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उत्तराखंड

उत्तराखंड में ऐक्टू नेता कामरेड के.के. बोरा पर भाड़े के गुंडों ने किया हमला, जान से मारने की कोशिश

ऐक्टू नेता के. के. बोरा को पुलिस द्वारा जबरन उठाने की कोशिश को अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि मिंडा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंधन ने भाड़े के गुंडों से उन्हे पिटवाने और जान से मारने का प्रयास कर दिया। आज कॉमरेड के. के. बोरा टैम्पो द्वारा हल्द्वानी से रूद्रपुर जा रहे थे कि पंतनगर में डाबर फैक्ट्री के पास पीछे से आयी स्कॉर्पियो ने टैम्पो का रास्ता रोक लिया। स्कॉर्पियो में लाठी डंडों से लेस नकाबपोश बैठे थे जिन्होंने कॉमरेड के. के. बोरा को सड़्क पर ही पीटना शुरू कर दिया। लोगों के जमा हो जाने पर वे भाग खड़े हुए अन्यथा कॉमरेड के. के. बोरा की जान भी जा सकती थी। इस घटना में कॉमरेड के. के. बोरा को सिर, हाथ और पैरों में चोटेँ पहुंची हैं। गुंडों द्वारा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ट्रेड यूनियन नेता पर इस तरह सरे-आम जानलेवा हमला गम्भीर चिंता का विषय है और बिगड़ती कानून-व्यवस्था का उदाहरण है।

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ऐक्टू नेता के. के. बोरा को पुलिस द्वारा जबरन उठाने की कोशिश को अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि मिंडा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंधन ने भाड़े के गुंडों से उन्हे पिटवाने और जान से मारने का प्रयास कर दिया। आज कॉमरेड के. के. बोरा टैम्पो द्वारा हल्द्वानी से रूद्रपुर जा रहे थे कि पंतनगर में डाबर फैक्ट्री के पास पीछे से आयी स्कॉर्पियो ने टैम्पो का रास्ता रोक लिया। स्कॉर्पियो में लाठी डंडों से लेस नकाबपोश बैठे थे जिन्होंने कॉमरेड के. के. बोरा को सड़्क पर ही पीटना शुरू कर दिया। लोगों के जमा हो जाने पर वे भाग खड़े हुए अन्यथा कॉमरेड के. के. बोरा की जान भी जा सकती थी। इस घटना में कॉमरेड के. के. बोरा को सिर, हाथ और पैरों में चोटेँ पहुंची हैं। गुंडों द्वारा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ट्रेड यूनियन नेता पर इस तरह सरे-आम जानलेवा हमला गम्भीर चिंता का विषय है और बिगड़ती कानून-व्यवस्था का उदाहरण है।

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यह घटना जहां एक तरफ प्रदेश की कानून व्यवस्था की बानगी है तो दूसरी तरफ रूद्रपुर के सिडकुल में सरकार के संरक्षण में चल रहे श्रमिकों के शोषण का प्रमाण भी। मंगलवार को मिंडा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के श्रमिकों ने अपनी मांगों तथा निष्कासित किये गये साथियों की बहाली को लेकर कैंडल मार्च निकाला था, जिससे गुस्साए प्रबंधन ने अनुशाशासन के नाम पर 18 श्रमिकों को भी बाहर कर दिया। इस नाइंसाफी को देखकर सभी श्रमिकों ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर जबरदस्त प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर ए.एल.सी. कार्यालय पहुंचे। यहां पर प्रबंधन के इशारे पर पुलिस ने श्रमिकों का नेतृत्व कर रहे कॉमरेड के. के. बोरा को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इस अवैधानिक गिरफ्तारी पर के. के. बोरा ने आपत्ति जतायी तो उनके साथ पुलिस ने धक्का-मुक्की की।

इस बात की खबर श्रमिकों को हुई तो पहले से गुस्साए श्रमिकों ने पुलिस का जबर्दस्त विरोध किया और प्रबंधन और प्रशासन के के. के. बोरा की गिरफ्तारी के इरादे धरे रह गये। सरकार के समर्थन के बावजूद कंपनी को मजदूरों से यह हार बर्दाश्त नहीं हुई तो कंपनी ने आज गुंडे किराये में ले लिए। स्कॉर्पियो में बैठकर आये इन नकाबपोश गुंडों ने टेम्पो द्वारा हल्द्वानी से रुद्रपुर जा रहे के. के. बोरा पर रास्ते पर ही कातिलाना हमला कर दिया। के. के. बोरा के हाथ और पैरों में चोटें आई हैं। कॉमरेड के. के. बोरा ऑल इण्डिया काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के प्रदेश महामंत्री हैं। कामरेड के.के.बोरा की अगुवाई में रुद्रपुर (उधमसिंह नगर) की मिंडा ऑटोमोबाइल्स नामक कंपनी में पिछले तीन महीने से मजदूरों के उत्पीडन के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है।

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यह घटना प्रदेश में चल रही गुंडागर्दी और जंगलराज का एक उदाहरण है। 75 दिनों से आन्दोलन में जुटे श्रमिकों की सुनवाई न सरकार कर रही है और न श्रम विभाग। कागजों में रुद्रपुर का सिडकुल प्रदेश का “सेज” हो सकता है लेकिन वास्तविकता में यह इलाका तमाम कंपनियों को उत्तराखंड सरकार द्वारा सस्ते बंधुवा मजदूर दिलाने का अड्डा भर है। सिडकुल की घोषणा के समय सरकार ने बड़े बड़े दावे पेश कर दुहाई दी थी कि इससे प्रदेश के औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार उत्पन्न होंगे। पर वास्तविकता कुछ और ही है। राज्य सरकार और श्रम मंत्री लगातार मालिकों के पक्ष में खड़े हैं और सिडकुल को श्रम-कानूनों की कब्रगाह में बदल दिया गया है। नौजवान युवक-युवतियों से न्यूनतम मजदूरी से बहुत ही कम पर काम लिया जा रहा है और इसके खिलाफ बोलने वालों की आवाज बंद करने की कोशिशें की जा रही हैं। हालत यह है कि सिडकुल में काम कर रहे ठेका (बंधुवा) मजदूरों को महज कैंडल मार्च निकालने के गुनाह में बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है। सरकारी तंत्र सिडकुल इलाके में मजदूरों के साथ खड़े ट्रेड यूनियन नेता पर हमला होता हुआ देख रहे हैं। 75 दिनों से हड़ताल कर रहे मजदूरों की कोई क्यों नहीं सुन रहा है जबकी मजदूरों के पक्ष में खड़े के के बोरा को मिंडा कंपनी के इशारे में पुलिस बिना वारंट और सम्मन के गिरफ्तार करने पहुँच जाती है? दिन दहाड़े कैसे स्कार्पियों से सरकारी संरक्षण प्राप्त गुंडे सड़कों में दौड़ते रहते हैं और पुलिस देखती रहती है?

इस घटना की भाकपा (माले) कड़ी निंदा करती है और मांग करती है कि कामरेड के.के.बोरा पर हमला करने वालों की तत्काल गिरफ्तारी हो, उन्हें उठाने की कोशिश करने वाले पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए, इस हमले के लिए मिंडा फैक्ट्री प्रबंधन एवं मालिकान पर आपराधिक षड्यंत्र रचने का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया जाए, मिंडा फैक्ट्री के मजदूरों की मांगों पर तत्काल कार्यवाही हो और सिडकुल में मजदूरन के उत्पीडन पर रोक लगाते हुए, श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

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Harish Dhami
Dharchula
Pithoragarh

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