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उत्तर प्रदेश

एचजेएस परीक्षा प्रकरण में काउंटर तलब, कोर्ट ने माना- इस मामले में गहन अवलोकन की जरूरत

नियमों में अष्पष्टता की बात भी कही गयी परंतु मुख्य परीक्षा पर रोक नही

इलाहाबाद। एच.जे.एस. प्रारंभिक परीक्षा २०१६ के परिणाम को चुनौती दिये जाने के प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने ही प्रशासनिक पक्ष से विस्तृत काऊंटर दाखिल करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका के माध्यम से याची सुमेधा तिवारी द्वारा इस परीक्षा के परिणाम को चुनौती दी गई थी। माननीय उच्च न्यायालय (प्रशासनिक पक्ष) द्वारा कराई जाने वाली एच.जे.एस. परीक्षा के प्रारंभिक चरण का परिणाम २१ सितंबर को घोषित किया गया था।

<p><span style="font-size: 18pt;">नियमों में अष्पष्टता की बात भी कही गयी परंतु मुख्य परीक्षा पर रोक नही</span><br /><br />इलाहाबाद। एच.जे.एस. प्रारंभिक परीक्षा २०१६ के परिणाम को चुनौती दिये जाने के प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने ही प्रशासनिक पक्ष से विस्तृत काऊंटर दाखिल करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका के माध्यम से याची सुमेधा तिवारी द्वारा इस परीक्षा के परिणाम को चुनौती दी गई थी। माननीय उच्च न्यायालय (प्रशासनिक पक्ष) द्वारा कराई जाने वाली एच.जे.एस. परीक्षा के प्रारंभिक चरण का परिणाम २१ सितंबर को घोषित किया गया था।</p>

नियमों में अष्पष्टता की बात भी कही गयी परंतु मुख्य परीक्षा पर रोक नही

इलाहाबाद। एच.जे.एस. प्रारंभिक परीक्षा २०१६ के परिणाम को चुनौती दिये जाने के प्रकरण में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने ही प्रशासनिक पक्ष से विस्तृत काऊंटर दाखिल करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका के माध्यम से याची सुमेधा तिवारी द्वारा इस परीक्षा के परिणाम को चुनौती दी गई थी। माननीय उच्च न्यायालय (प्रशासनिक पक्ष) द्वारा कराई जाने वाली एच.जे.एस. परीक्षा के प्रारंभिक चरण का परिणाम २१ सितंबर को घोषित किया गया था।

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याची सुमेधा तिवारी के अधिवक्ता प्रतीक राय एवं महेंद्र प्रसाद मिश्र द्वारा यह तर्क दिया गया कि प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित करने में महिलाओं के आरक्षण का संज्ञान नहीं लिया गया, जिसके कारण महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों के सही अनुपात में महिलाओं का मुख्य परीक्षा के लिए चयन नहीं हो पाया है। उच्च न्यायलय (प्रशासनिक पक्ष) के अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि प्रारंभिक चरण में महिला आरक्षण का संज्ञान लेना आवश्यक नहीं है। यह भी कहा गया की चूँकि मुख्य परीक्षा ११ एवं १२ नवम्बर को होनी है, इसलिए इतने कम समय में इस विषय पर कुछ भी कर पाना संभव नहीं होगा।

इन तर्कों के बावजूद न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता एवं न्यायमूर्ति श्री अभय कुमार की खंडपीठ ने यह मत व्यक्त किया की इस विषय पर और गहन अवलोकन किये जाने की आवश्यकता है। माननीय खंडपीठ ने नियमो में अस्पष्टता होने की बात भी कही। इसी के मद्देनजर उच्च न्यायलय (प्रशासनिक पक्ष) को यह निर्देश दिया गया कि इस विषय पर एक विस्तृत काउंटर दाखिल करें। फिलहाल आगे होने वाली मुख्य परीक्षा के सम्बन्ध में कोई भी निर्देश नहीं पारित किया गया। 

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