दिलीप मंडल-
दिल्ली में सरकारी स्टेडियम में खेल का समय है शाम 4-7. शाम सात बजे के बाद पति और पत्नी IAS अपने कुत्ते के साथ ख़ाली स्टेडियम में टहलते हैं। मीडिया फ़ोटो खींचता है। हर तरफ़ शोर मचता है। 24 घंटे में एक्शन हो जाता है। पति और पत्नी का 3000 किमी के फ़ासले पर ट्रांसफ़र हो जाता है। पनिशमेंट पोस्टिंग लग जाती है।
क्या आपको ये नॉर्मल लग रहा है?
कल जाकर दिल्ली सरकार का आदेश आया है कि स्टेडियम अब सात बजे नहीं, 10 बजे तक खिलाड़ियों के लिए खुले रहेंगे। लेकिन घटना तो इससे पहले की है।
तीन सवाल
- खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम बंद होने का सरकारी समय क्या था?
जवाब – शाम 6 बजे
- स्टेडियम ख़ाली कब हुआ?
जवाब- शाम 6.30 बजे
- IAS दंपति स्टेडियम में कब आए?
जवाब – शाम 7 बजे
इतना तो रिपोर्ट में ही लिखा है। इसमें ग़ैरक़ानूनी या नियम कहाँ टूटा? दिल्ली के हर स्टेडियम में ईवनिंग वाक् होती है। यहाँ अलग क्या था?
देशपाल सिंह पंवार-
मैं तो खिरवार आईएएस दंपत्ति की दिल से तारीफ करूंगा कि सम्राट युद्धिष्ठर के साथ स्वर्ग में जाने वाले कुत्ते की इस पीढ़ी के प्रति उनका लगाव एक मिसाल से कम नहीं. गुनाह तब होता जब वो अपने बेटे-बेटी के लिए स्टेडियम खाली कराते…
तबादले से क्या होता है…सत्ता के पास तबादले का ही तो हथियार होता है…
स्टेडियम में अगर नियमत शाम साढ़े सात बजे तक ही अभ्यास हो सकता है तो फिर ऐसे कौन से खिलाड़ी और कोच थे जो इस समय के बाद भी स्टे़डियम में अभ्यास करते व कराते थे…वो भी अंधेरे में….
देश के ज्यादातर स्टेडिम में शाम के बाद दारू की बोतलों के ढेर,सुबह -सवेरे उनकी सफाई.. क्या मिस्टर खिरवार के आने से यहां के स्टाफ व खिलाड़ियों की ऐसी आजादी में खलल पड़ रहा था या फिर अभ्यास में. जांच तो होनी चाहिए ..
खिरवार अगर सैर को आते थे तो इससे स्टेडियम की देखभाल और ज्यादा बेहतर तरीके से होती होगी…क्या इससे इंकार किया जा सकता है…चलो कर लो तबादला- अब हो जाएगा खिलाडि़यों का भला..
सुरेश प्रताप सिंह-
दिल्ली के सचिव (राजस्व) संजीव खिरवार अपने कुत्ते के साथ आराम से स्टेडियम में टहल सकें, इसके लिए दिल्ली में खिलाड़ियों से स्टेडियम खाली करा दिया जाता था. यह खबर जब “इंडियन एक्सप्रेस” में प्रकाशित हुई तो सरकार की नींद टूटी. शासन स्तर पर खिरवार का तबादला लद्दाख कर दिया गया. अब वहीं पहाड़ पर अपने कुत्ते के साथ टहलो..!
अब इस मामले में भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की भी इंट्री हो गई है. मेनका खिरवार दम्पत्ति के बचाव में आ गई हैं. कहा- यह क्या तरीका हुआ की किसी को यहां से वहां तबादला कर दिया. यह हमें शोभा नहीं देता है.
मेनका गांधी ने कहा कि मैं खिरवार को अच्छी तरह से जानती हूं. वह अच्छे अधिकारी हैं. उल्लेखनीय है कि मेनका गांधी जानवरों के अधिकार को लेकर आवाज उठाती रहती हैं और इसी से राजनीति में भी चर्चा में आई थीं.
फिलहाल मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण भाजपा की राजनीति में हाशिए पर चल रहे हैं. कभी उनके पुत्र वरुण गांधी उत्तर प्रदेश की राजनीति में पोस्टर व्वाॅय हुआ करते थे. चुनाव के समय स्टार प्रचारक थे. लेकिन यह बीते दिनों की कहानी है.