नोएडा की हाईराइज सोसाइटीज में जीवन कितना ख़तरे में है, इस वीडियो को देख कर समझ सकते हैं। आम्रपाली लेजर पार्क के ए5 टावर की लिफ्ट में एक बड़े न्यूज़ चैनल में कार्यरत पत्रकार की पत्नी फँस गईं।
इससे पहले भी लिफ्ट में फँसने की दो तीन घटनाएँ हो चुकी हैं। सरकारी बिल्डर एनबीसीसी और एडहाक एओए हाथ पर हाथ धरे बैठा है। लगता है जैसे सबको किसी की मौत का इंतज़ार है। नोएडा के बिसरख थाना क्षेत्र में है लेजर पार्क!
देखें लिफ्ट में फँसी महिला का वीडियो-
ज्ञात हो कि आम्रपाली लेजर पार्क का निर्माण सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट रिसीवर की निगरानी में किया गया और अब भी सीआर ऑफ़िस व सरकारी बिल्डर एनबीसीसी ही इसे संचालित कर रहे हैं। सीआर ऑफिस और एनबीसीसी ने रेज़ीडेंट में फूट डालो राजनीति करो की तर्ज़ पर चुने गये एढाक एओए की बजाय अपना पपेट एढाक एओए बिठा रखा है जो लिफ्ट मेंटेनेंस पर एनबीसीसी से सवाल करने की बजाय रेज़ीडेंट्स से जबरन भारी भरकम उस मेंटेनेंस चार्ज को वसूलने में जुटा है जिसे बिना किसी की लिखित सहमति के अचानक थोप दिया गया।
इस प्रकरण को लेकर लेजर पार्क सोसाइटी के एक रेज़ीडेंट सोसाइटी के व्हाट्सअप ग्रुप में लिखते हैं-
ईश्वर का शुक्र है कि एलपी में अभी तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है। नीरज जी, विनीत जी, रुनझुन जी समेत कई लोग लिफ्ट में बुरी तरह फँस चुके हैं पर सबक़ लेकर अभी तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। इंटरकॉम अभी तक नहीं लग सका है।मेंटेनेंस का कोई सर्टिफिकेट लिफ्ट के अंदर नहीं लगा है।
यहाँ एओए बजाय लिफ्ट का मेंटेनेंस ठीक से क्रियान्वयन के लिए एनबीसीसी पर दबाव बनाने के, रेज़ीडेंट्स से उलझा हुआ है। ये लोग सरकारी बिल्डर के प्रवक्ता बन गये हैं। बिना लिखित सहमति भारी भरकम मेंटेनेंस चार्ज थोपना, दबाव बना कर वसूली करना, दारू पीकर धमकाना, बिना सोसाइटी में रहे ही एओए का मेम्बर बन जाना, प्रॉपर्टी डीलर्स द्वारा सोसाइटी को भाँति भाँति तरीक़े से निचोड़ना….
ये सब दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकारी बिल्डर की शह पर लिफ्ट हैंडओवर की बात करने लगे ये लोग। इससे समझा जा सकता है कि ये ख़ुद क्या दबाव बनायेंगे, इन पर दबाव बना कर काम कराया जा रहा है।
अब ये लोग कॉमन एरिया बिजली बिल का मुद्दा उठा रहे हैं क्योंकि इनका आका सरकारी बिल्डर इनसे यही चाहता है। अभी जब एनबीसीसी का काम चल रहा है, हैंडओवर हुआ नहीं तो रेसिडेंट क्यों दे कॉमन एरिया का बिल। पर ये बात एओए वाले एनबीसीसी से नहीं कह पायेंगे क्योंकि वे जनता के आदमी नहीं, बिल्डर के बिहाफ पर काम कर रहे हैं। इसीलिए इनकी भाषा घटिया और धमकाने वाली होती है।