मोदी मीडिया की परवाह नहीं करते, ये बात तो सुर्खियों में है ही। यहां संगठन के निचले स्तर पर भी यह झलकने लगा है। बुधवार को हरियाणा के यमुनानगर में हुई मोदी की रैली में पत्रकारों को अपमान का वो घूंट पीना पड़ा, जो वो इस जन्म में तो भूलेंगे नहीं। रैली के लिए पत्रकारों को पास देने का जो जिम्मा स्थानीय भाजपा के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सपरा को दिया गया था, वो ही जनाब ऐन मौके पर पास देने की बजाए गायब हो गए।
उधर पुलिस पत्रकारों को अंदर न जाने दे। उल्लेखनीय है कि इस हो-हल्ले में खुद वरिष्ठ भाजपा नेता वा हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. धूमल भी गेट पर फंस गए। पत्रकारों और पुलिस की चर्चा में किसी का ध्यान नहीं गया कि इतना बड़ा लीडर किनारे खड़ा है। खैर उन्हे जैसे तैसे प्रवेश कराया गया।
विडंबना ये कि भाजपा के अन्य किसी पदाधिकारी ने गेट पर खड़े होकर पत्रकारों को भीतर प्रवेश कराने की जहमत नहीं उठाई। आखिर बेचारा जनसंपर्क विभाग का एक चपरासी बोला जनाब पास तो मेरी जेब में हैं। यानी सरकारी पीआरओ और भाजपा वाले दोनों उस बेचारे के हवाले ये काम सौंप चले गए। पुलिस वाले भी सकते में कि ऐसे कैसे किसी को अंदर जाने दें। आखिर उस चपरासी ने पहचान करके कहा कि मैं इन पत्रकारों को जानता हूं और अपनी जिम्मेदारी पर पास दे रहा हूं।
जब तक उसकी गवाही पड़ी तक तब पुलिस पत्रकारों की अच्छी कसरत करवा चुकी थी। अपमान जहर पीकर पत्रकार मोदी की रैली कवर करने बैठ गए। एक जहर का बड़ा प्याला पत्रकारों का और इंतजार कर रहा था। भाजपा के पीआरओ सपरा अंदर प्रेस गेलरी में भी नहीं मिले।
चलो सब भूल मोदी मोदी शुरू हो गया। अभी पत्रकारों के मुंह पर एक ओर तमाचा लगना बाकी था। पत्रकारों को रैली के दौरान कुछ भी खाने को भाजपा की तरफ से नहीं दिया गया। जब पत्रकार रैली खत्म होने पर घर जा रहे थे, तो पीछे से आवाज लगाते हुए भाजपा पीआरओ बोले दोस्तो आपके खाने के डिब्बे रह गए थे, देने भूल गए, घर ले जाना।
इस घटना पर पत्रकार आक्रोशित हैं। हां, इस बात पर भी आक्रोशित हैं कि यमुनानगर के कुछ उनके साथियों ने बाजार के बीच में जाते वक्त भी वो डिब्बे स्वीकार कर लिए। भाजपा की राज्य इकाई को इस वाकये के बारे अवगत कराया गया है।