4 दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर गए हुए थे। वह गोरखनाथ मंदिर में रात रुके। सुबह पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले और इस दौरान उन्होंने 400 पार्टी कार्यकर्ताओं को एक- एक झोला भेंट किया।
इस झोले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक -एक किताब, केसरिया रंग की एक तौलिया, सरकार की उपलब्धियों की एक-एक पुस्तिका और एक अच्छी क्वालिटी का मोबाइल था।
पार्टी कार्यकर्ताओं को झोला देने के बाद तय हुआ कि पत्रकारों को भी शाम को चाय पर बुलाया जाए और उन्हें भी एक-एक झोला दिया जाए।
इसी क्रम में गोरखपुर के सभी अखबारों के पत्रकारों को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए गोरखनाथ मंदिर बुलाया गया। मंदिर में सभी पत्रकारों को भी एक झोला दिया गया। इसमें सर्वाधिक 18 पत्रकार हिंदुस्तान अखबार के, जागरण के 6, अमर उजाला के 4, आज अखबार के 3, स्वतंत्र चेतना के 4 और सहारा के 5 पत्रकारों ने समेत कुल 40 पत्रकारों ने झोला ग्रहण किया।
कई पत्रकारों ने झोला लेने के बाद नाश्ता भी नहीं किया और सीधे घर का रास्ता अख्तियार किया।
अगले दिन जब इस बात की जानकारी हिंदुस्तान अखबार के चीफ़ एडिटर शशि शेखर को हुई तो उन्होंने सभी को तत्काल झोला वापस करने का निर्देश दिया।
समूह संपादक शशि शेखर के निर्देश पर स्थानीय संपादक ने अपने सभी पत्रकारों से कहा कि वह जाकर सीधे झोला जहां से प्राप्त किए थे वहां जमा कर दें।
अब हिंदुस्तान के पत्रकार इस बात से क्षुब्ध हैं कि वह इतनी बड़ी संख्या में कैसे मंदिर पहुंच गए? यदि दूसरे अखबार के पत्रकारों की तरह उनके अखबार के पत्रकारों की संख्या कम रही होती तो शायद यह शिकायत प्रबंधन तक नहीं पहुंचती और उन्हें भी झोला वापस नहीं करना पड़ता।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित!
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