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सुख-दुख

कल्पतरु चिटफंड के मुख्यालय में हरियाणा के निवेशक ने जान दी, कंपनी मालिक जेके सिंह राणा पर शासन-प्रशासन मेहरबान

पुलिस प्रशासन होश में नहीं आया तो अभी जायेगी कई जानें। पिछले कई वर्षो से चिटफंड के माध्यम से जनता की गाढी कमाई चट कर करोड़ों निवेशकों, एजेंटों और कंपनी में कार्यरत हजारों कर्मचरियों को बेवकूफ़ बनाती चली आ रही केबीसीएल (कथित कल्पतरु ग्रुप) में भी अब खूनी खेल शुरू हो गया है। पिछले कई सप्ताह से पैसे मिलने के आश्वासन पर इसके मुख्यालय में डेरा डाले एजेंटों और निवेशकों के धैर्य का बांध टूटता जा रहा है। फलस्वरूप रविवार को इनमें से एक ने कंपनी के मुख्यालय में ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

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पुलिस प्रशासन होश में नहीं आया तो अभी जायेगी कई जानें। पिछले कई वर्षो से चिटफंड के माध्यम से जनता की गाढी कमाई चट कर करोड़ों निवेशकों, एजेंटों और कंपनी में कार्यरत हजारों कर्मचरियों को बेवकूफ़ बनाती चली आ रही केबीसीएल (कथित कल्पतरु ग्रुप) में भी अब खूनी खेल शुरू हो गया है। पिछले कई सप्ताह से पैसे मिलने के आश्वासन पर इसके मुख्यालय में डेरा डाले एजेंटों और निवेशकों के धैर्य का बांध टूटता जा रहा है। फलस्वरूप रविवार को इनमें से एक ने कंपनी के मुख्यालय में ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

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दुखद तथ्य ये है कि हरियाणा से आकर एक दुखियारा कंपनी के मुख्यालय में आत्महत्या कर लेता है लेकिन पिछले कई साल से कंपनी से महीना पा रहे जिले के कई आला पुलिस अधिकारियों का मामले को दबाने का खेल भी शुरू हो गया। ये जानते हुए भी कि ऐसे सभी चिटफंडिए जेल में है और पुलिस की बेरुखी व अकर्मण्यता कई और जानें ले सकती है। पुलिस-प्रशासन अगर कथित कल्पतरु ग्रुप (चिटफंड कंपनी केबीसीएल) के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाता है तो आने वाले कुछ ही समय में इस ग्रुप की धोखाधड़ी के शिकार हजारों परिवारो के लोग और उनसे जुड़े एजेंट, कंपनी अधिकारी भी आत्महत्या के रास्ते पर आगे बढ सकते हैँ जिसकी समस्त जिम्मेदारी उप्र सरकार, मथुरा और आगरा जिला प्रशासन और पुलिस की होगी।

गैर जमानती वारंटी और फरार अपराधी है ग्रुप का मुखिया

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यह आश्चर्य की बात है कि ग्रुप का मुखिया जेके सिह राणा पडोसी राज्य मप्र और पडोसी जिलों ग्वालियर और भिन्ड जिलों के न्यायालयों का गैर वारंटी मुजरिम है, बावजूद इसके धनबल और राजनीतिक पहुंच के बल पर आगरा, मथुरा की सीमा पर धड़ल्ले से अपने धोखाधड़ी के  कारोबार को संचालित करता रहा और उसके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई का होश दोनों राज्यों की पुलिस को नहीं रहा। फलस्वरूप एक निर्दोष को फांसी लगाकर अपनी जान देनी पडी। कई और शिकारों के सामने ग्रुप के मालिक द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण जान देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा।

हरिमोहन विश्वकर्मा की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]

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