विजय सिंह ‘कौशिक’, मुंबई
कभी तन्हाईयों में यूं हमारी याद आएगी, अंधेरा छा रहे होंगे कि बिजली कौध जाएगी। 1961 में आई फिल्म ‘हमारी याद आएगी’ के इस गीत को स्वर देने वाली मुबारक बेगम इन दिनों तन्हा अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी हैं। चार दिनों पहले उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। मुंबई के पश्चिमी उपनगर अंधेरी रेलवे स्टेशन के सामने स्थित बीएसईएस अस्पताल में हमारी मुलाकात उनसे होती है। देख कर विश्वास नहीं होता कि बिस्तर पर पड़ी यह महिला 115 फिल्मों में 175 गीत गाने वाली मशहूर गायिका मुबारक बेगम हैं। उनका परिवार फिलहाल इलाज के लिए सरकारी मदद का इंतजार कर रहा है।
हम अस्पताल पहुंचे तो मरीजों से मिलने का समय समाप्त हो चुका था। मुबारक की देखभाल के लिए उनके साथ अस्पताल में मौजूद उनकी बहू जरीना शेख से मोबाईल फोन पर बात हुई तो वे नीचे आकर हमें उस वार्ड तक ले गई,जहां मुबारक बेगम को भर्ती कराया गया है। अर्धनिद्रा में लेटी मुबारक जी को उनकी बहु जरीना बताती हैं कि आप से मिलने अखबार वाले आए हैं। ‘अब तबीतय कैसी है आप की ?’ मेरे इस सवाल पर वे बोलीं ‘अब थोड़ा अच्छा लग रहा है। जरीना बतातीं हैं कि अस्पताल में रहना इन्हें जरा भी नहीं भाता। पिछले दिनों 10 दिन अस्पताल में रहने के बाद घर चलने की जिद करने लगी तो हम इन्हें घर ले गए पर दो दिनों बाद ही फिर से तबीयत बिगड़ने लगी तो फिर से अस्पताल लाना पड़ा।
सरकार की तरफ से सिर्फ कोरा वादा
पिछले दिनों मुबारक बेगम की खराब आर्थिक हालत और उनके बीमार होने की खबर आने के बाद राज्य के सांस्कृतिक मंत्री विनोद तावडे ने कहा था कि मुबारक बेगम के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। इस बारे में पूछने पर जरीना बताती हैं कि तावडे साहब आए थे। उनके विभाग के अधिकारियों ने भी बात की पर अभी तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई है। इलाज का सारा खर्च हमें ही करना पड़ रहा है। सरकारी कामकाज है, शायद इसलिए समय लग रहा होगा।
मुबारक बेग़म ने 50 और 60 के दशक में लगभग 115 फिल्मों में 175 से भी ज्यादा गीत गाए हैं। इनमें 1963 की फिल्म ‘हमराही’ का सुप्रसिद्ध गीत ‘मुझको अपने गले लगा लो’ भी शामिल है। मुबारक बेगम ने अपने सुरों से कई सारे गीतों को सजाया और लगभग 23 साल तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करती रहीं। लेकिन आज 80 साल की उम्र में वे आर्थिक तंगी में जी रही हैं। इनती मशहूर गायिका होने के बावजूद आज आप को आर्थिक तंगी का सामना क्यों करना पड़ा रहा है? इस सवाल पर वे बड़ी मुश्किल से बोल पाती हैं ‘उस वक्त फिल्मों में गाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे। एक गाने के तीन सौ-चार सौ रुपए मिलते थे। वैसे भी मैंने कभी पैसों की मांग नहीं की। जिसने जो दिया रख लिया।
राजस्थान के झुंझनु से बंबई
