इंडिया टुडे के खोजी पत्रकार मोहम्मद हिज़्बुल्लाह ने लम्बी पारी के बाद ग्रुप से इस्तीफ़ा दे दिया है. वे यहां करीब सात साल से अधिक समय से कार्यरत थे. 13 साल से जायदा इनका खोजी पत्रकारिता का अनुभव है, इससे पहले ये कोबरापोस्ट के साथ लंबी पारी खेल चुके है. इनपुट है कि हिज़्बुल्लाह अब बहुउद्देशीय कंपनी केपीएमजी के साथ बतौर मैनेजर इन्वेस्टीगेशन नई पारी की शुरुआत करेंगे.
मो हिज्बुल्लाह, इंडिया टूडे और आजतक में बतौर सीनियर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट कार्यरत थे. वे देश के कई बड़े मीडिया संस्थानों में अपनी सेवा दे चुके हैं और इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म यानि खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम हैं. राजनीति और सामाजिक मुद्दों में खासी दिलचस्पी रखते हैं. खोजी पत्रकारिता के दौरान उन्होंने कई ऐसे खुलासे किए जिन्होंने संसद से लेकर सत्ता गलियारों में हलचल बढ़ा दी. राजनेता और कॉरपोरेट के संबंधों का साठगांठ खुलकर सामने आ गया. वे खोजी पत्रकारिता से जुड़े विषयों पर लगातार लिखते रहते हैं.
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस में आत्महत्या की थ्योरी को सबूत के साथ सही बताने वाले हिज्बुल्लाह पहले और इकलौते पत्रकार थे. इसके अलावा साल 2008 में हुए महाराष्ट्र बम धमाकों में बरी हो चुके सनातन संस्था के दो सदस्यों के कबूलनामे का टेप हिज्बुल्लाह के पास था. उनकी तहकीकात के बाद, मुंबई ATS ने सबूत के तौर पर उस टेप के हवाले से अदालत में आरोपियों की रिहाई को चुनौती दी.
मेघालय में अंडरग्राउंड कोलफील्ड्स की खतरनाक दुनिया के हालात का जायजा लेने के लिए रैट-होल खदान में गए. खबर प्रसारित होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय में कोयले के खनन और परिवहन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया. हिज्बुल्लाह की पड़ताल में सामने आया था कि विजिलेंट ग्रुप्स को उन लोगों पर हमला करने के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है जिन पर उन्हें गोवंशी पशुओं को गोकशी के लिए ले जाने का संदेह होता है. इसे लेकर अलग-अलग राज्यों में उन्होंने पड़ताल की. उनकी छानबीन के बाद अन्य मीडिया संस्थानों ने उस दिशा में काम किया जिसके बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए.