Dharmendra Nath Ojha-
जगजीत सिंह और भूपिंदर सिंह मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में एक साथ संघर्ष कर रहे थे। दोनों कुछ दिनों तक एक साथ रूम पार्टनर भी रहे। जगजीत सिंह को कुछ सालों में एहसास हो गया कि रफी, मुकेश, किशोर के रहते वे प्लेबैक सिंगिंग में अपनी जगह नहीं बना पाएँगे। इसलिए वे म्यूजिक कम्पनियों के एलबम में गज़ल व गीत गाने लगे और उनके लिए संगीत भी कम्पोज करने लगे।
एचएमवी के लिए उन्होंने कुछ नज़्मों को कम्पोज किया और प्रस्ताव रखा कि ये नज़्म भूपिंदर सिंह की आवाज़ में रिकॉर्ड किया जाए। जगजीत सिंह द्वारा कम्पोज नज़्म की रिकॉर्डिंग भूपिंदर सिंह की आवाज़ में शुरू हुई। एक टेक होने के बाद जगजीत सिंह ने भूपिंदर से कुछ लाइनें दुबारा गाने को कहा। जैसा कि अक्सर साथी कलाकारों के साथ होता है।
भूपिंदर सिंह ने जगजीत सिंह की बातों को दिल पे ले लिया और उन्होंने जगजीत के संगीत निर्देशन में गाने से मना कर दिया। मजबूरन उस नज़्म को जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड की। लेकिन भूपिंदर के मना करने के बाद एलबम नहीं निकल पाया। जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड किया हुआ उस नज़्म को एक फिल्म में दे दिया। लेकिन वो फिल्म कुछ दिनों की शूटिंग के बाद बंद हो गई।
1977 में एचएमवी द्वारा जगजीत और चित्रा सिंह की आवाज़ में एक सुपरहिट एलबम निकला जिसका नाम था “द अनफॉरगटेबल्स”। जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ में भूपिंदर सिंह द्वारा ख़ारिज उस नज़्म को इस एलबम में डाला। वो नज़्म जगजीत सिंह की आवाज़ की पहचान बन गई। शायर कफ़ील आज़र का लिखा वो नज़्म था- “बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी।”
जगजीत सिंह को उनकी 12वीं पुण्यतिथि पर सादर नमन!
(8 फरवरी 1941- 10 अक्टूबर 2011)