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साहित्य

हिंदी कथाकार शेखर जोशी नहीं रहे

आज दोपहर 3.20 पर पिता जी श्री शेखर जोशी का वैशाली, गाज़ियाबाद के पारस हॉस्पिटल में निधन हो गया।

उनकी इच्छानुसार उनका पार्थिव शरीर देहदान के लिए ग्रेटर नोएडा के शारदा हॉस्पिटल को कल सुबह 9 बजे चला जायेगा।

संजय जोशी
सी 303 , जनसत्ता अपार्टमेंट्स
सेक्टर 9, वसुंधरा, ग़ज़ियाबाद

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अलविदा, शेखर जोशी!

‘दाज्यू’, ‘कोसी का घटवार’, ‘बदबू’ और ऐसी तमाम कहानियाँ लिखने वाले नई कहानी आंदोलन के स्तंभ शेखर जोशी हमारे बीच नहीं रहे। वे काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे। आज, 4 अक्टूबर 2022 को अपराह्न 3:20 बजे गाजियाबाद के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम साँस ली। 5 अक्टूबर 2022 को उनकी इच्छानुसार उनका पार्थिव शरीर देहदान के लिए ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल को सुबह 9 बजे सौंप दिया जाएगा।

10 सितंबर 1932 को अल्मोड़ा जनपद के ओलिया गाँव में जन्मे शेखर जोशी ने अभी पिछले महीने ही 90 वर्ष पूरे किए थे। 1953 में लिखी अपनी कहानी ‘दाज्यू’ से वे चर्चा में आए थे और उनका पहला कहानी संग्रह ‘कोसी का घटवार’ 1958 ई. में प्रकाशित हुआ था। पहाड़ी जीवन और मध्यवर्गीय पारिवारिक स्थितियों पर उनकी लिखी कहानियाँ बेहद चर्चित हुई थीं। मज़दूरों के जीवन पर लिखी कहानियों के मामले में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी। एक तरह से कह सकते हैं कि ग्राम कथा बनाम नगर कथा की धाराओं के संघर्ष में अपनी प्रगतिशील चेतना से लैस औद्योगिक जीवन को आधार बनाकर लिखी गई कहानियों की एक तीसरी धारा शेखर जोशी से निकलती थी। उनकी कहानियाँ स्वयं में एक आंदोलन हैं। 

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शेखर जोशी जनवादी लेखक संघ की स्थापना के समय से इससे जुड़े रहे और लंबे समय तक इसके उपाध्यक्ष रहे। अभी हाल ही में जयपुर में संपन्न जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें संरक्षक मंडल में शामिल किया गया था। अपने समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए वे हमेशा जाने गए। अपने मधुर व्यवहार के कारण वे अपने समकालीन कहानीकारों और परवर्ती पीढ़ी में बेहद लोकप्रिय थे।

शेखर जोशी का निधन जनवादी लेखक संघ और हिंदी के साहित्यिक समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। जनवादी लेखक संघ अपने अभिभावक साथी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करता है और उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

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संजीव कुमार (महासचिव)

बजरंग बिहारी तिवारी (संयुक्त महासचिव)

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नलिन रंजन सिंह (संयुक्त महासचिव)

संदीप मील (संयुक्त महासचिव)

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