पांच भाई-बहनों में मुबारक सबसे बड़ी थी। मूलरुप से राजस्थान के झुंझनु के रहने वाले मुबारक के पिता ट्रक चलाते थे। मुबारक ने अपने कैरियर की शुरुआत आल इंडिया रेडियो से की थी। 1949 में आई फिल्म ‘आईए’ उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें उन्होंने ‘मोहे आने लगी अंगडाई, आजा-आजा बालम’ गीत गाया था। इस फिल्म के संगीत निर्देशक नौशाद थे। 1981 में आई फिल्म ‘नई इमारत’ उनके कैरियर की अंतिम फिल्म थी जिसमें उन्होंने गीत गाए थे।
कम उम्र में ही उनके पिता उनको लेकर मुंबई आ गए थे। पिता की भी कमाई ज्यादा नहीं थी। इसलिए जल्द ही छोटे भाई-बहनों को पालने की जिम्मेदारी भी मुबारक पर आ गई। जरीना बताती हैं कि पिछले साल अक्टूबर में इनकी बेटी की मौत हो गई। बेटी की मौत के गम में इनकी तबियत ज्यादा खराब हुई। फिल्म इंडस्ट्री से कोई मिलने आया था? जरीना बताती हैं कोई नहीं आता इनकी सुध लेने। हां लता जी (भारत रत्न लता मंगेशकर) का फोन जरूर आता रहता है। वे इनके इलाज के लिए पैसे भी भेजती हैं। बेटी की मौत के बाद भी उनका फोन आया था। लता जी ने अम्मी (मुबारक बेगम) को समझाया कि जीवन में सुख-दुख का साथ रहता ही है। इसलिए उसकी चिंता में अपनी सेहत खराब न करो। फिल्म अभिनेता सलमान खान के यहां से इनके लिए दवाएं आ जाती हैं। जरीना बताती हैं ‘फिल्मों में गाने का सिलसिला तो 1981 से ही बंद हो गया था। पर बीच-बीच में स्टेज शो का बुलावा आता रहता था। दो साल पहले दिल्ली में अंतिम स्टेज शो किया था। उसके बाद से इनकी सेहत ही खराब रहने लगी है।’
मुंबई के जोगेश्वरी इलाके के बेहरामबाग में मुबारक बेगम एक छोटे से फ्लैट में अपने बेटे के परिवार के साथ रहती हैं लेकिन आर्थिक रूप से घर की हालत बहुत खराब है। चार पोतियों में से तीन का विवाह हो चुका है। जबकि सबसे छोटी पोती शना शेख इन दिनों अपनी दादी की देखभाल के लिए निजी कंपनी की अपनी नौकरी भी छोड़ चुकी है। जरीना बताती हैं कि पहले तीन महीने पर सात सौ रुपए की पेंशन मिलती थी, अब काफी दिनों से वह भी बंद है। मुबारक बेगम का इलाज कर रहे डा अमित पटेल ने ‘भास्कर’ से बातचीत में बताया कि मुबारक जी कि किडनी में इंफेक्शन हुआ है। हम एंटीबायटिक दे रहे हैं। जिससे इनकी हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। पर इनका शरीर काफी कमजोर हो गया है। हार्ट की पंपिंग भी कमजोर हो गई है। उम्र और सेहत का असर उनकी यादाश्त पर भी पड़ा है।
मुबारक बेगम के गाए कुछ गीत…..
नींद उड़ जाए तेरी, चैन से सोने वाले (जुआरी)
कभी तन्हाईयों में हमारी याद आएगी ( हमारी याद आएगी)
बे-मुरव्वत, बे-वफा बेगाना ए दिल आप हैं ( सुशीला)
ये दिल बता (खूनी खजाना)
कुछ अजनबी से आप हैं
मुझ को अपने गले लगा लो (हमराही)
शमा गुल करके न जा
सांवरिया तेरी याद में
जनम-जनम हम संग रहेंगे (डोलती नैया)
दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित विजय सिंह की रिपोर्ट.
ramesh sarraf
May 29, 2016 at 2:06 pm
jhunjhunu se nahi hai mubarak begum sahiban