‘इंडिया टीवी’ न्यूज चैनल में अपने यहां काम करने वाली महिलाओं का हक मारने में सबसे आगे है. यहां महिलाओं का सबसे ज्यादा शोषण होता है. एक एंकर ने तो जान तक देने की कोशिश की थी लेकिन अपने उंचे रसूख के चलते रजत शर्मा एंड कंपनी का बाल तक बांका न हुआ और पूरा मामला दबा दिया गया. देश की मीडिया वैसे तो बड़ी बड़ी बातें करती है. दूसरों को न्याय दिलाने की जंग लड़ने का दावा करती है लेकिन खुद के यहां शोषितों की आवाज दबा कर रखी जाती है. इंडिया टीवी देश के बड़े चैनलों में शुमार है. इसके मालिक रजत शर्मा ना सिर्फ एक बड़े पत्रकार हैं बल्कि सत्ता के गलियारों में भी धमक रखते हैं.
चैनल की कर्ताधर्ता रजत जी की पत्नी रीतू धवन खुद एक महिला हैं लेकिन वह अपने यहां काम करने वाली उन महिलाओं की आवाज सुनने को कतई तैयार नहीं जिनका सपना होता है मां बनना, काम करने के साथ साथ बच्चों की देखभाल करना. देश के तमाम सरकारी से लेकर निजी संस्थान तक अपने यहां काम करने वाली महिलाओं को मातृत्व लाभ देते हैं जिसके तहत उन्हें तीन महीने की छुट्टी सैलरी के साथ मिलती है. इसे हाल ही में बढ़ाकर मोदी सरकार ने छह महीने कर दिया है. केंद्र सरकार ने मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन को 10 अगस्त 2016 को मंजूरी दे दी जिसके बाद अब कामकाजी महिलाओं को 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश का लाभ मिल रहा है. मैटरनिटी बेनिफिट बिल को सदन की मंजूरी के साथ ही ये कानून सरकारी क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्र पर भी लागू हो गया.
अभी तक कामकाजी महिलाओं को 12 सप्ताह यानी तीन महीने के मातृत्व अवकाश की सुविधा मिली हुई थी. बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने बिल पारित होने के बाद कहा था कि यूनिसेफ के अनुसार जन्म होने के सात महीने तक मां का बच्चे की देखभाल करना जरूरी होता है इसलिए इस कानून के दूरगामी परिणाम होंगे. लेकिन जरा इंडिया टीवी की संवेदनहीनता देखिए जिससे कभी खुद मेनका गांधी भी जुड़ी रहीं. ये संस्थान इस कानून को अंगूठा दिखाता है. क्या इंडिया टीवी पर इस देश का कानून लागू नहीं होता? आखिर क्यों चैनल की मालकिन रीतू धवन को ये समझ नहीं आता कि कामकाजी महिलाओं के लिए दोहरी चुनौती होती है. बच्चों की देखभाल करना भी और घर का खर्च चलाना भी.
छह महीने के लिए मातृत्व का लाभ ना भी दे संस्थान तो कम से कम पुराने कानून के मुताबिक 3 महीने ही पेड लीव दे दे. इस मीडिया इंडस्ट्री के कई चैनल अपने यहां काम करने वाली महिलाओं को ये सुविधा देते हैं लेकिन इंडिया टीवी चंद रुपए बचाने के लिए कामकाजी महिलाओं का हक मार रहा है. रजत शर्मा और रीतू धवन को अपने यहां काम करने वाली महिलाओं को तत्काल प्रभाव से मेटरनिटी बेनिफिट देने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. यह मामला सिर्फ पैसे का नहीं बल्कि मनुष्यता और संवेदनशीलता का है.
Comments on “‘इंडिया टीवी’ में काम करने वाली महिलाओं को मैटरनिटी बेनिफिट क्यों नहीं देते रजत शर्मा?”
news channel me har group me apna apna rule chalta hai..depend karta hai ki aap kis group ke hain…malik ke karibi hain to thik warna saare niyam kanoon apko jhelne honge sath hi kch extraa b…haal hi me ITA award show me mr n mrs ko award lete dekha to socha ki shayad INDIA TV me cheezein rules ke mutabik hoti hongi..but ap jo b hain…ye mail padhkar hairani hoti hai…abhi kahin aur ye sab ho to sawal jawab behes kar karke khud ko no 1 btate rahenge…well ek ma ke taur par apko job me apke resume apke proffesion ke alawa aur b kai tarah ke sawal jhelne padte hain..maine b jhela…jaise night shift kar nai payengi…but fir b kuch log hain jinko sirf apke kaam se matlab hota hai..na ki apke single..married ya mother hone se…