देखें नीचे दिया गया पत्र जिसमें राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव शिवशरण सिंह की कारस्तानी का ज़िक्र है। ज़ाहिर है, इसमें ias शिशिर सिंह की भी मिलीभगत है, जिनकी इच्छा के बग़ैर एक पत्ता भी नहीं खड़क सकता…
पत्र लेखक अनिल कुमार सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच कराए जाने की ज़रूरत है। देखें पत्र-
एक पत्रकार ने नाम न प्रकाशित किए जाने पर ये टिप्पणी की-
“मान्यता तो कोई भी संस्थान अपने वहाँ से लिखकर दे दे तो सूचना विभाग द्वारा उनकी मान्यता हो जाती है। मान्यता लगभग 250 के आसपास खत्म की गई है, उम्मीद है कि 300 के आसपास और खत्म होंगी। वैसे सचिव जी का अपनी पत्नि की मान्यता की जरूरत क्यों पड़ी ! ये समझ मे नहीं आया। वैसे बहुतेरे ऐसे भी मान्यता लिए हुए हैं जो लखनऊ में रहते नहीं हैं, बस समिति के चुनाव के समय वोट डालने आते हैं।”