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इंदौर प्रेस क्लब के स्थापना दिवस पर पत्रकारों का सम्मान

इंदौर। अस्सी का दशक प्रिंट मीडिया और नब्बे का दशक इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए स्वर्णिम काल रहा। अब पत्रकारिता अंधी सुरंग से गुजर रही है, लेकिन उम्मीद की किरण अभी भी बाकी हैं। यह उदगार राज्यसभा टेलीविजन के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने व्यक्त किए। श्री बादल इंदौर प्रेस क्लब के 54वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक समय में इंदौर पत्रकारिता का गढ़ रहा। इंदौर से राहुल बारपुते, प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे मूर्धन्य संपादकों ने पत्रकारिता की एक ऐसी पीढ़ी तैयार की जिसने देशभर में इंदौर घराने का नाम रोशन किया।

<p>इंदौर। अस्सी का दशक प्रिंट मीडिया और नब्बे का दशक इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए स्वर्णिम काल रहा। अब पत्रकारिता अंधी सुरंग से गुजर रही है, लेकिन उम्मीद की किरण अभी भी बाकी हैं। यह उदगार राज्यसभा टेलीविजन के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने व्यक्त किए। श्री बादल इंदौर प्रेस क्लब के 54वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक समय में इंदौर पत्रकारिता का गढ़ रहा। इंदौर से राहुल बारपुते, प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे मूर्धन्य संपादकों ने पत्रकारिता की एक ऐसी पीढ़ी तैयार की जिसने देशभर में इंदौर घराने का नाम रोशन किया।</p>

इंदौर। अस्सी का दशक प्रिंट मीडिया और नब्बे का दशक इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए स्वर्णिम काल रहा। अब पत्रकारिता अंधी सुरंग से गुजर रही है, लेकिन उम्मीद की किरण अभी भी बाकी हैं। यह उदगार राज्यसभा टेलीविजन के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने व्यक्त किए। श्री बादल इंदौर प्रेस क्लब के 54वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक समय में इंदौर पत्रकारिता का गढ़ रहा। इंदौर से राहुल बारपुते, प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे मूर्धन्य संपादकों ने पत्रकारिता की एक ऐसी पीढ़ी तैयार की जिसने देशभर में इंदौर घराने का नाम रोशन किया।

वरिष्ठ पत्रकार उमेश त्रिवेदी ने कहा कि आज सूचनाओं का तूफानी दौर चल रहा है। ऐसे में खबरों को विश्वसनीयता के साथ प्रकाशित और प्रसारित करना पत्रकारों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने नई पीढ़ी का आह्वान करते हुए कहा कि पत्रकारों में कुछ अलग करने का जज्बा हो और वह पैशन रखें तथा अपने काम के प्रति ईमानदार रहें।

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इस अवसर पर ‘पत्रकारिता : कल, आज और कल’ विषय पर परिसंवाद का आयोजन भी किया गया। परिसंवाद को वरिष्ठ पत्रकार सर्वश्री शशीन्द्र जलधारी, कीर्ति राणा, नवनीत शुक्ला, दिनेश सोलंकी एवं छाया चित्रकार अखिल हार्डिया ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारिता मिशन से सेंसेशनल, कमीशन और क्रिमीलाइजेशन तक पहुंच गई है। आज के दौर में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया की बहुतायत हो गई है, लेकिन पत्रकारिता की विश्वसनीयता कम होती जा रही है। संपादक नाम की संस्था का समाप्त होना भी एक अहम कारण है। वक्ताओं ने कहा कि नई पीढ़ी के पत्रकार अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाएं और पढऩे की आदत डालें। परिसंवाद का संचालन प्रो. प्रतीक श्रीवास्तव ने किया।

प्रारंभ में इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का संचालन महासचिव अरविंद तिवारी ने किया। अतिथियों का स्वागत सुनील जोशी, तपेन्द्र सुगंधी, सतीश जोशी, कमल कस्तूरी, अतुल लागू ने किया। इस अवसर पर हाल ही में जनसंपर्क विभाग द्वारा सम्मानित पत्रकारों का अभिनंदन भी किया गया। आभार संजय लाहोटी ने माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन और वरिष्ठ पत्रकार उपस्थित थे।

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