सुप्रीम कोर्ट ने करीब 200 करोड़ के दैनिक हिन्दुस्तान सरकारी विज्ञापन घोटाला मामले में बिहार सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। पूर्व में सरकार के निर्देश पर मुंगेर के पुलिस अधीक्षक वरूण कुमार सिन्हा पुलिस अनुसंधान की अद्यतन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेज चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब बिहार सरकार से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगने से घोटाला में संलिप्त बिहार सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के विज्ञापन शाखा से जुड़े सरकारी बाबुओं और संबंधित मंत्रियों की नींद उड़ गई है।
भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रेस रजिस्ट्रार और अन्य अफसरों में भी बेचैनी बढ़ गई है। दैनिक हिन्दुस्तान के कथित रूप से अवैध संस्करणों के माध्यम से एक दशक तक केन्द्र और राज्य सरकारों के सरकारी खजानों से लगभग दो सौ करोड़ रूपया सरकारी विज्ञापन के नाम पर लूटा गया। चर्चा है कि इसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और डीएवीपी के बाबुओं ने भी महती भूमिका अदाकर, अपना हिस्सा बनाया।
सुप्रीम कोर्ट में मंटू शर्मा ने अपने काउंटर ऐफिडडेविट में आरोप लगाया है कि इस मामले में कई बाबुओं की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्होंने तो पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में उच्चतम अदालत से प्रमुख आरोपी शोभना भरतिया की याचिका रद्द करने की भी मांग की है। अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी। इस मामले में प्रमुख आरोपी और मेसर्स दी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, प्रधान कार्यालय- 18-20, कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली, की अध्यक्ष श्रीमती शोभना भरतिया की ओर से स्पेशल लीव याचिका दाखिल की गई थी। भरतिया ने स्पेशल लीव पीटिशन के जरिए बिहार के मुंगेर कोतवाली थाना में दर्ज पुलिस प्राथमिकी क्रमांक -445। 2011 जो कि 18 नवंबर, 2011 को दर्ज हुई थी, रद्द करने की प्रार्थना सुप्रीम कोर्ट से की , जिसके जवाब में मंटू शर्मा ने काउंटर एफिडेविट जमा किया।
पुलिस प्राथमिकी में शोभना भरतिया के अलावा, अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर, पटना संस्करण के संपादक अक्कू श्रीवास्तव, भागलपुर और मुंगेर संस्करण के स्थानीय संपादक विनोद बंधु, दैनिक हिन्दुस्तान अखबार के मुद्रक और प्रकाशक अमित चोपड़ा के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 471, 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट 1867 की धारा 8(बी),14 और 15 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
जानकारी के अनुसार मुंगेर के पुलिस अधीक्षक पी कन्नन और आरक्षी उपाधीक्षक एके पंचालर ने अपनी पर्यवेक्षण-रिपोर्टों में ‘प्रथम दृष्टया‘ आरोप सही पाए हैं। आरोप के अनुसार सभी नामजद आरोपियों ने 3 अगस्त, 2001 भागलपुर स्थित मेसर्स जीवन सागर टाइम्स लिमिटेड, लोअर नाथनगर रोड, परवत्ती, भागलपुर से दैनिक हिन्दुस्तान अखबार के मुंगेर और भागलपुर के फर्जी संस्करण् 3 अगस्त 2001 से 30 जून, 2011 तक मुद्रित, प्रकाशित और वितरित किए। आरोप है कि जालसाजी और धोखाधड़ी की नीयत से मुंगेर और भागलपुर संस्करणों में पटना संस्करण का रजिस्ट्रेशन क्रमांक -44348/1986 मुद्रित किया और करोड़ों रूपया का सरकारी विज्ञापन प्राप्त किया।
शुरू में प्रिंट लाइन में रजिस्ट्रेशन नम्बर के स्थान पर ‘आवेदित‘ मुद्रित किया गया लेकिन 17 अप्रैल 2012 से इन संस्करणों की प्रिंट लाइन में निबंधन संख्या- बीआईएचएचआईएन / 2011 / 41407 मुद्रित करना शुरू कर दिया । नामजद आरोपियों ने पुलिस प्राथमिकी, बिहार उच्च न्यायालय, पटना खंडपीठ में पुलिस में दार्ज मामले को खारिज करने की अपील की लेकिन न्यायालय ने पुलिस को आदेश की तिथि से तीन माह के अन्दर पुलिस अनुसंधान पूरा करने का आदेश दिया। आरोपों के अनुसार पुलिस जांच के घेरे में महिला पत्रकार मृणाल पांडेय के अलावा महेश खरे, विजय भास्कर, विश्वेश्वर कुमार, कंपनी के उपाध्यक्ष योगेश चन्द्र अग्रवाल और कंपनी के निदेशक मंडल के अन्य सदस्य भी है।
मुंगेर से श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट।
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