अनिल सिंह-
-योगी को धमकी देने वाली की तूती बोल रही पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में
-एचआरडी, ट्रेनिंग से लगायत हर काम जल गुणवत्ता सलाहकार के जिम्मे
-मंत्री पर ईमानदारी का कंबल ओढ़कर बेईमानी का घी पीने का आरोप
लखनऊ : सत्ता बदल जाये या नेता बदल जाये, सिस्टम उसी ढंग से काम करता है, जैसे उसे करना होता है। और सिस्टम केवल लेन-देन से चलता है, सच, ईमानदारी और जनता की बेहतरी के भावनाओं से नहीं। अगर सिस्टम लेन-देन से नहीं चलता तो कम से कम योगी आदित्यनाथ के खासे नजदीकी मंत्री के सिंचाई विभाग में उस बसपा नेता की तूती नहीं बोलती, जिसने चुनाव के दौरान खुलेआम योगी आदित्यनाथ को धमकी दी थी। आज भी सिंचाई विभाग में बसपा नेता के एनजीओ की तूती बोल रही है, उसे लाभ पहुंचाने के लिये नियमविरुद्ध कार्य किये जा रहे हैं और योजनाओं में शर्त भी उसी नेता के डिक्टेशन पर तैयार होते हैं, और जिम्मेदार अधिकारी इसे झूठा आरोप बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव एवं निदेशक सुरेंद्र राम की जुगलबंदी जलशक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले यूपी राज्य पेयजल स्वच्छता मिशन को केवल अपने एवं चहेतों के लाभ की ईकाई बनाने पर तुली हुई है, जिसमें जलशक्ति मंत्री डा. महेंद्र सिंह की भी मौन सहमति है। अगर ऐसा नहीं होता तो गड़बड़ी सामने आने के बाद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होती, लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। इसके पहले भी इस टीम ने इसके पहले बेस लाइन सर्वे में नियमों को दरकिनार करते हुए ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को ठेका दे दिया। शिकायत के बावजूद कहीं एक पत्ता तक नहीं हिला। ताजा मामला फील्ड टेस्ट किट आपूर्ति से जुड़ा हुआ है।
राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन का आलम यह है कि यहां आये दिन टेंडर निकलते हैं, और अपनी चहेती कंपनी को लाभ नहीं पहुंचने की संभावना पर निरस्त भी कर दिये जाते हैं। फील्ड टेस्ट किट यानी एफटीके का की आपूर्ति का टेंडर भी दो बार निरस्त किया गया, क्योंकि विंग्स, जिसके कर्ताधर्ता बसपा नेता आफताब आलम हैं, को लाभ मिलने में दिक्कत आ गई थी। इसलिये ना केवल टेंडर निरस्त किया गया बल्कि आईईसी एचआर से काम लेकर जल गुणवत्ता सलाहकार अनामिका श्रीवास्तव को सौंप दिया गया, जो प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव एवं आफताब आलम की गुडलिस्ट में शामिल मानी जाती हैं।
आफताब की कंपनी विंग्स के खिलाफ एडवांस पेमेंट का एक मामला एटा कासगंज में भी चल रहा है, जिसमें विंग्स को गलत तरीके से एडवांस पेमेंट किया गया। इसमें भी विंग्स को 11 करोड़ 67 लाख रुपये का आईईसी यानी इंफार्मेशन, एजुकेशन एवं कम्यूनिकेशन का काम भी नियम विरुद्ध बिना टेंडर कराये दिया गया। इतना ही नहीं इस कंपनी को नियम के खिलाफ जाकर एडवांस पेमेंट भी कर दिया गया। यह काम भी योगी सरकार के कार्यकाल में किया गया। अधिकारी बेखौफ होकर बसपा नेता की कंपनी विंग्स के पक्ष में खड़े रहे, जबकि भाजपाई ईमानदारी का ढिंठोरा पीट रहे थे।
