीपी द्वारा हेम सिंह की बेटी के उत्पीड़न, हेम सिंह को जहर देने, उनकी प्रापर्टी हड़पने, हेम सिंह की पत्नी के अपहरण जैसे तमाम सारे आपराधिक आरोपों पर एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने की सिफारिश की गई है. साथ ही हेमसिंह की सुरक्षा बढ़ाने को भी कहा गया है. मजिस्ट्रेटी जांच के बाद इसकी रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई है.
ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार हेम सिंह का आरोप है कि उनका उत्पीड़न उन्हीं के साले पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी ने कराया. हेम सिंह ने बताया कि पूर्व डीजीपी आनंदलाल बनर्जी की सगी बहन विजयलक्ष्मी बनर्जी जो हेम सिंह के समकक्ष पद पर हाईकोर्ट में ही तैनात थीं, उनके साथ उनका अंतर्जातीय प्रेम विवाह हुआ था. मामला अंतर्जातीय था जिसे पूर्व डीजीपी आनंदलाल बनर्जी पसंद नहीं करते थे. पूर्व डीजीपी आनंदलाल बनर्जी ने हेम सिंह को परेशान करना शुरू कर दिया.
हेम सिंह के ऊपर जानलेवा हमला करवाया गया. जहर देकर उनकी संपत्ति हड़पने हेतु हत्या का प्रयास किया गया. हेम सिंह ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी का भी आनंद लाल बनर्जी ने उत्पीड़न किया. इन सबकी शिकायत उन्होंने कई जगह की परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई. थक हार कर भारत के राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जैसे तमाम संवैधानिक संस्थाओं में शिकायत की. इसके बाद वहां से आदेश जारी हुए. कुल 30 की संख्या में संवैधानिक आदेश हुए परंतु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. मानवाधिकार आयोग ने भी समस्त मामले को गंभीर मान अनेकों आदेश जांच हेतु उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को दिए थे.
उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकरण को जनहित याचिका मानकर सुनवाई की. इसी दौरान एक ब्लैकमेलर महिला शिक्षिका द्वारा हेम सिंह पर दबाव बनाने के लिए बलात्कार का फर्जी आरोप लगा दिया गया. हेम सिंह ने इसके पीछे अपने साले उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी की साजिश बताया. हेम सिंह के अनुसार उनको शादी के 25 साल बाद उनकी पत्नी जो उनसे उम्र में 9 साल बड़ी थीं, उनको दहेज के लिए मजबूर करने का आरोप लगाकर फर्जी फंसाया गया और 80 लाख रुपए वसूल लिये गये. हेम सिंह उस मामले के बाद कर्जदार हो गए और उनके मूल वेतन का आधा से कम मिल रहा है.
इसके अलावा हेम सिंह की प्रॉपर्टी को हड़पने के लिए हेम सिंह को जहर भी दिया गया. जहर दिये जाने के मामले की फोरेंसिक जांच के लिए आदेश हुआ. जांच प्रक्रिया प्रारंभ होने के पहले ही 10 अप्रैल 2016 को पुलिस इंस्पेक्टर गोरखनाथ सिंह और एक अज्ञात महिला क्षेत्राधिकारी के द्वारा हेम सिंह की पत्नी का अपहरण करवा कर हेम सिंह को अपराधी पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी व अन्य लोगों के द्वारा धमकियां दी गईं. हेम सिंह के विरुद्ध ढेर सारी अप्लीकेशन डाली गई. परंतु बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने विजलेंस जांच में पाया कि सारे प्रार्थना पत्र फर्जी थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सभी जांच को निरस्त कर हेम सिंह को निर्दोष घोषित किया.
इस मामले में भी आनंद लाल बनर्जी ने हाईकोर्ट में झूठी गवाही दी थी तथा अपने आप को फंसता हुआ देख बहन विजयलक्ष्मी बनर्जी से हेम सिंह के विरुद्ध झूठे आरोप लगवाए. हेम सिंह के घर में 13 मई 2016 को इंस्पेक्टर गोरखनाथ सिंह तथा पुलिस व अराजक तत्वों के द्वारा लूटपाट की गई. इसकी सीसीटीवी फुटेज हेम सिंह ने जांच में दिया है. इसके अलावा हेम सिंह के ऊपर कई बार जानलेवा हमले भी हुए. इसकी सूचना समय-समय पर उन्होंने उच्चाधिकारियों को दी.
हेम सिंह ने बताया कि आनंद लाल बनर्जी की सगी मां, बहनों ने भी आनंद लाल बनर्जी से जान माल की सुरक्षा के लिए गुहार लगाई थी. कई आईपीएस अफसरों के खिलाफ भी पूर्व डीजीपी ने साजिश रची थी.
सीबीआई जांच की संस्तुति
हेम सिंह और आनंद लाल बनर्जी मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने गृह मंत्री से की है. आयोग के उपाध्यक्ष डॉ लोकेश कुमार प्रजापति ने 29 दिसंबर को जारी पत्र में स्पष्ट रूप से गृह मंत्री से मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की संस्तुति की है. पत्र में लिखा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्वाइंट रजिस्ट्रार हेम सिंह के अधिकारों का हनन और उत्पीड़न हुआ है. इस मामले में अभी तक की गई एक पक्षीय कार्यवाही, हेम सिंह द्वारा दिए गए साक्ष्यों को जांच में शामिल ना करना, प्रथम दृष्टया निष्पक्ष जांच ना होना, इसका कारण पूर्व डीजीपी पद का प्रभाव है. अतः मामले की सीबीआई जांच हो, ताकि मामले में पुलिसिया हस्तक्षेप ना हो पाए. पिछले दिनों राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, इलाहाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तलब भी किया था।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग एक संवैधानिक संस्था है, उसको है सिविल कोर्ट का अधिकार
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के अलावा नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान संशोधन करके संविधान में एक नया अनुच्छेद 338बी जोड़ा है. इसके धारा 8 के तहत आयोग को अब सिविल कोर्ट के अधिकार प्राप्त होंगे और वह देश भर से किसी भी व्यक्ति को सम्मन कर सकता है और उसे शपथ के तहत बयान देने को कह सकता है. उसे अब पिछड़ी जातियों की स्थिति का अध्ययन करने और उनकी स्थिति सुधारने के बारे में सुझाव देने तथा उनके अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार होगा. अब इस आयोग को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग या राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के बराबर का दर्जा मिल गया है.
सौरभ सिंह सोमवंशी
प्रयागराज
9696110069
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