बिहार के नालंदा में एक पत्रकार द्वारा मैट्रिक परीक्षा के लीक प्रश्नपत्र को जिला शिक्षा पदाधिकारी के व्हाटसएप पर भेजना महंगा पड़ गया। नालंदा डीईओ ने इस मामले में प्रश्नपत्र लीक होने की जांच कराने की बजाय पत्रकार पर ही प्रश्नपत्र लीक करने और उसे वायरल करने का मुकदमा थाने में दर्ज करा दिया। केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने धोखे से पत्रकार राजीव रंजन को घर से उठाकर थाने ले आई और उन्हें जेल भेज दिया। सोमवार को उन्हें जमानत मिल गई।
बिहार के नालंदा से एक समाचार एजेंसी तथा साप्ताहिक समाचार पत्र के संवाददाता राजीव रंजन को 22 फरवरी को मैट्रिक परीक्षा के दौरान सामाजिक विज्ञान का प्रश्नपत्र हाथ लगता है। वे इसकी पुष्टि के लिए डीईओ विमल ठाकुर को फोन करते हैं। लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। तब पत्रकार राजीव रंजन ने डीईओ के व्हाटसएप पर उक्त प्रश्नपत्र को सेंड कर उनका पक्ष जानना चाहा कि उक्त प्रश्नपत्र लीक कैसे हुआ, इस मामले में दोषी कौन है। लेकिन डीईओ ने इसे बिहार परीक्षा अधिनियम 1981 तथा आईटी नियम 2000 के विरुद्ध मानते हुए पत्रकार पर ही केस दर्ज करा दिया।
इतना ही नहीं, पुलिस के वरीय अधिकारी उनके राजगीर आवास पर पहुँच कर उन्हें थाना ले आए। परिवार को पुलिस ने कोई कारण भी नहीं बताया था। बिना किसी ठोस वजह के गिरफ्तार कर लिए गए नालंदा के पत्रकार राजीव रंजन को आज जमानत मिल गई। नालंदा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पत्रकार राजीव रंजन को जमानत दे दी। नालंदा में पत्रकार को गिरफ्तार करने तथा जेल भेजे जाने के मामले में कोई पत्रकार संगठन सामने नहीं आया और न ही कोई पत्रकार।
नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने इस मसले पर कड़ा रुख अपनाया। स्थानीय लेवल पर संगठन के राष्ट्रीय महासचिव कुमुद कुमार सिंह ने एसपी से मुलाकात की और संगठन के संयोजक अबोध ठाकुर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नालंदा पुलिस के द्वारा किए गए व्यवहार को अवगत कराया। संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉक्टर प्रो0 जितेंद्र सिंह तथा राष्ट्रीय महासचिव कुमुद कुमार सिंह ने पीड़ित पत्रकार के परिजन से मुलाकात की और उन्हें इस कठिन समय में हिम्मत दिया। पीड़ित पत्रकार के पिता राम प्रसाद सिंह माता रिंकू देवी और उनके भाई ने संगठन के प्रति अपना आभार जताया।
जयप्रकाश नवीन
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज
पटना