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नेहरू के माफ़ीनामे को लेकर अशोक पाण्डेय और चित्रा त्रिपाठी में छिड़ा X वॉर

साहित्य आज तक का आयोजन समाप्त हुआ. लेकिन समाप्त होते होते एक बड़ा पॉलिटिकल बखेड़ा खड़ा कर गया है. आज तक के कार्यक्रम में हुई बातचात की एक क्लिप को लेकर खड़े हुए बखेड़े में दो पत्रकारों की एक्स वॉर जमकर वायरल हो रही है. वायरल क्लिप नेहरू के माफीनामें मांगने न मांगने पर हो रही डिबेट का है. एक तरफ बैठे पत्रकार का कहना है कि फलां मामले में अगर नेहरू ने माफी मांगी थी तो माफीनामा दिखाइये. उन्होंने माफीनामा दिखाने को लेकर खुला चैलेंज कर दिया. इसपर सामने बैठी चित्रा त्रिपाठी मोबाइल में कुछ प्रूफ दिखाती हैं, लेकिन इसे व्हाट्सएप्प का कचरा कहा जा रहा है. साथ ही तमाम बड़े पत्रकार व राजनीतिक लोग भी सहमति असहमति दिखा जता रहे हैं.

आजतक के कार्यक्रम की वायरल इस वीडियो क्लिप में मंच पर पत्रकार अशोक कुमार पाण्डेय व चैनल की स्टार एंकर चित्रा त्रिपाठी के बीच गहराई से बहस हो रही है. सबूत दिखाने देखने की बात चल रही है. झूठ सच का आरोप प्रत्यारोप चल रहा है. मामला नेहरू का है. नेहरू के माफी मांगने ना मांगने पर बहस है. पत्रकार कहता है सावरकर ने माफी मांगी, माफीनामा सामने आया. नेहरू ने माफी मांगी तो माफीनामा दिखाओ? जिसपर चित्रा फेल होती नजर आ रही हैं. अब वायरल हुई वीडियो को लेकर पक्ष-विपक्ष अपने अपने लोगों के साथ तथाकथित मजबूती से खड़ा हो रहा है. अपने एक्स हैंडल पर वीडियो डालकर लिखते हैं, ‘कल गांधी, नेहरू, सावरकर पर साहित्य आजतक की परिचर्चा को उनके YouTube चैनल पर देख सकते हैं. इसके बाद शुरू होता है, एक्स वॉर जो नीचे है.

पत्रकार अशोक पाण्डेय के ट्वीट को कोट कर चित्रा लिखती हैं, ‘जब एक इतिहासकार अपने आपको उपर उठाने के लिये राजनीतिक दलों के ट्वीट का सहारा लेने लगे तो उसके इतिहास की समझ में कितना दम होगा ये बताने की जरुरत नहीं. मुझे ये आदमी विद्वान लगता था मगर कल से लेकर अभी तक की आपकी हरकतें दो रुपये के ट्रोलर की तरह हैं. तीसरा स्नैप शॉट उस आर्टिकल का लगा रही हूँ जो आपको पढ़ने की जरुर है मिस्टर @Ashok_Kashmir . आपको ये ग़लतफ़हमी नहीं पालनी चाहिये कि जो आपने पढ़ा है, इतिहास बस उतना ही है. दो रुपये वाला ट्रोलर बनने से ज़्यादा अच्छा है इतिहासकार बने रहिये. ये अलग बात है कि अपने आपको फ़ेमस करने के लिये आपको मेरे सवाल का सहारा लेना है, फिर आप कर सकते हैं और मेरे “राजनीति” के मित्रों, आप जब किसी ग़ैरराजनीतिक व्यक्ति पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हैं तो उसका जवाब सुनने के लिये भी तैयार रहिये.’

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इसपर अशोक चित्रा को जवाब लिखते हैं, ‘चित्रा जी, कल के व्यवहार से आपके लिए सम्मान जागा था, लेकिन बड़ी जल्दी आपने साबित कर दिया कि आप वही हैं, जो आपको कहा जा रहा है। आगे यह कि कल भी आप रीसर्च के नाम पर ऐसा ही कोई स्टेटस पढ़ रही थीं, आज भी किसी न्यूज़ चैनल पर छपे लेख का स्क्रीनशॉट पेश कर रही हैं। खुली चुनौती दी थी, जाइए माफीनामा ले आइए, किसी एक प्रमाणिक किताब से कोट कीजिए। लगता है कि कल डांट काफ़ी पड़ गई आपको अपने बॉसेज़ से। मेरी सहानुभूतियाँ आपके साथ हैं। सब लाइव था, सबने देखा। जिसको जो लगा कहा, मैंने कम से कम आप पर कोई आक्षेप नहीं लगाए थे। न वहाँ, न यहाँ।’

प्रोफेशनल तारीफ करने पर चित्रा ने लिखा, ‘आग लगाकर, आग बुझाने चले हैं.’ इसपर अशोक जवाब देते हैं, ‘कमाल है! मतलब इतनी ग़लतफ़हमी! आप हैं कौन चित्रा जी कि आपको खुश करने की कोशिश करूँगा! अपनी बात पर अब भी अडिग हूँ, कल आप वास्तव में अच्छी एंकरिंग कर रही थीं। साथ में यह भी कहूँगा कि आज आप फिर खुद को गोदी मीडिया का अभिन्न हिस्सा साबित करने के लिए जान लगा रही हैं।’

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