हर्ष कुमार-
मीडिया लाइन में आने वालों के लिए IIMC, Delhi का बडा क्रेज है। इससे डिग्री लेने वाले छात्रों को प्रिंट व टीवी चैनलों में बहुत पसंद किया जाता है। संपादक टाइप के लोग यहां से निकलने वाले युवाओं को ना जाने क्या समझते हैं? जबकि मेरा अनुभव कुछ और रहा है। यहां से निकले कई बोडम टाइप के पत्रकारों को मैं जानता हूं जिन्हें कोई सीनियर अपनी टीम में नहीं रखना चाहता था।
एक तो मेरठ दैनिक जागरण में 2009 में भी था हमारे साथ, नाम नहीं लूंगा, पर कोई उसे नहीं लेना चाहता था।
मेरा मानना है कि पत्रकारिता कॉलेज में नहीं सिखाई जाती। ये खेलों की तरह का एक स्किल है। जिसे आती है उसे आती है, जिसे नहीं आती वो कहीं से डिग्री ले ले सीख नहीं सकता।
इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट साझा कर रहा हूं। युवा पत्रकार जरूर पढें।
इसमें बताया गया है कि IIMC Delhi से निकले छात्रों को मीडिया संस्थानों में 25 हजार रुपये से ज्यादा की नौकरी नहीं मिलती, जबकि IPAC (प्रशांत किशोर की कंपनी), ABM, Show Time जैसी सर्वे व कंसल्टेंट्स कंपनियां 40 हजार की शुरूआती नौकरी दे रही हैं। ये इस समय. 2500 करोड़ का कारोबार बन चुका है और लगभग तीस हजार लोग इससे जुड़े हैं।
वैसे मेरी सलाह है जिन्हें मीडिया में आना है वो पहले अपना टेस्ट कर लें कि आपके भीतर कीड़ा है या नहीं! कीड़ा है तो आपकी सफलता तय है। अपनी बता रहा हूं, पत्रकारिता में कोई डिग्री डिप्लोमा नहीं था फिर भी हमेशा सबसे अव्वल दर्जे का काम किया। किसी भी संपादक से पूछ लें।