एटा-कासगंज सीडीओ तेज प्रताप मिश्र ने अपनी जांच रिपोर्ट में भी स्पष्ट लिखा है कि विंग्स ने 8 अक्टूबर 2017 को अपना प्रस्ताव दिया, 13 अक्टूबर 2017 को अनुबंध पर हस्ताक्षर हुआ। दिनांक 13 अक्टूबर को ही सभी विकास खंड में गतिविधयों हेतु मुख्य विकास अधिकारी के स्तर से कार्यादेश जारी किया जाता है और इसी दिन नोटशीट पर वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति ली जाती है तथा इसी दिन आरटीजीएस के जरिये विंग्स को 2 करोड़ 66 लाख से ज्यादा की धनराशि हस्तांतरित कर दी जाती है। जाहिर है कि यह खेल भाजपा शासन काल में भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ, जब बसपा नेता की कंपनी को सारे नियम ताक पर रखकर लाभ पहुंचाया गया।
अब ऐसा ही खेल राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में चल रहा है। जिस प्रोजेक्ट को आईईसी एचआरडी तैयार करता है, उस काम को लेकर जल गुणवत्ता सलाहकार अनामिका श्रीवास्तव को दे दिया जाता है, ताकि वह विंग्स या उसके कर्ताधर्ता को लाभ पहुंचाने वाली शर्तें बना सकें। इन्हीं के प्रताप से एफटीके का एक टेंडर भी निरस्त किया गया। अभी जो आरोप लग रहे हैं कि विंग्स के एडवांस पेमेंट में फंसने के बाद उसी के अनुभव के आधार पर दूसरी कंपनी को एफटीके आपूर्ति का काम सौंपा गया है।
आरोप है कि एफटीके आपूर्ति का काम जिस एक्शन फॉर रुरल डेवलपमेंट संस्था को दिया गया है, उसमें अनुभव के ज्यादातर पेपर विंग्स के लगाये गये हैं। एक्सपर्ट ने जान-बूझकर इन कागजों की गहन जांच नहीं की ताकि कंपनी को फायदा पहुंचाया जा सके। 60 करोड़ रुपये का यह काम बंदरबांट का शिकार हो गया है। इसमें विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी काफी संदिग्ध है। विभाग के सभी कामों में जल गुणवत्ता सलाहकार को शामिल किया जाना संदेह को बल देता है।
इतना ही नहीं, आईईसी एचआरडी की जिलों में नियुक्तियां होनी थी, इसे भी जल गुणवत्ता सलाहकार अनामिका श्रीवास्तव को दे दिया गया, जबकि आईईसी एचआरडी विभाग के लोगों के रहते हुए इन्हें देने का कोई औचित्य नहीं बनता था। एचआरडी का काम जल गुणवत्ता सलाहकार को देकर आखिर किसे लाभ पहुंचाने की रणनीति बनाई जा रही है। आरोप है कि इन भर्तियों में मोटा माल बनाने के लिये यह खेल हो रहा है। और मंत्रीजी अधिकारियों की कारस्तानी जानने के बाद भी चुप्पी साधे बैठे हैं।
एक खेल यह भी
राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में मैन पावर एजेंसी हायर करने के लिये जेम पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया निकाली गई। इसमें जीम नाम की कंपनी का चयन किया गया। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद खेल करते हुए अचानक इसका 25 फीसदी काम दूसरी कंपनी को अलॉट कर दिया गया, जबकि नियमानुसार यह भ्रष्टाचार था। अगर मैन पॉवर में एक से ज्यादा कंपनियों को काम देना था, तो इसके लिये बाकायदा टेंडर निकाला जाना चाहिए था, लेकिन विभाग ने चयनित कंपनी के हिस्से का 25 फीसदी काम मेसर्स रामा इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड कौशांबी गाजियाबाद को सौंप दिया गया।
25 प्रतिशत का काम अन्य कम्पनी को देना इतना जरूरी हो गया कि संबंधित सलाहकार को एचआर के काम से ही कार्यमुक्त कर दिया गया। इस काम को भी वाटर क्वालिटी सलाहकार अनामिका श्रीवास्तव को सौंप दिया गया। अव्वल तो सम्बंधित सलाहकार को हटाया जाना ही पूरी तरह से नियम विरुद्ध था, दूसरे जल गुणवत्ता सलाहकार को एचआर से जुड़ा काम दिया जाना भी गलत है। वह भी तब जब राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन में एचआर का काम देखने के लिये तीन अधिकारी कार्यरत हैं।
