दैनिक जागरण के खिलाफ पीएफ इत्यादि की लड़ाई लड़ रहे पत्रकार हरेंद्र सिंह कठिनाई भरा जीवन जी रहे हैं. उस पर उनकी पत्नी रुचि सिंह के गाल ब्लेडर में 16mm की पथरी होने की शिकायत है. इस समस्या के सामने आने के बाद हरेंद्र ने मदद की अपील की है.
हरेंद्र बताते हैं कि एक जगह के टेस्ट पर जब भरोसा नहीं हुआ तो दूसरी जगह जांच कराई, उसमें भी ये शिकायत सामने आई है. जागरण वाले कोर्ट से आदेश के बाद भी मेरा पीएफ लटकाए हैं, नहीं तो दिक्कत न आती. सीएम, पीएम से लेकर कोर्ट तक इनके धनबल के आगे दंडवत है. लेकिन वक्त बहुत बलवान होता है.
उन्होंने भड़ास से कहा कि, “यदि आप न्यूज़ लगाएं तो यह भी लिखिए कि, जागरण से छुट्टी न मिलने के कारण मेरी मां हार्ट अटैक से चली गईं. 16 घंटे रोजाना काम कराने के कारण मेरी आंखों में- 6/8 नंबर का चश्मा लग गया. पिता मरते मरते बचे. नौकरी गंवानी पड़ी थी उनके इलाज को. मुझे टायफाइड होने पर छुट्टी लेने पर फिर से जॉब गवानी पड़ी.”
“हरेंद्र जी स्वयं एक पत्रकार हैं. अपने व दूसरे पत्रकारों के लिए रास्ता बनाने के लिए जागरण प्रबंधन से लड़ाई लड़ रहे हैं. हरेंद्र जेनुईन रूप से मदद के तलबगार हैं. कल रात भड़ास के एक सूत्र ने उनके घर जाकर हालातों का जायजा लिया था. भड़ास4मीडिया ने भी एक छोटी सी मदद उन्हें भेजी है. आप सभी से गुजारिश है कि हरेंद्र जी की यथोचित मदद करें. आपके 100-50 की मदद भी इस वक्त हरेंद्र व उनकी पत्नी के पास किसी संजीवनी बूटी की तरह पहुंचेगी… धन्यवाद!”
कृपया हो सके तो मेरी मदद करें…
नीचे देखें.. पत्रकार हरेंद्र सिंह जी की पत्नी के इलाज का डॉ ने जो एस्टीमेट बनाकर दिया है.
फ़ोन पे नंबर- 6387050866
Account detail :
HARENDRA PRATAP SINGH
Central Banka of India
Saving Account No: 3773338460
IFSC Code: CBIN0280156
Branch: Kaushal Puri, Kanpur
भड़ास की तरफ़ से ये एक हज़ार रुपये का योगदान-
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह सोशल मीडिया पर लिखते हैं-
कानपुर के पत्रकार हरेंद्र का केस जेन्युइन है। इनकी वाइफ का स्टोन का ऑपरेशन है। आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं ये आजकल। पचास से साठ हज़ार रुपये का एस्टिमेट दिया है अस्पताल ने। ये बहुत छोटी रक़म है। हम लोग अगर सौ दो सौ पाँच सौ हज़ार दो हज़ार की मदद अपने सामर्थ्य के हिसाब से भेज पाए तो ये हरेंद्र के लिए बड़ी राहत हो जाएगी। हरेंद्र से मेरी मुलाक़ात नहीं है लेकिन ये दबंग और लड़ाकू पत्रकार हैं। दैनिक जागरण में अपने कार्यकाल के दौरान हुए अत्याचार / शोषण के ख़िलाफ़ उन्होंने जागरण पर केस कर रखा है। उनका मुश्किल वक्त चल रहा है। एक स्वाभिमानी व्यक्ति बहुत मुश्किल में होने पर ही मदद माँगता है। वे नहीं चाह रहे थे कि उनका नाम पहचान आये। फिर उन्हें मैंने समझाया। भड़ास के एक सीनियर साथी को उनके घर भेज कर सारे फैक्ट्स को जाँचा समझा। प्लीज़ ये जेन्युइन केस है, मदद करें। अगर qr कोड न काम करे तो डायरेक्ट बैंक अकाउंट में गूगल pay के ज़रिए भेजें। शुरुआत करते हुए हम लोगों ने भड़ास की तरफ़ से हज़ार रुपये का योगदान भेजा है।
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