भोपाल के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आर्थिक अनियमितताओं को लेकर आर्थिक अपराध शाखा (eow) ने विवि के पूर्व कुलपति सहित बीस लोगो के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किये।
देखें प्रेस विज्ञप्ति-
इस बीच, इस घटनाक्रम को बदले की कार्रवाई के रूप में भी देखा जा रहा है। उधर कुछ लोगों का कहना है कि माखनलाल विश्वविद्यालय के कुल 20 लोगों पर जो मामला दर्ज हुआ है उसकी एफआईआर बड़ी लचर है। लगता है सब कुछ जल्दबाजी में किया गया है।
ज्ञात हो कि 2003 से 2018 तक की नियुक्तियों और वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर चल रही थी जाँच, जिसके बाद इन कुल 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई है-
1- डॉक्टर ब्रज किशोर कुठियाला
2- डॉक्टर अनुराग सीठा
3- डॉक्टर पी शशि कला
4- डॉक्टर पवित्रा श्रीवास्तव
5- डॉक्टर अरुण कुमार भगत
6- डॉक्टर रजनी नागपाल
7- डॉक्टर संजय द्विवेदी
8- डॉक्टर अनुराग बाजपेयी
9- डॉक्टर कंचन भाटिया
10- डॉक्टर मनोज कछारिया
11- डॉक्टर आरती सारंग
12- डॉक्टर रंजन सिंह
13- डॉक्टर सुरेन्द्र पोल
14- डॉक्टर सौरभ मालवीय
15- डॉक्टर सूर्य प्रकाश
16- डॉक्टर प्रदीप डहेरिया
17- डॉक्टर सतेंद्र डहेरिया
18- डॉक्टर गजेंद्र सिंह
19- डॉक्टर कपिल राज
20- डॉक्टर मोनिका वर्मा
ईओडब्ल्यू के अतिरिक्त महानिदेशक केएन तिवारी का कहना है कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई प्रशासनिक एवं आर्थिक गड़बड़ियों के मामले में कुठियाला सहित 20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है गया है जिसमें कुठियाला मुख्य आरोपी हैं. इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 409 एवं 120 (बी) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पिछले करीब 15 सालों के दौरान प्रशासनिक एवं आर्थिक अनियमितताएं हुईं, जिनकी जांच चल रही है.
उन्होंने कहा कि पिछली जनवरी में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गोपाल रेड्डी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पूर्व विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) भूपेन्द्र गुप्ता एवं संदीप दीक्षित की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. पिछले मार्च में इन्होंने रिपोर्ट दी थी.
इस रिपोर्ट के आधार पर विश्व विद्यालय के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल से आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसमें विशेष तौर पर पिछले कुलपति कुठियाला के 2010 से लेकर 2018 के आठ साल के कार्यकाल में उनके द्वारा प्रशासनिक एवं आर्थिक अनियमितताओं की विस्तार से बताया गया था. उसके आधार पर हमने रिपोर्ट दर्ज की है.
तिवारी ने बताया कि इसमें मुख्य आरोपी तत्कालीन कुलपति कुठियाला हैं और उनके साथ करीब 19 आरोपी और भी हैं. ये सभी उसी विश्वविद्यालय के ही लोग हैं, जो गलत तरीके से नियुक्त किए गए या जिन्होंने कुठियाला के संरक्षण में गलत तरीके से आर्थिक एवं प्रशासनिक अनियमितताएं की.
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए उन्होंने अपने इलाज के दौरान कुछ मेडिकल बिल रीइम्बर्स कराये थे, जिनको वह नहीं ले सकते थे. तिवारी ने बताया कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारियां हो सकती है. उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जाएगा. उनसे आगे पूछताछ की जाएगी.
प्रोफेसर कुठियाला पर कई किस्म के आरोप लगे हैं. पत्रकार Shahnawaz Malik फेसबुक पर लिखते हैं-
बृज किशोर कुठियाला आरएसएस काडर और कम पढ़े लिखे व्यक्ति हैं. वर्षों से भोपाल के पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पद पर थे और देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित नशा मुक्ति कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेते थे. अब मध्यप्रदेश में सरकार बदलने के बाद इनके ख़िलाफ़ जांच शुरू की गई है….शुरुआती जांच में पाया गया है कि कुठियाला शराब पीते थे और बिल का भुगतान विश्वविद्यालय की निधि से करते थे. शौक़ीन इतने कि पब्लिक के पैसे से घर में एक महंगा वाइन कैबिनेट भी लगवा रखा था.
इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए लोगों के कुछ करीबियों ने जो प्रतिक्रिया भेजी है, उसे नीचे प्रकाशित कराया जा रहा है-
“भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से ही माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय निशाने पर है। बदले की भावना से प्रेरित कमलनाथ सरकार उनलोगों के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई कर रही है जो कांग्रेस की विचारधारा से संबंध नहीं रखते हैं। पहले विश्वविद्यालय के कुलपति को जबरन हटाया गया, कुलसचिव का इस्तीफा लिया गया और एक – एक कर विवि के कई शिक्षकों को विभागाध्यक्ष पद से हटाया गया। अब आयकर विभाग की दबिश से बौखलाई सरकार ने बदले की भावना से प्रेरित होकर बिना किसी ठोस सबूत के विवि के प्रतिष्ठत शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पूर्व कुलपति समेत जिन 20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है वे मीडिया जगत के प्रतिष्ठित नाम हैं। इन सभी ने मीडिया और शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय मुकाम हासिल किए है और विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। लेकिन कमलनाथ सरकार राजनीति के आड़ में विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास कर रही है। सरकार के पास न तो ठोस सबूत है और न ही कोई आधार है। मनगढ़ंत स्क्रिप्ट के आधार पर सरकार शिक्षकों को फंसा रही है। वहीं जो लोग कांग्रेस के करीबी है उनको छोड़ दिया गया है। उनके नाम इस सूची में शामिल नहीं हैं। निश्चित रूप से सरकार की बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई से विवि की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा।”