Connect with us

Hi, what are you looking for?

महाराष्ट्र

गृहमंत्री पर आरोपों के बाद कोई सौदेबाज़ी चल रही है!

संजय कुमार सिंह-

दया, कुछ तो गड़बड़ है! आज के अखबारों में दो दिलचस्प खबरें हैं। एक तो मुंबई में अंटालिया के बाहर बम रखने की घटना से संबंधित कुछ बरामदगी। दूसरी अमित शाह और शरद पवार की मुलाकात की खबरें। अमित शाह ने इससे इनकार नहीं किया और एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने ना सिर्फ बैठक से इनकार किया बल्कि भ्रम फैलाने की भाजपा की शैली भी कहा। और यह यूं ही नहीं है। मुलाकात के संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में अमित शाह ने कहा, सब कुछ सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। उन्होंने मुलाकात से इनकार नहीं किया। दोनों खबरों को मिलाकर देखिए तो गुंजाइश लगती है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री पर आरोपों के बाद कोई सौदेबाजी चल रही हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुझे लगता है कि विरोधी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भाजपा जिस ढंग से गंभीर हो जाती है वैसी इस बार नहीं है। शायद इसलिए भी कि पहले ऐसे कई नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इस कारण भाजपा को वाशिंग मशीन पार्टी भी कहा जाता है। आरोप धोने वाली पार्टी। ऐसे में मुलाकात हुई या नहीं – आरोप लगने के बाद दोनों पक्षों की ओर से जो सब होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। इसलिए मामला सौदेबाजी पर अटका लग रहा है और भारतीय राजनीति में सौदेबाजी तरह-तरह के गुल खिलाती रही है। इसलिए मामला नजर रखने लायक है। हालांकि नतीजे से सब साफ हो जाएगा। लेकिन अभी तक जो सब सामने आया है उससे भी लगता है कि घटनाएं अपने आप नहीं घटी हैं उन्हें अंजाम दिया गया होगा।

उदाहरण के लिए, अंटालिया के बाहर गाड़ी में जो बम मिला उसकी मात्रा बहुत कम थी। गाड़ी इतनी दूर खड़ी थी कि नुकसान हो ही नहीं सकता था और मात्रा भी बहुत कम, कुल साढ़े तीन किलो। चर्चा यह भी है कि जिलेटिन की ये छड़ें नागपुर की बनी थीं और कहां से कैसे मंगवाई गई होंगी। इसे परमबीर सिंह के आरोपों से जोड़कर देखिए तो लगता है कि सचिन वाजे गृहमंत्री के लिए काम कर रहे थे और फिर मामले में एनआईए का कूद पड़ना। इसके बाद फंसे पुलिस अधिकारी ने जो किया वह भले योजना का हिस्सा नहीं रहा होगा और घबराहट में या बचाव में किया गया होगा पर आज के दावों को सही माना जाए तो अकेले किसी साधारण अधिकारी के वश का नहीं हो सकता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप जानते हैं कि सचिन वाजे मुंबई पुलिस और इस तरह महाराष्ट्र सरकार के खास अधिकारी रहे हैं। और माना जा सकता है कि ऐसे काम करने के एक्सपर्ट। पूर्व मुख्यमंत्री के आरोप के बाद परमबीर सिंह के पत्र से पुलिस और सरकार को अलग करने की कोशिश की गई है। इसलिए इस बात की संभावना है कि उनसे काम कराया गया और फंसा दिया गया। यह भी संभव है कि उन्हें फंसाया गया हो काम कराने वाले को फंसाने के लिए। ऐसे में बम वाली गाड़ी के मालिक की मौत के बाद अब सचिन वाजे के खिलाफ जो सबूत इकट्ठे हो रहे हैं वह असल में सचिन के आका तक पहुंचने के काम आएंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि फंसे हुए सचिन अपने आका का नाम पूछने पर भी बता देंगे या बता दिया होगा। महाराष्ट्र के खेल को ऐसे देखिए।

परमबीर सिंह ने वाजे के कॉल रिकार्ड की जांच कराने की मांग की थी। पर वह अभी नहीं हुआ लगता है। ऐसे में क्या एनआईए की जांच खास दिशा में बढ़ रही है? कायदे से भ्रष्टाचार में नाम आने और 100 करोड़ की वसूली का आरोप लगने के बाद उन्हें पद से हटा दिया जाना चाहिए था। पर हटाया नहीं गया। वे शिवसेना के नहीं, एनसीपी के प्रतिनिधि हैं और शरद पवार व अमित शाह की मुलाकात की खबरें, एनसीपी का खंडन – बहुत कुछ कहता है। बहुत संभावना है कि मुख्यमंत्री गृहमंत्री को हटाना नहीं चाहते हों और यह भी कि वे हटा नहीं पा रहे हों। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं है कि निर्दोष होने पर भी देशमुख को हटाकर उद्धव ठाकरे अपनी छवि बना सकते थे। बना नहीं पाए या मौका नहीं मिला?

Advertisement. Scroll to continue reading.

ऐसे में संजय राउत का कहना कि देशमुख को गृहमंत्री का पद दुर्घटना में मिला उनके कमजोर कड़ी होने का भी संकेत है। लेकिन ऐसी कमजोर कड़ी मजबूती से डटी रहे, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। और इन सबके बाद संजय राउट का ट्वीट, बुरा न मानो होली है। आज जो डीवीआर बरामद हुए हैं उनमें एक मुंबई शहर में वाहनों की आवाजाही का फुटेज है जबकि दूसरा वाजे की सोसाइटी में अपराध में इस्तेमाल हुई गाड़ी पार्क किए जाने से संबंधित है।

गाड़ियों में फर्जी नंबर प्लेट होना और अब उनका बरामद हो जाना बताता है कि मामला सचिन वाजे या मुंबई पुलिस के नियंत्रण में नहीं है। किसके नियंत्रण में है और किसे कैसे फायदा – नुकसान होगा या हो सकता है, समझना मुश्किल नहीं है। कौन कैसे बच सकता है, यह भी उतना ही साफ है। बम वाली गाड़ी 25 फरवरी को बरामद हुई थी और यह एक महीने की कहानी है। आज के अखबारों में खबर है कि सचिन वाजे के पुलिस कार्यालय और उनके घर के सीसीटीवी के रिकार्ड फुटेज आदि उनकी निशानदेही पर मीठी नदी से बरामद हुए हैं। अगर सचिन वाजे अपने बचने के लिए कार्यालय और अपनी बिल्डिंग के सीसीटीवी गायब कर सकते हैं तो क्या वे अकले दोषी होंगे? जाहिर है सारी जानकारी सचिन वाजे के पास है। क्या वह कभी बाहर आएगी, क्या असली दोषी का कभी पता चलेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement