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लौट के रितेश लक्खी फिर से फोकस न्यूज हरियाणा आए

नोएडा : लौट के बुद्धू घर को आए-यह कहावत रितेश लक्खी पर सही बैठती है। ई टीवी हिमाचल-हरियाणा में बात नहीं बनी तो फिर फोकस न्यूज हरियाणा में लौटने को मजबूर होना पड़ा। लगता है कि वहां दाल न गली, इसलिए घर वापसी कर ली। जो सपने लेकर गए थे, शायद वे पूरे नहीं हुए। इसलिए एक माह भी नहीं टिक पाए और किसी तरह फिर जुगाड़ कर वापस आ गए।

<p>नोएडा : लौट के बुद्धू घर को आए-यह कहावत रितेश लक्खी पर सही बैठती है। ई टीवी हिमाचल-हरियाणा में बात नहीं बनी तो फिर फोकस न्यूज हरियाणा में लौटने को मजबूर होना पड़ा। लगता है कि वहां दाल न गली, इसलिए घर वापसी कर ली। जो सपने लेकर गए थे, शायद वे पूरे नहीं हुए। इसलिए एक माह भी नहीं टिक पाए और किसी तरह फिर जुगाड़ कर वापस आ गए।</p>

नोएडा : लौट के बुद्धू घर को आए-यह कहावत रितेश लक्खी पर सही बैठती है। ई टीवी हिमाचल-हरियाणा में बात नहीं बनी तो फिर फोकस न्यूज हरियाणा में लौटने को मजबूर होना पड़ा। लगता है कि वहां दाल न गली, इसलिए घर वापसी कर ली। जो सपने लेकर गए थे, शायद वे पूरे नहीं हुए। इसलिए एक माह भी नहीं टिक पाए और किसी तरह फिर जुगाड़ कर वापस आ गए।

करीब एक माह पहले ही सूचना आई थी कि रितेश लक्खी ने फोकस न्यूज हरियाणा छोड़ दिया है और वे ई टीवी हिमाचल-हरियाणा का हिस्सा हो गए हैं। उनके पद को लेकर कयास लगने शुरू हो गए। पहले वहां बलवंत तक्षक संपादक थे, लेकिन लक्खी के जाने के बाद पत्रकारों की मार्केट में बात चली कि वे तक्षक के सिर पर बैठ गए हैं, लेकिन जब नवंबर माह की शुरूआत में ई टीवी के चंडीगढ़ में नए आफिस का शुभारंभ हुआ तब एडिटोरियल हेड जगदीश चंद्र कातिल ने तक्षक को वरिष्ठ संपादक और लक्खी को संपादक कहकर संबोधित किया। समारोह में बलवंत तक्षक को ही अधिक महत्व मिला।

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तभी से लगने लगा था कि हां, इसका मतलब लक्खी की दाल नहीं गली और अब आज ही सूचना मिली कि लक्खी तो ई टीवी से रवाना हो गए हैं। फिर सूचना आई कि दोबारा फोकस न्यूज हरियाणा में लौटे हैं। हां कोई मजबूरी भी रही होगी नहीं तो बहुत कम हैं जो थूक कर तुरंत ही चाट लेते हैं। एक बात यह भी हो सकती है कि लक्खी ने सोचा होगा कि ई टीवी में जाते ही तूफान खड़ा कर देंगे। बहुत फूं फां की भी होगी, पर असर कुछ नहीं हुआ। ई टीवी में भी जुगाड़ की कोशिश तो बहुत की होगी। इधर-उधर हाथ पैर भी मारे होंगे, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला होगा। अब देखते हैं फोकस में दोबारा क्या कमाल करते हैं। सुना है कि पहले भी वहां काम करने वालों को बहुत परेशान करते थे। इसी परेशानी के चलते एक महिला कर्मी को तो छोड़कर जाना पड़ा था। बाकियों के साथ भी कोई अच्छा व्यवहार नहीं करते।

लक्खी के बारे में पहले तब सुना था जब जी न्यूज की चंडीगढ़ से रिपोर्टिंग करते थे। लेकिन फोकस न्यूज हरियाणा में टेढ़ी बात कार्यक्रम में उनके किसी भी सवाल में कम से कम दम नजर नहीं आता था। लगता था कि जैसे कोई सवाल पूछने से पहले कुछ पढ़ा लिखा नहीं। कई बार नेता लक्खी पर हावी होते देखे। लक्खी को बिना बात की बहस में उलझे हुए देखा और दूसरे का जवाब सुनने की बजाय चिल्लाते हुए देखा। ऐसा या तो नेताओं को बहस करते देखा है या फिर उस पत्रकार के साथ, जिसको विषय की बहुत कम जानकारी हो। चलो भाई फोकस हरियाणा वालो फिर भुगतों। लगता है तुमने अच्छे कर्म नहीं किए थे।

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दीपक खोखर की रिपोर्ट

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0 Comments

  1. HARPREET SINGH

    November 24, 2014 at 4:03 am

    मैने रितेश जी के साथ लगभग 3 साल काम किया है, मुझे मीडिया छोड़े हुए भी 2 साल हो चुके हैं रितेश जी के साथ एक पंजाबी चैनल में काम करते वक्त उनके साथ तगड़े मतभेद भी रहे लेकिन उनकी पत्रकारीय समझ पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, ये रिपोर्ट जिन भी महाशय ने लिखी है या तो किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर लिखी है या उन्हे गलत जानकारी दी गई है…
    हरप्रीत राठौड़

  2. sumit kumar

    November 24, 2014 at 8:57 am

    पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर इंसान बकवास और झूठी बात ही लिख सकता है. ”’टेढ़ी बात” हरियाणा के टेलीविजन इतिहास का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम था और है. रितेश लखी की पत्रकारीय समझ पर सवाल उठकर आप खुद के नादान और मुर्ख होने का सबुत दे रहे हैं. आपकी समझ कितनी है वह इस बात से दिखती है की आप ”वरिष्ठ संपादक” यानी सीनियर एडिटर को ”’संपादक” से बड़ी बता रहे हैं. आपने अगर ज़िंदगी में किसी ढंग के चैनल में काम किया होता तो आपको पता होता की सीनियर एडिटर की पोस्ट एडिटर के मुकाबले काफी पायदान निचे होती है. ऐसी बकवास लिखकर अपने अल्पज्ञान की जानकारी आपने दे दी. लेकिन भड़ास से उम्मीद की जाती है वह तथ्यों पर आधारित लेखन ही छपता है. यशवंत जी ध्यान दीजिये, झूठा और बकवास छापने से भड़ास की विश्वसनीयता ख़त्म होती है.

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