एचआर ने स्टाफ को मेल भेज कर सेवा समाप्त करने की दी सूचना, किसी भी ब्यूरो कार्यालय का नहीं दिया किराया, रेगुलर स्टाफ की 6-9 माह की नहीं दी सेलरी, चपरासी और स्टींगर का भी बकाया है साल भर का वेतन
नोएडा । नेशनल दुनिया में उठक-पटक का दौर जारी है। अखबार का शातिर मैनेजमैंट एक-एक कर कर्मचारियों को बिना वेतन दिये हटा रहा है। अखबार का मालिक किसी कायदे कानून को नहीं मानता। एनसीआर के तीनों ब्यूरो कार्यालय फरीदाबाद, गुडगांव और गाजियाबाद के सभी स्टाफ को 31 मार्च की रात साढे दस बजे एचआर की तरफ से एक मेल भेजकर उन्हें सूचना दी गयी कि आपकी सेवा समाप्त कर दी गयी है। मजे की बात यह है कि मेल में यह कहा गया है कि नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेने के बाद आपका हिसाब कर दिया जायेगा। कर्मचारियों का कहना है कि उनका ही कम्पनी पर लाखों की देनदारी निकलती है, सात माह से लेकर 14 माह तक की सेलरी कर्मचारियों की बकाया है।
कर्मचारी बकाया का तकाजा न करें इसलिए अकाउंटस डिपार्टमेंट को नोएडा से हटाकर कानपुर बैठा दिया गया है। नौकरी समाप्त होने का मेल मिलने के बाद जब गुडगांव, फरीदाबाद, और गाजियाबाद के कर्मचारी अपनी बकाया सेलरी लेने चार दिन पहले नोएडा पहुंचे तो रिशेप्सन पर बैठी मैडम ने टरकाने के लिए कह दिया कि कम्पनी में कोई अधिकारी नहीं है। इसी बीच सम्पादकीय विभाग के एक कर्मचारी ने इशारा करके बताया कि सभी अधिकारी उपर बैठे हैं। कर्मचारी सीधे सम्पादकीय प्रमुख कुमार समीर के केबिन में जा घुसे। इस शख्स की बेशर्मी देखिये- कुमार कर्मचारियों से छूटते ही बोले कि कोर्ट कचहरी की कार्रवाई से हम डरते नहीं, कानून बनते ही तोड़ने के लिए हैं। पहले एनओसी की कार्रवाई पूरी करो, फिर सोचेंगे आपके पेमेंट का।
कर्मचारियों ने कहा कि अकाउंट डिपार्टमेंट नोएडा से कानपुर शिफ्ट कर दिया गया, किससे मिलें हम। इस पर कुमार बोले कि हम इसमें क्या कर सकते हैं। मजे बात यह है कि यह जग जाहिर है कि कर्मचारियों का ही मैनेजमैंट पर बकाया है। उसके बावजूद उन्हें परेशान किया जा रहा है। एचआर की एक सूत्र का कहना है कि उन्हें हिदायत दी गयी है कि इन्हे इतना दौडाओ कि ये अपने आप घर बैठ जाएंगे। पीएफ में साल भर से कोई पैसा जमा नहीं हुआ है। कर्मचारियों ने फैसला किया है कि 15 अप्रैल तक यदि पेमेंट नही मिलता है तो नोएडा चल कर कार्यालय परिसर और दिल्ली स्थित मालिक शैलेंद्र भदौरिया के निवास का घेराव किया जाय। इसके अलावा गुडगांव, फरीदाबाद और गाजियाबाद के ब्यूरो कार्यालय का किराया भी नहीं दिया गया। मकान मालिक नोएडा कार्यालय जाते हैं तो उन्हें यह कह कर भगा दिया जाता है कि कानपुर में अकाउंट डिपार्टमेंट शिफ्ट हो गया है, वहीं जाकर मिलो।