नोटबंदी पर लोकसत्ता के संपादक पत्रकार गिरीश कुबेर ने विशेष संपादकीय लिखकर मोदी सरकार के कदम की आलोचना की है. उन्होंने लिखा है कि इस फैसले से काला धन एवं भ्रष्टाचार पर रोक लगने की कोई गारंटी नहीं है। हां, आम लोगो की परेशानी जरूर बढ़ी है। दुनिया में किसी भी देश में नोटों को बंद करने और नई करंसी लाने से काला धन तथा भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है। कुबेर ने इस विशेष संपादकीय को “अर्थभ्रान्ति” (भ्रम फैलाने वाला) नाम दिया है।
गिरीश कुबेर ने इतिहास का सन्दर्भ देते हुए लिखा है कि तत्कालीन पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई गुजरात से थे। उनके कार्यकाल में भी ऐसा साहसिक कदम उठाया गया था और तत्कालीन आरबीआई गवर्नर आई जी पटेल थे। इतफाक से आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से हैं और आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल भी गुजरात से ताल्लुक रखते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के इस फैसले से ना तो काले धन पर लगाम लगी और ना ही भ्रष्टाचार कम हुआ। बल्कि दिन ब दिन इसका ग्राफ बढ़ता गया। कुबेर ने आगे कहा है जिन लोगों के पास काला धन है वो अब सफ़ेद करने में सोना, चांदी, जमीन, खेती, फ्लैट, हीरे आदि आदि में इन्वेस्ट करेंगे। मोदी सरकार का यह फैसला महज भ्रम पैदा करने वाला है।
पुणे से सुजीत ठमके की रिपोर्ट.
Comments on “लोकसत्ता के संपादक गिरीश कुबेर के मुताबिक नोटबंदी से कालेधन पर रोक न लगेगी”
Han Bhai ab ye chor apna muh khol Rahe hai jinhone aam employee ka paisa nahi Diya Sala chor
कोई मतलब नहीं रखती राय गर आप पाठको के कमेंट पढ़े तो. वैसे कुबेर साहब की राजनेतिक समझ का एक मानक अमेरिकी चुनाव हो सकता है जहा वे अंत तक हिलेरी को ही जीता रहे थे.