मोदी-शाह के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर 6 मई से पहले फैसला करे आयोग… प्रधानमन्त्री मोदी पर मेहरबान चुनाव आयोग ने अपने ही अधिकारियों की बात नहीं सुनी और लातूर में सेना के राजनीतिकरण पर दिए गये बयान पर उन्हें क्लीन चिट deदे दी।इसके पहले मोदी द्वारा वर्धा की चुनावी सभा में हेट स्पीच के बावजूद चुनाव आयोग ने क्लीनचिट दे दी थी। हेट स्पीच और सेना के राजनीतिक इस्तेमाल पर चुनाव आयोग मोदी पर कोई कार्रवाई करना तो दूर, उन्हें चेतावनी भी न दे पाया। बल्कि उन्हें क्लीनचिट देकर साबित कर दिया कि वह मोदी सरकार का भोंपू बन चुका है। ऐसे में उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कांग्रेस की शिकायतों पर 6 मई के पहले फैसला लेने के निर्देश पर क्या होगा इस पर राजनितिक दलों,विशेषकर कांग्रेस की निगाहें लगी हुई हैं।
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कांग्रेस की शिकायतों पर 6 मई के पहले फैसला ले। कांग्रेस ने दोनों नेताओं के खिलाफ 11 शिकायतें आयोग को भेजी हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी और शाह ने अपने चुनावी भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
मोदी के वर्धा और लातूर में दिए गए बयानों को चुनाव आयोग अबतक क्लीन चिट दे चुकी है। चुनाव आयोग ने इन्हें आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना है। मोदी ने वर्धा में भाषण के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने की आलोचना की थी। साथ ही संकेत दिया था कि केरल के इस संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है। लातूर में मोदी ने पहली बार वोट करने वाले मतदाताओं से अपील की थी कि अपना पहला वोट एयर स्ट्राइक को अंजाम देने वाले वीरों और पुलवामा के शहीदों के नाम समर्पित करें।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आयोग चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी मोदी और अमित शाह के खिलाफ 9 शिकायतों पर फैसला ले। इससे पहले चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि मोदी और शाह के खिलाफ कांग्रेस की कुल 11 शिकायतों में से 2 पर फैसला लिया जा चुका है।
इससे पहले मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस सांसद की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी चीफ अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। न्यायालय ने इसके लिए अगली सुनवाई की तारीख गुरुवार तय की थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि चुनाव आयोग इस मसले पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ कथित तौर पर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल और हेट स्पीच की शिकायतें कांग्रेस की ओर से की गई थीं। इस पर चुनाव आयोग की ओर से फैसले में देरी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया था।
इससे पहले मंगलवार को आयोग ने एक मामले में पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। आयोग ने कहा है कि पीएम मोदी ने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया। इस मामले पर पिछले कुछ दिनों से काफी सियासी विवाद चल रहा था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। आखिरकार मंगलवार को चुनाव आयोग ने हाई लेवल मीटिंग के बाद पीएम के खिलाफ शिकायत की जांच की और उन पर लगे आरोपों को खारिज किया।
गौरतलब है कि पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवानों के नाम पर वोट मांगने के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट दी है। इस मामले पर आयोग ने सेना के पूर्व अधिकारियों के तमाम विरोधों पर भी कोई ध्यान नहीं दिया।इस फ़ैसले के लिए चुनाव आयोग ने खुद अपने ही कायदे कानूनों को ताक पर रख दिया है।इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी और ओसमानाबाद के जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान प्रथम दृष्ट्या चुनाव आयोग के उन आदेशों का उल्लंघन करता है, जिसमें राजनीतिक दलों से अपील की गई थी कि वोट के लिए सेना के नाम का इस्तेमाल ना करें।इन दोनों चुनाव अधिकारियों की राय पर मंगलवार को चुनाव आयोग में बहस भी हुई थी। लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट दे दी गई। इसके पीछे वजह यह बताई गई कि उन्होंने वोट के लिए एयर स्ट्राइक का विशेष रूप से नाम नहीं लिया ना हीं उन्होंने कहीं कहा कि भाजपा को वोट दें।
पिछले 9 अप्रैल को महाराष्ट्र के लातूर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “क्या आप अपना पहला वोट एयर स्ट्राइक करने वाले जवानों को दे सकते हैं?” प्रधानमंत्री ने कहा था, “मैं पहली बार वोट दे रहे युवाओं से अपील करना चाहता हूं कि क्या आप अपना पहला वोट पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम पर डाल सकते हैं. क्या आप अपना वोट पुलवामा (आतंकी हमले) के वीर शहीदों को समर्पित कर सकते हैं?”
सुप्रीम कोर्ट का तंज
उत्तर प्रदेश में नेताओं द्वारा धार्मिक और विवादित बयान दिए जाने पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चुनाव आयोग से सवाल किया था। उच्चतम न्यायालय ने पूछा था कि आपने क्या कार्रवाई की? आयोग ने अपने पास अधिकार ना होने का हवाला दिया था। इस पर उच्चतम न्यायालय ने तंज कसा था कि आप खुद को शक्तिहीन कह रहे हैं। इस टिप्पणी के बाद चुनाव आयोग ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती पर 48 और 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने की रोक लगाई थी। इसके कुछ देर बाद ही भाजपा नेता मेनका गांधी और सपा नेता आजम खान पर भी 48 और 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी थी।