के. सत्येंद्र-
बैग की क्वालिटी खुद बयां कर रही है कि अंदर का माल कितना टंच होगा !
चार दिन पहले गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में देश के चौथे स्तंभ का जबरदस्त कुकुरकुम्भ देखने को मिला। इस कुकुरकुम्भ के विषय में फाडू खबर यह है कि इस कुकुरकुम्भ में सिर्फ वही चयनित महारथी और धुरंधर टाइप के होनहार और तारणहार पत्तिकार नहीं पहुंचे थे जिन्हें बुलाया गया था बल्कि ऐसे पत्तिकारों की भी भरमार लगी थी जिन्हें बुलाया ही नहीं गया था।
इस कुकुरकुम्भ पत्तिकार सम्मेलन की एकदम धांसू और ताजातरीन एनकाउंटर टाइप की खबर यह भी है इसमें मात्र प्रिंट मीडिया ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के धुरंधर लोगों का भी जुटान हुआ था। स्पष्ट सूत्रों से प्राप्त पक्की खबर के अनुसार गोरखनाथ मंदिर में बैग रूपी रिश्वत का झोला पाने के लिए लालायित देश के चौथे स्तंभ की जबरदस्त और बेमिसाल भीड़ मौजूद थी।
इस बेमिसाल और भव्य कुकुरकुम्भ की मेजबानी का मोर्चा जनपद के पुराने पैदल महारथी ने संभाला था। ये पुराने पैदल महारथी इतने तेज चैनल हैं कि उन्होंने जिला सूचना अधिकारी के यहां से प्राप्त चार सौ पत्रकारों की लिस्ट में बड़ी तेजी से कैची चलाते हुए उसे चालीस पर ला पटका।
ये पुराने पैदल महारथी वैसे भी पाटने और पटाने दोनों विधा में पारंगत हैं इसलिए पत्रकारों की लिस्ट काटने छाँटने और वहाँ बने नाश्ते को बांटने की जिम्मेदारी उन्होंने खुद ही लपक लिया था। इस जुटान में मिलने वाला झोला (बैग) कोई मामूली नहीं था। तस्वीर में झोले की क्वालिटी खुद ही बयां करती है कि जब झोला इतना टंच है तो उसके अंदर का माल कितना टंच होगा।
झोला पाकर खुशी से पागल हुए कुकुरकुम्भ के दीवानों ने मंदिर के सामने फ़ोटो भी खिंचवाई और उसे सोशल मीडिया पर शेयर भी किया। इस फोटो में देश के चौथे स्तंभों के चेहरों को ब्लर कर दिया गया है ताकि रिश्वत पाकर खिले चेहरों की चमक इस फोटो को भड़ास पर देखकर फीकी ना पड़ जाए।
इस भव्य कुकुरकुम्भ के समस्त स्तंभों (पत्तिकारों) से निवेदन है कि हमेशा की तरह इस बार भी हमारी खबरें पढ़कर फिर से मुझे पानी पी पीकर गरियाईयेगा क्योंकि आपकी गालियों ने ही हमपर चलने वाली गोलियों को रोक रखा है।
पूरे प्रकरण को समझने के लिए इस मूल खबर को भी पढ़ें-