आखिर ऐसा कौन सा कारण है, जो हर काम जल गुणवत्ता सलाहकार के जिम्मे ही दिया जा रहा है, संबंधित कर्मचारियों के रहते हुए? जब विभाग में यूनिट कोऑर्डिनेटर संस्थागत विकास, संस्थागत विकास सलाहकार तथा आईईसी ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट विशेषज्ञ तैनात हैं, जिनका काम ही नियुक्ति, ट्रेनिंग का काम देखना है। आरोप है कि केवल आफताब आलम को लाभ पहुंचाने के लिये प्रत्येक काम में अनामिका श्रीवास्तव की जिम्मेदारी तय कर दी जाती है। इसमें ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी एवं मंत्री की सहमति रहती है।
हर काम अनामिका श्रीवास्तव को
इतना ही नहीं, जल गुणवत्ता सलाहकार अनामिका श्रीवास्तव को पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अलावा पंचायती राज से संबंधित ट्रेनिंग का प्रभार भी सौंप दिया गया है, जबकि क्षमता संवर्धन का काम आईईसी एचआरडी विशेषज्ञ का होता है। बड़ा सवाल यह है कि जब अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ का कार्य एवं दायित्व निर्धारित है तो उनसे काम ना लेकर अनामिका श्रीवास्तव पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है? आखिर उनमें ऐसे कौन सुरखाब के पर लगे हैं, जो दूसरों नहीं कर सकते हैं? खुद को राष्ट्र का सबसे इमानदार बताने वाले मंत्री के विभाग में यह खेल चल रहा है, वह दम साधे बैठे हुए हैं तो आखिर क्यों?
आरोप है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम स्तर पर योजनाओं के सफल बनाये जाने के लिए ऑपरेटर, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन तथा मेशन की ट्रेनिंग कराई जानी हैं। पूरे प्रदेश के लिए ये ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाया जाना है। जाहिर है ये बड़ा काम है और इस पर विभाग में पैठ रखने वाले लोगों की नजरें गड़ी हुई हैं। मिशन के अधिशासी निदेशक सुरेंद्र राम और प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव पहले ही अपने चहेते को लाभ दिलाने के लिए सभी नियम कायदों को ताक पर रखते आ रहे हैं। इस पूरे खेल की पूरी जानकारी जलशक्ति मंत्री डाक्टर महेंद्र सिंह को भी है लेकिन वह भी कंबल ओढ़कर घी पी रहे हैं।
बताया जा रहा है कि 3 फरवरी को जारी किये गये एक आदेश में आईईसी/एचआरडी की समस्त गतिविधियों के संचालन हेतु वित्त नियंत्रक पूर्णेंदू शुक्ला को नोडल अधिकारी नामित किया गया है, तथा इनका भी सहयोग अनामिका श्रीवास्तव ही करेंगी। अनामिका श्रीवास्तव के अलावा शुक्लाजी की मदद विभाग का कोई और अधिकारी नहीं कर सकता है? जाहिर है कि कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के लिये योगी सरकार में भी अधिकारी और मंत्री वही कर रहे हैं, जो सपा-बसपा की सरकारों में होता था। इस संदर्भ में पूछे जाने पर अधिशासी निदेशक सुरेंद्र राम ने कहा कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है। अगर किसी को कोई शिकायत है तो मैं प्रत्येक बिदु पर जवाब देने को तैयार हूं। दूसरी तरफ जल शक्ति मंत्री एवं प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने फोन रिसीव नहीं किया।
लखनऊ से पत्रकार अनिल सिंह की रिपोर्ट.