भोपाल : हरिभूमि भोपाल में कदम-कदम पर इतनी सैलरी कटती है कि कुछ दिनों बाद कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए टैक्स देना पड़ सकता है। नए फरमान के तहत कर्मचारियों को अपने वेतन का 30 प्रतिशत हिस्सा गंवाना पड़ेगा, ऊपर से यदि 8 घंटे से कम ड्यूटी हुई तो घंटे के हिसाब से वेतन कटेगा। इस पर भी यदि 6 दिन लेट हुए तो एक दिन का वेतन कटेगा।
शनिवार को काला टी शर्ट (जिस पर हरिभूमि लिखा हो) पहनकर नहीं आए तो आधा दिन का वेतन कटेगा, लेकिन ओवर टाइम नहीं मिलेगा।
यदि आपने तय समय से ज्यादा काम दिया तो आपकी गलती है, क्यों काम किया?
बात यहीं खत्म नहीं होती। यदि महीने में 26 दिन आए हो, लेकिन छुट्टी साप्ताहिक अवकाश के दिन नहीं ली है तो 4 या 5 दिन का वेतन कट जाएगा। भले भी प्रबंधन ने आपको साप्ताहिक अवकाश के दिन क्यों न बुलाया हो। अब यह वेतन पाना है तो एक आवेदन लिखना पड़ेगा कि मुझसे गलती हो गई जो इस दिन साप्ताहिक अवकाश था और इस दिन ले लिया इसलिए इस दिन का वेतन न काटा जाए।
इसमें कुछ फरमान ऊपर से हैं तो कानून यहां एचआर विभाग में कार्यरत शक्ति सिंह नामक वर्कर ने बना लिया है। इसकी सोच किसी सामंतवादी सोच से कम नहीं है। ऐसा लगता है ऑफिस में फैक्टी वर्कर काम करते हैं जिनके 5 या 10 मिनट लेट आने से एक हजार पेपर कम छपेंगे। ऊपर से जाने का कोई तय समय नहीं है, काम खत्म करके ही जाना है।
सभी फरमान गैर कानूनी
दरअसल जर्नलिस्ट एक्ट 1955 के तहत समाचार पत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के कार्य का समय एक दिन में 6 घंटे ही होता है। वहीं रात में कर्मचारियों के काम का समय 5 घंटे होता है। कंपनसेशन एक्ट 1923 के तहत कर्मचारी से यदि कंपनी को नुकसान होता है तो अधिकतम 3 प्रतिशत वेतन काटा जा सकता है। लेकिन हरिभूमि प्रबंधन कितना काट लेगा कोई नहीं जानता।
प्रबंधन को फायदा ही फायदा
हरिभूमि भोपाल में कंपनी की इस समय 20 अंगुलियां घी में हैं और सिर कढाई में है। दरअसल लाकडाउन के कारण पेपर का सर्कुलेश जो 23 हजार था वह एक हजार से भी कम है। ऊपर से प्रबंधन ने मौखिक रूप से सभी कर्मचारियों से कहा है कि हमें इस लाकडाउन में भारी घाटा हो रहा है। इसलिए 10 हजार से 15 हजार वेतन पाने वालों की सैलरी 10 प्रतिशत काटी जाएगी। 15 हजार से ऊपर जितना वेतन है उतने प्रतिशत सैलरी काटी जाएगी जैसे 20 हजार वेतन है तो 20 प्रतिशत सैलरी काटी जाएगी। और जिनकी सैलरी 30 हजार से ऊपर है उनका 30 प्रतिशत वेतन कम दिया जाएगा।
पहले यह प्लान था कि कुछ लोगों को जिनका ऑफिस में कोई काम नहीं है उन्हें बिना वेतन के घर बैठा दिया जाए। लेकिन बाद में पीएम मोदी की अपील पर प्रबंधन को दया आ गई और उन्होंने सैलरी काटने का प्लान बनाया। संभवतः इस अपील पर दया नहीं आई कि किसी का वेतन न काटा जाए। प्रबंधन की दलील है कि दूसरी कंपनी भी तो कर्मचारियों का वेतन काट रही है। लेकिन यह भूल जाते हैं दूसरी कंपनी लाकडाउन में पूर्णतः बंद है तब वेतन काट रही है।
अब कोरोना के डर से कई कर्मचारी ऑफिस नहीं आ रहे हैं इसलिए उन्हें वेतन तो मिलने से रहा। अर्थात् जितने लोगों को बैठाने की योजना थी उससे ज्यादा लोग ऑफिस नहीं आ रहे हैं, फिर भी वेतन काटना है। पेपर कापी 20 हजार कम छप रही है। इधर छपाई लगात बच गई। फिर भी बहुत घाटा है।
इस समय उन पेपरों को घाटा हो रहा है जिनका सर्कुलेशन ज्यादा है लेकिन दैनिक भास्कर ने पेज कम कर पेपर का मूल्य बढ़ाकर 6 रुपए कर दिया। भोपाल हरिभूमि की बात करें तो इसका प्रांतीय सर्कुलेश 15 हजार है और सिटी में 8 हजार कापी। लेकिन लाकडाउन के कारण कई स्थानों पर पेपर नहीं जा रहा है इसलिए सिर्फ फाइल कापी छापी जा रही है। इससे प्रबंधन को अच्छा खासा फायदा हो रहा है। लेकिन फिर भी घाटे का रोना है।
एक कर्मचारी के भेजे पत्र पर आधारित.