प्रकाश के रे-
हिन्दी पत्रकारिता के रोज़गार में आ रहे युवा मित्रों के लिए कुछ सलाह:
1) अंग्रेज़ी से हिन्दी में बढ़िया अनुवाद आना चाहिए. यह आसान है. अंग्रेज़ी के अख़बार पढ़ें और अनुवाद की प्रैक्टिस करें. यह कुछ साल से मैं देख रहा हूँ कि हिंदी पत्रकारिता में आने वाले न ठीक हिन्दी लिख पा रहे हैं और न ठीक से अनुवाद कर पा रहे हैं. इस कमी को सुधारें, अन्यथा रगड़ते हुए जीवन बिताना होगा.
2) आज भी और आगे तो बहुत इसकी ज़रूरत होगी- गूगल और यूट्यूब सर्च से मैटर निकालना और अपने ज़रूरत के हिसाब से उसे लिखना/संपादित करना/ एड-ऑन करना. यह नहीं होगा, तो आप नौकरी नहीं कर सकेंगे. संपादकों को भी अपनी वाहियात परीक्षा विधि बदल कर इसे अख़्तियार करना चाहिए.
3) काम लगातार सीखना होता है. इसलिए एक काम कर जल्दी दूसरा काम माँगे. देहचोरी त्याग दें. इसका कोई मोल नहीं. बेहद घटिया नशा है, लत न लगायें. इसी से जुड़ा मसला है समय से दफ़्तर पहुँचना और कुछ समय झूठ बोल कर छुट्टी नहीं लेना.
4) मीडिया या कंटेंट वाले किसी भी काम में समय बहुत अहम होता है. दबाव में काम करने की आदत डालें. जल्दी काम करें. जल्दी पढ़ना और जल्दी लिखना आपको औसत से ऊपर ले जाएगा. इसका सूत्र आसान है- शुरुआत एक घंटे में 500 शब्द कंटेंट बनाने से करें और पहली नौकरी में छह माह के भीतर इसे 800 शब्द क्वालिटी कंटेंट में ले जाएँ.
5) चूँकि मीडिया में शुरू के स्तर पर एमए के लोग आम तौर पर नहीं लिये जाते हैं, जबकि यह न्यूनतम योग्यता होनी चाहिए. ऐसे में बीए प्लस डिप्लोमा वाले अपनी सेल्फ़-ट्रेनिंग में स्वाध्याय को जोड़ें. विभिन्न विषयों पर समझ बनाएँ, किताबें पढ़े, अख़बार देखें, सोशल मीडिया की ज़रूरी कच-कच पर नज़र रखें. लेकिन ख़ुद फ़ालतूगिरी से परहेज़ करें.
6) लास्ट बट नॉट द लीस्ट- आप क्या काम कर रहे हैं, इसलिए आप नौकरी में हैं. इसलिए नहीं कि आप क्या हैं और क्या होना चाहते हैं. दफ़्तर में नौकरी मिलने के साथ बॉस और वरिष्ठों से पूछते रहें कि क्या काम है, क्या होता है, क्या करना है. इस हिसाब से ढालें.