नईदुनिया जिसे भोपाल संस्करण में नवदुनिया के नाम से जाना जाता है यहां कर्मचारियों की हालत इन दिनों खराब है। आने वाले दिनों में यहां कई लोगों को नौकरी से निकाला जा सकता है। संभव है कि यह बड़े पैमाने पर किया जाए। आर्थिक नीतियों को लेकर केंद्र सरकार की सफलताओं का सबसे ज्यादा ढोल पीटने वाला यह अखबार खुद ही लगातार आर्थिक मंदी का हवाला देकर अपने कर्मचारियों को डरा रहा है। इसका असर संपादकीय, प्रसार और विज्ञापन तीनों विभागों पर है लेकिन संपादकीय कर्मी अखबार मालिकों के खास निशाने पर हैं।
संपादकीय विभाग के कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए उन्हें पिछले कुछ महीनों से लगातार चेतावनी दी जाती रही है और अब उन पर गलती करने पर सीधे कार्रवाई की तलवार लटका दी गई है। कर्मचारी गलती करें और उन पर कार्रवाई की जा सके इसके लिए भी जागरण प्रबंधन ने तैयारी पूरी कर ली है। इसके लिए अगस्त महीने में खास समीक्षा की जा रही है जिसे सघन छिद्रान्वेषण का नाम दिया गया है। वैसे तो यह समीक्षा जागरण प्रबंधन अपने सभी संस्करणों में कर रहा है लेकिन मप्र में नईदुनिया के कर्मचारी इसके खास निशाने पर हैं।
अखबार की ओर से साफ कह दिया गया है कि वे अब कमजोर कड़ियों की पहचान कर मामला दुरुस्त करेंगे। नईदुनिया के कर्मचारियों पर भयंकर दबाव बनाने के लिए उन्हें कई-कई जिम्मेदारियां दे दी गई हैं और उन पर कई पेज बनाने की जिम्मेदारी है। कर्मचारी रात दो-तीन बजे तक यही कर रहे हैं। एक बिंदी की गलती पर भी उनकी नौकरी जाने का खतरा है। इसके लिए बाकायदा फुटबॉल मैच की तरह यलो और रेड स्टार दिए जा रहे हैं। यलो माने चेतावनी और रेड का मतलब तलवार आपके सिर के ठीक उपर है। नईदुनिया के सबसे मजबूत रहे इंदौर संस्करण पर यह तलवार सबसे ज्यादा चलने को बेकरार है। सघन छिद्रान्वेषण के लिए करीब दो दर्जन बिंदुओं की एक एक्सल शीट जारी की गई है जहां गलती करने वाले को जिम्मेदार बताकर उसे रेड स्टार दिया जाएगा और इस हिसाब से इसके द्वारा कुछ लाल सितारे अर्जित करने या उसे जबरन थमाने के बाद उसकी नौकरी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
कोरोना काल में भी अखबार अपने कर्मचारियों के प्रति अपनी निर्दयी रणनीति अपनाने में पीछे नहीं रहा। सरकार भले ही वर्क फ्रॉम होम करने के लिए कहती रही हो लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। यही वजह रही कि नवदुनिया भोपाल संस्करण की पूरी टीम ही कोरोना संक्रमित हो गई और पूरा कार्यालय बंद करना पड़ा। इसका पूरा काम इंदौर के कर्मचारियों से करवाया गया। वहां भी कर्मचारी काम के दबाव से बीमार हुए लेकिन राज्य संपादक आशीष व्यास और सीईओ संजय शुक्ला का इस पर कोई असर नहीं पड़ा। शुक्ला जहां अपने पद के अनुरुप केवल व्यापार देखने के आदी हैं। हालांकि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के आने के बाद से विज्ञापन विभाग के लोग काफी खुश हैं। दरअसर शिवराज सरकार ने पिछले कार्यकाल के आखिरी दिनों में बड़े पैमाने पर नईदुनिया को विज्ञापन दिए थे और कांग्रेस सरकार में नईदुनिया की हालत खराब थी।
राज्य संपादक व्यास साहब पहले ही जागरण प्रबंधन के सामने अपनी रीढ़ पूरी तरह खो चुके हैं और फिलहाल व्यास की टीम पूरी तरह कर्मचारियों को प्रताड़ित करने में जुटी है। उनके लेफ्टिनेंट रिपोर्टरों को लगातार परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। व्यास और उनकी टीम ने कुछ ही महीने पहले इंदौर रीजन के दो रिपोर्टरों को बाहर निकाला। इनमें से एक ने तो व्यास की टीम के दो सदस्यों रूमनी-जितेंद्र पर गंभीर आरोप लगाए थे। नईदुनिया पिछले महीने अपने कई ब्यूरो आफिस बंद कर चुका है। वहीं अब ब्यूरो कार्यालयों को बड़ी मात्रा में विज्ञापन लाने के लिए भी कहा गया है। उन्हें बताया गया है कि समीक्षा के अलावा ऐसा न करना भी उनकी नौकरी जाने का कारक हो सकता है।
प्रसार विभाग की हालत भी खराब है। कोरोना के दौरान नईदुनिया भोपाल और इंदौर में कॉपियां सबसे ज्यादा गिरी हैं। बताया जाता है कि इंदौर और भोपाल में प्रसार विभाग के कई कर्मचारियों को उनके भत्ते तक नहीं दिए जा रहे हैं। इस विभाग के कई कर्मचारियों को सरकार की अपील को दरकिनार करते हुए नौकरी से निकाला जाता रहा है। इंदौर के संस्करणों में प्रसार विभाग के अधिकारी वसूली एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। बताया जाता है उनके द्वारा कर्मचारियों से गाली-गलौज के अलावा मारपीट तक की धमकी दी जा रही है। प्रसार विभाग के लठैत के द्वारा इंदौर प्रिटिंग प्लांट के करीब पांच कर्मचारियों को धमकाकर उनका इस्तीफा भी लिखवाए जाने की भी खबर है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.