-कुमार संजॉय सिंह-
नलिन चौहान के लापता होने की सूचना से मन उद्विग्न है। इंडिया टुडे में हमने कई साल साथ काम किया है। इंडिया टुडे में करीब 5-6 साल रहने के बाद नलिन का दिल्ली सरकार के सूचना विभाग में उसका चयन हो गया था। अभी वो वहीं डेपुटी डायरेक्टर हैं। नलिन ने दिल्ली के इतिहास पर काफी अच्छा काम किया है। ऐतिहासिक धरोहरों पर उन्होंने पूरी एक सीरीज लिख डाली है।
नलिन पढ़ते बहुत हैं। बड़ी समृद्ध है उनकी निजी लाइब्रेरी। अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा आज भी वो किताबों पर ख़र्च करते हैं।
उस ज़माने में मैं दो या तीन बार उनके घर पर, माताजी के हाथों का बना भोजन कर चुका हूँ। उन दिनों उनका परिवार सीपी के हमारे दफ़्तर के पास, लुटियंस ज़ोन के सरकारी क्वार्टर में रहता था। देर रात काम चल रहा होता तो उनका छोटा भाई खाना लेकर दफ़्तर आ जाता।
अपनी विशाल काया के अनुरूप, नलिन खाता भी तबियत से। घी से तरबतर बहुत सारी मोटी-मोटी क़ायदे से सिंकी रोटियां और राजस्थानी ज़ायके वाली सब्ज़ी। अमूमन वो अपना खाना लेकर मेरे खोपचे में आ जाता और हमदोनों साथ जीमते।
मस्तमौला आदमी है। समझ नहीं आता कि कोरोनामुक्त होकर घर आने के बाद, वो क्योंकर ग़ायब हो गया। जितना मैं उन्हें जानता हूँ, ये बात उनकी फ़ितरत से मेल नहीं खाती।
ईश्वर करें वो जहाँ हो, सुरक्षित हो!

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